आगरा। 18 वर्षीय शिवानी 12 वीं क्लास में पढ़ती हैं और वे पढ़ाई के साथ-साथ ईस्ट आगरा में बतौर टीबी चैंपियन टीबी रोगियों की मदद कर रही हैं। शिवानी ने बताया कि वह दो साल पहले टीबी रोग से ग्रसित हो गई थीं। यह बात पता चलते ही पहले तो वे थोड़ी मायूस हुईं लेकिन पिता ने ढांढस बंधाया और सही समय पर दवा खाते हुए उपचार पूरा कराया और वे स्वस्थ हो गईं। शिवानी ने बताया कि वह टीबी चैंपियन के रूप में टीबी रोगियों की काउंसलिंग करती हैं। उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताती हैं और उन्हें समझाती हैं कि टीबी सही समय पर दवाइयों का सेवन करने से आसानी से ठीक हो सकता है।

टीबी के कारण छोडऩी पड़ी नौकरी
30 वर्षीय खंदौली क्षेत्र के गांव नगला हुल्सा निवासी लायक सिंह को 2015 में टीबी का संक्रमण हो गया था। पहले उपचार कराया लेकिन उन्हें एमडीआर टीबी हो गई। इस कारण उन्हें लगभग तीन साल उपचार कराना पड़ा। लेकिन सही समय पर दवा लेने और डॉक्टर के अनुसार चलने से अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं और खंदौली क्षेत्र में टीबी चैंपियन बनकर दूसरे टीबी रोगियों और संभावित टीबी रोगियों की मदद कर रहे हैं। वे संभावित टीबी रोगियों को केंद्र पर ले जाकर जांच कराते हैं और टीबी रोगियों की काउंसलिंग कर उन्हें बताते हैं कि सही समय पर दवा खाने से ये रोग पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। लायक सिंह बताते हैं कि उन्हें तो टीबी रोग होने पर भेदभाव के चलते नौकरी भी छोडऩी पड़ी थी। उन्होंने कहा कि उस वक्त लोगों में कम जागरुकता थी, लेकिन अब टीबी को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है और टीबी रोगियों को सुविधाएं भी काफी बेहतर दी जा रही हैं।


स्वस्थ हुए और दूसरों की कर रहे मदद
36 वर्षीय बबलू राजौरिया फतेहपुर सीकरी के सिरौली गांव के निवासी हैं। पेशे से ड्राइवर बबलू समय बचाकर दूसरे टीबी रोगियों की भी मदद करते हैं। वे उन्हें फोन के माध्यम से या उनसे मिलकर उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताते हैं और उनके परिवार की भी काउंसलिंग करते हैं जिससे कि वे मरीज का साथ दें और खुद भी संक्रमण से बचे रहें। बबलू ने बताया कि उन्हें 2019 टीबी संक्रमण हुआ था। उन्होंने लगभग 18 महीने दवा खाई और अब वे पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। वे सभी को बताते हैं कि टीबी का इलाज संभव है और टीबी मरीजों से भेदभाव न करें। इसे छिपाएं नहीं बताएं, जिससे कि उपचार संभव हो सके।

टीबी के खात्मे को कर रहे काम
27 वर्षीय यूनुस खान को दसवीं कक्षा में टीबी का संक्रमण हो गया था। अब वे स्वस्थ होकर वल्र्ड विजन संस्था के साथ आगरा में टीबी रोग के खात्मे के लिए काम कर रहे हैं। यूनुस ने बताया कि जब वह टीबी से ग्रसित हुए तो डर के कारण उन्होंने परिवार के लोगों को भी नहीं बताया। उनके परिवार के नजदीकी डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने अपना उपचार कराया और उपचार के लिए पार्ट टाइम नौकरी भी की। उन्होंने कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि वे टीबी को देश से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं।