आगरा। एसएन मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि तापमान के उतार-चढ़ाव के दौरान फंगस बहुत बढ़ जाते हैं। साथ में प्रदूषणकारी तत्वों की मौजूदगी भी अधिक हो जाती है। इसी मौसम में फ्लू और वायरल संक्रमण हमलावर होता है। ऐसे में जरा सी लापरवाही से सर्दी-बुखार सहित गले में खराश जैसी समस्या हो जाती है। ऐसे में किसी भी मरीज की पुरानी दिक्कतों का बढ़ जाना स्वाभाविक है। इंफ्लूएंजा से भी परेशानी बढ़ती है। ऐसे में ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है।

टीबी मरीजों को भी हो रही दिक्कत
एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। जीवी सिंह ने बताया कि बहुत ज्यादा गर्मी या सर्दी में टीबी या सांस के मरीजों की दिक्कतें कई गुना बढ़ जाती हैं। वातावरण में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में स्वस्थ व्यक्ति को भी सांस लेने में जोर लगाना पड़ता है। गला खराब हो जाता है। इसलिए ऐसे में सांस और टीबी मरीजों की अधिक देखभाल की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इसमें अस्थमा के मरीजों की दिक्कत 60 परसेंट तक बढ़ जाती हैैं। बीते दिनों लू चली थीं। इससे कार्डियो पल्मोनरी सिस्टम को ज्यादा काम करना पड़ता है। इससे मरीज की सांस फूलने लगती है।


इस समय तेज गर्मी के साथ-साथ आंधी-बारिश का मौसम हो रहा है। मौसम में बदलाव होने पर सर्दी-जुकाम-बुखार की समस्या हो सकती है। ऐसे में संभलकर रहें।
-डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर
मेडिसिन विभाग, एसएनएमसी

मौसम बदलने से ओपीडी में पुराने मरीजों की संख्या बढ़ी है। ऐसे में सांस और टीबी मरीजों की अधिक देखभाल की जरूरत है।
- डॉ। जीवी सिंह, प्रोफेसर, टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट, एसएनएमसी