आगरा। उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस को उनकी हेल्पलाइन (+91-9917109666) पर पशु कार्यकर्ता और कैस्पर्स होम ट्रस्ट की मुख्य ट्रस्टी विनीता अरोड़ा से लंगूर की शिकायत मिली। आगरा के बाग फरजाना में एक घर की छत पर लंगूर को बांध कर रखा हुआ था। क्योंकि लंगूर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम-1972 की अनुसूची-2 के तहत संरक्षित है, इसलिए इसे किसी के भी द्वारा स्वामित्व, बेचा, खरीदा, व्यापार या किराए पर नहीं रखा जा सकता। इस कानून के उल्लंघन पर जुर्माना या तीन साल की जेल या दोनों की सजा हो सकती है।

लंगूर को मुक्त कराने के लिए वन विभाग के साथ वाइल्डलाइफ एसओएस तेजी से कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर पहुंची। टीमों ने वहां लोगों को इस अवैध प्रथा और इसके दुष्परिणामों के बारे में शिक्षित किया। बाद में, उसके गले में बंधी रस्सी को हटा दिया गया और एक त्वरित चिकित्सा मूल्यांकन के बाद, लंगूर को जंगल में छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने बताया कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-2के तहत लंगूरों को संरक्षित किया गया है। वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंजरवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी। ने बताया कि वाइल्डलाइफ एसओएस सक्रिय रूप से उत्तर प्रदेश वन विभाग के साथ काम करता है, ताकि जंगली जानवरों को अवैध कब्जे से आजाद किया जा सके और लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि वे ऐसी किसी भी अवैध गतिविधि को बढ़ावा न दें और ऐसी घटनाओं की सूचना वन विभाग या वाइल्डलाइफ एसओएस को दें।


हमने एक महीने में तीन लंगूरों को रेस्क्यू करके जंगल में छोड़ा है। बंदरों को भगाने के लिए लंगूरों को रस्सी बांधकर रखना एक अवैध प्रथा है और इस तरह से किसी भी जंगली जानवर का शोषण नहीं किया जाना चाहिए। यह कानूनन एक अपराध है।
-राम गोपाल सिंह, वन क्षेत्र अधिकारी