आगरा। स्मॉग होने पर सुबह मॉर्निंग वॉक पर जाने से बुजुर्गों को बचना चाहिए। इसके साथ ही कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों और गर्भवतियों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। घर से बाहर निकलें तो मास्क का प्रयोग करें। नाक और आंख में जलन हो तो डॉक्टर से संपर्क करें.
आवास विकास निवासी 65 वर्षीय मनोहर गुप्ता रोज सुबह पांच बजे वॉक पर जाते हैं। लेकिन इन दिनों वॉक के दौरान उनकी सांस फूलने लगी है। इसके साथ आंखों में जलन की भी समस्या है। ये सिर्फ गुप्ता जी के साथ ही नहीं हो रहा, बल्कि शहर में अस्थमा रोगियों, बुजुर्गों, कमजोर इम्युनिटी के लोगों को इस तरह की दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे वजह प्रदूषित आबोहवा है। शहर में पिछले 24 घंटे का एक्यूआई लेवल भले ही 213 रहा हो, लेकिन शहर के कई एरियाज में दिनभर एक्यूआई 400 से अधिक रहा। इसमें सबसे प्रदूषित संजय प्लेस रहा।
213 पिछले 24 घंटे में शहर का एक्यूआई
अधिक प्रदूषित तत्व:: पीएम 10, पीएम 2.5
6 मॉनिटरिंग स्टेशन शहर में
मनोहरपुर
संजय प्लेस
आवास विकास
रोहता
शाहजहां गार्डन
शास्त्रीपुरम
सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र
संजय प्लेस
419 एक्यूआई
पार्टिकल एवरेज मिनिमम मैक्सिमम
पीएम 2.5 270 170 306
पीएम 10 419 107 500
एनओ 2 33 22 53
एसओ 2 7 1 21
सीओ 46 28 135
ओजोन 45 36 47
एक्यूआई का किन पर ज्यादा असर
कमजोर फेफड़े वालों पर
सीओपीडी के मरीजों पर
कोविड से ठीक हो चुके लोगों पर
टीबी से ठीक हो चुके लोगों पर
एलर्जिक लोगों पर
अस्थमा के मरीजों पर
बुजर्गों पर
इस तरह करें खुद का बचाव
बाहर जाते हुए मास्क पहनना
गहरी सांस वाली एक्सरसाइज
इम्यूनिटी मजबूत
एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल
वॉकिंग का समय बदलना
क्या है पीएम पार्टिकल
पर्टिकुलेट मैटर या कण प्रदूषण भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। हवा में मौजूद कण इतने छोटे होते हैं कि आप नग्न आंखों से भी नहीं देख सकते हैं। कुछ कण इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का उपयोग करके पता लगाया जा सकता है। कण प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10 शामिल हैं, जो बहुत खतरनाक होते हैं।
पीएम 2.5
पीएम 2.5 वायुमंडलीय कण पदार्थ को संदर्भित करता है, इसमें 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास होता है, जो मानव बाल के व्यास के लगभग 3 परसेंट है। आम तौर पर पीएम 2.5 के रूप में लिखा जाता है। इस श्रेणी में कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें केवल इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप की मदद से ही पता लगाया जा सकता है।
पीएम 10
पीएम 10 वो कण हैं जिनका, व्यास 10 माइक्रोमेटर होता है और इन्हें फाइन पार्टिकल भी कहा जाता है। पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर भी कहते हैं। इसमें धूल, गर्द और धातु के सूक्ष्म कण शामिल होते हैं। पीएम 10 और 2.5 धूल, कंस्ट्रक्शन की जगह पर, कूड़ा जलाने और वाहनों के धुएं से ज्यादा बढ़ता है।
एयर में नॉर्मल वैल्यू
पीएम 2.5::: 60
पीएम 10:::: 100
मौसम में बदलाव का भी असर
उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी डॉ। विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि एक्यूआई बढऩे के पीछे कई कारण है। इसमें मौसम में बदलाव भी मुख्य वजह है। हवा नहीं चल रही है। धूप भी अच्छे से नहीं निकल रही है। इसके चलते आबोहवा में एक्यूआई का लेवल बढ़ रहा है।
एक्यूआई के बढऩे प्रमुख कारण
- निर्माण
- वाहनों से प्रदूषण
शहर में बढ़ते एक्यूआई लेवल को कंट्रोल करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। एक अक्टूबर से शहर में ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) लागू किया जा चुका है। जहां भी निर्माण कार्य जारी है, वहां निरीक्षण किया जा रहा है। गाइडलाइन के अनुसार निर्माण कार्य करने की अनुमति दी गई है। जो भी नियमों का पालन नहीं कर रहा है उन निर्माणदायी संस्थाओं को नोटिस भी जारी किए गए हैं। सड़कों पर पानी का छिड़काव कराया जा रहा है।
डॉ। विश्वनाथ शर्मा, क्षेत्रीय अधिकारी, उत्तर प्रदेश पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड