आगरा(ब्यूरो)। ताजनगरी में हवा की स्थिति सालभर संवेदनशील रहती है। यहां पर 12 में से आठ महीने तक एक्यूआई (एयर क्वॉलिटी इंडेक्स) 100 से 150 के बीच रहती है। सितंबर अक्टूबर, नवंबर में तो यह संवेदनशील स्थिति में पहुंच जाती है। इससे शहर के लोगों को काफी परेशानी होती है। जो लोग पहले लंग्स के मरीज हैैं उन्हें काफी परेशानी होती है।
खराब रहती है हवा
यह स्लो प्वॉइजन धीरे-धीरे लोगों को बीमार भी बना देता है। उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल द्वारा जारी किए गए आंकड़़ों के अनुसार नवंबर 2023 में बोदला और नुनिहाई क्षेत्र की हवा संवेदनशील थी। यहां का एक्यूआई 140 और 200 था। इसी तरह से अक्टूबर 2023 की स्थिति थी। यहां पर बोदला व नुनिहाई का एक्यूआई 122 और 155 था।
खराब हवा बना रही डायबिटिक
एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉ। प्रभात अग्रवाल ने बताया कि प्रदूषण और अत्याधिक तनाव से लोग डायबिटीज की चपेट में आ रहे हैं। डॉ। अग्रवाल ने बताया कि प्रदूषण, प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ, फसलों में रसायन का अत्यधिक इस्तेमाल से खाने, सांस लेने से शरीर में एंडोक्राइन डिसरङ्क्षप्टग केमिकल्स (ईडीसी) पहुंच रहे हैं। इनसे शरीर में एंडोक्राइन डिसरप्टर्स बन रहे हैं। ये इंसुलिन स्राव कम कर देते हैं और बीटा सेल्स ठीक से काम नहीं करते हैं। इससे युवाओं में 12 वर्ष से अधिक में डायबिटीज की समस्या बढ़ रही है। इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल (आईसीएमआर) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच देश में 7.7 करोड़ से 10 करोड़ डायबिटीज मरीज हो गए हैैं। देश में 36 परसेंट डायबिटीज रोगी बढ़े हैं।
फेंफड़ों में भी इंफेक्शन
एयर पॉल्यूशन के कारण फेंफड़े भी बीमार होने लगते हैैं। इनमें संक्रमण हो जाता है। सितंबर, अक्टूबर, नवबंर और दिसंबर माह में इसके मरीजों में अचानक से इजाफा हो जाता है। एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि एयर पॉल्यूशन बढऩे से बीते एक दशक में फेंफड़ों से संबंधी रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि वातावरण में एयर पॉल्यूशन होने से शरीर वायुमार्ग में जलन हो सकती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई आ सकती है। एयर पॉल्यूशन के कारण अस्थमा, निमोनिया, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), घुटन, ब्रॉन्काइटिस सहित फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैैं। ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे बचाव के लिए मास्क लगाना चाहिए। हम मरीजों को एयर पॉल्यूशन से बचाव करने और समय पर अपनी जांच कराकर उपचार लेने की सलाह देते हैैं।
12 महीने संवेदनशील रहती है आगरा की हवा
4.16 लाख-टाइप टू डायबिटीज
10 हजार-टाइप वन डायबिटीज
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आगरा में हवा की स्थिति
महीना - केंद्र - एक्यूआई - श्रेणी
जनवरी 2023- नुनिहाई- 197- संवेदनशील
फरवरी-2023- नुनिहाई- 223- संवेदनशील
मार्च-2023- नुनिहाई- 149- संवेदनशील
अप्रैल-2023 - नुनिहाई- 171- संवेदनशील
मई-2023- 130- संवेदनशील
जून-2023- 101- संवेदनशील
जुलाई-2023- 69- संवेदनशील
अगस्त-2023- 86-संवेदनशील
सितंबर-2023- 69- संवेदनशील
अक्टूबर-2023- 155- संवेदनशील
नवंबर- 2023-200- संवेदनशील
एयर पॉल्यूशन, प्लास्टिक में खाद्य पदार्थ, फसलों में रसायन का अत्यधिक इस्तेमाल से खाने, सांस लेने से शरीर में एंडोक्राइन डिसरङ्क्षप्टग केमिकल्स (ईडीसी) पहुंचते हैैं। इसके कारण इंसुलिन स्राव कम हो जाता है और शुगर अनियंत्रित हो जाती है।
- डॉ। प्रभात अग्रवाल, प्रोफेसर, एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा
हवा में पॉल्यूटेंटिंग एजेंट श्वांस नली में जाकर इंफेक्शन फैलाते हैैं। इस कारण श्वांसनली में सूजन आती है। यह लगातार रहने से फेंफड़ों में भी समस्या आ जाती है। इससे अस्थमा, निमोनिया, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), घुटन, ब्रॉन्काइटिस सहित फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैैं। ऐसे रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
- डॉ। संतोष कुमार, प्रोफेसर, टीबी एंड चेस्ट विभाग,एसएनएमसी