आगरा(ब्यूरो)। शहर के गिरजाघरों में क्रिसमस की विशेष रूप से तैयारी हो रही है। यहां बच्चों की टोली गीतों की प्रैक्टिस कर रही है। आगरा महाधर्मप्रांत के मीडिया प्रभारी फादर मून लॉजरस ने बताया कि सभी गिरजाघरों में क्रिसमस की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। गौशाला बनाई जा रहीं हैं। इसके साथ ही पादरियों के साथ बच्चों की टोली समाज के लोगों के घर-घर जाकर कैरोल सिंगिंग कर रही है।

चरनी और कैरोल्स का महत्व
फादर मून लाजरस के अनुसार क्रिसमस डे के उपलक्ष में प्रत्येक गिरजाघर व विश्वासी के घर में एक चरनी (गौशाला) सजाई जाती है, जो कि बेथलेहेम की उस चरनी का प्रतीक है जिसमें प्रभु ईसा मसीह ने जन्म लिया था। इसका प्रारंभ 1223 ई। में संत फ्रांसिस असीसी द्वारा किया गया। इसके बाद क्रिसमस गान व क्रिसमस ट्री की शुरुआत हुई। सन् 1705 के क्रिसमस कैरोल्स संत फ्रांसिस की प्रेरणा से गाए गए। इसी समय से क्रिसमस के विभिन्न प्रतीक सेंटा क्लाज, क्रिसमस कार्ड व अन्य तरह के सैकड़ों उपहार आरंभ हो गए।

खुशियां लेकर आता है क्रिसमस
संजय प्लेस स्थित इमैनुअल ल्याल बताते हैं कि क्रिसमस प्रभु यीशु के आने की खुशियां लेकर आता है। इसीलिए क्रिसमस पर खास रूप से केक काट खुशियां बांटते हैं। केक एक दूसरे को मिठास बांटने का संदेश देता है। क्रिसमस पर बनने वाले केक की बात ही अलग होती है। क्योंकि उसमें सभी तरह के मेवे डाले जाते हैं।


गिरजाघरों में क्रिसमस की तैयारियां जारी हैं। भव्य सजावट की जा रही है। बच्चों की टोलियां घर-घर जाकर कैरोल सिंगिंग कर रही है।
-फादर मून लाजरस, मीडिया प्रभारी, आगरा महाधर्मप्रांत