आगरा। सीएमओ ने बताया कि शरीर में आयोडीन का निर्माण नहीं होता है। आहार के रूप में ही इसे शरीर के अंदर पहुंचाना होता है। आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि का आकार असाधारण रूप से बढ़ जाता है। अन्य खाद्य पदार्थों के साथ आयोडीन युक्त नमक इसका विकल्प है। उन्होंने बताया कि लोगों को जागरुक करने के लिए 21 अक्टूबर को आयोडीन डिफिशिएंसी दिवस मनाया जाता है।
एसीएमओ डॉ। संजीव वर्मन ने बताया कि 6 से 12 आयु वर्ग के बच्चे सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आते हैं। गैर संचारी रोगों के सह नोडल डॉ। पियूष जैन ने बताया कि यदि समय पर इलाज नहीं किया जाए तो आयोडीन की कमी से हार्ट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। जैसे- हार्ट का बढ़ा हुआ आकार और हार्ट फेल होना। वहीं इसकी कमी से महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या हो सकती है। जैसे- अवसाद और बांझपन। आयोडीन की कमी वाली महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना 46 फीसदी कम होती है। गर्भवती महिलाओं में थायरॉइड हार्मोन की कमी का असर बच्चे पर पड़ता है।
ऐसे लगाएं पता
डॉ। वर्मन ने बताया कि यूरिन या ब्लड टेस्ट से आयोडीन की कमी का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए आयोडीन पैच टेस्ट भी होता है। डॉ। पियूष ने बताया कि यदि आहार से पर्याप्त आयोडीन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, आयोडीन नमक के सेवन से इसे दूर किया जा सकता है।
आयोडीन के प्रमुख स्त्रोत-
मछली, अंडे, ब्रेड, डेयरी उत्पाद और समुद्री शैवाल
आयोडीन की कमी के लक्षण
-गर्दन में सूजन
-अचानक वजन बढऩा
-कमजोरी या थकान महसूस होना
-बालों का झडऩा या कम होना
-याददाश्त कमजोर होना
-गर्भावस्था संबंधी जटिलताएं
-मासिक धर्म की अनियमितता या मासिक धर्म में अधिक खून आना
आयोडीन की कमी से कई रोग हो सकते हैैं। आयोडीन शरीर में नहीं बनता है.इसे आहार के साथ लिया जाता है।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ
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स्टूडेंट्स को किया जागरुक
आगरा। ग्लोबाल आयोडीन डिफिशिएंसी दिवस के अवसर पर शमसाबाद ब्लॉक के ग्राम मीरपुर स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें आरबीएसके की टीम द्वारा स्टूडेंट्स व उनके अभिभावकों को जागरुक किया गया। डॉ। सिद्धार्थ ने बताया कि बच्चों के समुचित विकास के लिए उन्हें आयोडीन युक्त नमक ही खाना है और बच्चों को भी यही नमक खिलाना है। ऐसा न करने से जन्मजात शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांगता, गर्भ में पल रहे बच्चे के मानसिक विकास में कमी, अपंगता, बहरापन, गूंगापन, शरीर में उर्जा की कमी व थकान, बांझपन और मासिक धर्म से संबंधित समस्याएं पैदा हो जाती हैं । इस अवसर पर न्यूट्रीशन इंटरनेशनल की विद्या, स्कूल हेडमास्टर, अध्यापक व अन्य मौजूद रहे।