किराए पर रहने को हैं मजबूर
एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन अरोड़ा ने बताया कि वर्ष 2012 में शास्त्रीपुरम में नालंदा क्राउन के नाम से आवासीय परियोजना लॉन्च की गई थी। बिल्डर द्वारा मार्च-2014 तक प्रोजेक्ट पूरा कर ग्राहकों को प्रोजेक्ट हैंड ओवर करने का वादा किया गया, लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट हैंड ओवर नहीं किया गया। लोगों के पैसे फंसे पड़े हैं। लोग किराए पर रहने और मकान खरीदने को लिए गए लोन की ब्याज देने के लिए मजबूर हैं।

अधूरा पड़ा है प्रोजेक्ट
कोषाध्यक्ष सीए अंकुर जैन ने बताया कि यह आवासीय प्रोजेक्ट अभी तक आधा-अधूरा पड़ा है। योजना के अंतर्गत मकानों के बाहर बिजली, पानी, सीवर, लिफ्ट, पार्किंग, सिक्योरिटी आदि का कार्य नहीं कराया गया है। टॉवर संख्या एफ और जी को जोडऩे वाली लिफ्ट का ढांचा बनने के बाद तोड़ दिया गया है। फाउंटेन भी तोड़ दिए गए हैं। वादे के अनुसार क्लब हाउस और स्विमिंग पूल बनाए ही नहीं गए हैं।

बिल्डर की मंशा ठीक नहीं
शरद शर्मा ने कहा कि बिल्डर की मंशा ठीक नहीं है। हमें डर है कि वह ठेकेदारों से फर्जी बिलों का आसरा लेकर अपने आप को दिवालिया घोषित करके कहीं भाग न जाए। डॉ। सौरभ चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि सन 2012 में प्रारंभ यह योजना बिल्डर ने जनवरी, 2017 में उन्नति फॉच्र्यून को ट्रांसफर कर दी थी। फॉच्र्यून ग्रुप में नालंदा क्रॉउन को लेने के बाद बैंकों में गिरवी तो रख दिया, लेकिन दिए गए आश्वासन के अनुसार 5 साल में भी मकान उपलब्ध नहीं कराया। उन्होंने भी इस प्रोजेक्ट को दोबारा बेच दिया। उन्होंने बताया कि नए बिल्डर पंकज मित्तल और प्रमोद कुमार गुप्ता भी हमारे साथ हुई धोखाधड़ी के संबंध में कुछ भी मदद कर पाने में असमर्थता व्यक्त कर रहे हैं।

बैंक कर सकती है नीलामी
डॉ। विजय वीर सिंह ने बताया कि पहले इस प्रोजेक्ट पर 14 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। नए बिल्डर ने इस पर 25 करोड़ का लोन ले लिया है। बैंक का लोन चुकाया नहीं जा रहा है। लिहाजा बैंक कभी भी प्रॉपर्टी की नीलामी कर सकती है। दूसरी ओर इस प्रोजेक्ट में घर खरीदने वाले लोगों को बैंक द्वारा पैसा फाइनेंस नहीं किया जा रहा है। घर खरीदने वाले लोग परेशान हैं।

हमें दिलाएं हमारा आशियाना
राहुल देव कठेरिया, संजय प्रभाकर, जितिन अरोरा, अखिलेश पोरवाल, शरद गोपाल, वरुण कांत गोस्वामी और आर्किटेक्ट सतीश कुशवाह ने नालंदा क्रॉउन आवासीय प्रोजेक्ट के तहत अपना घर दिलवाने की अपील की। साथ ही जिला प्रशासन से धोखेबाज बिल्डर्स पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की।
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वर्ष 2012 में फ्लैट बुक किया था। अभी तक बिल्डर की ओर से पूरी तरह से निर्माण नहीं कराया गया है। जो निर्माण है, वह भी आधा-अधूरा पड़ा है। हम आज घर के लिए भटक रहे हैं, लेकिन हमारी गुहार सुनने वाला कोई नहीं है।
नितिन अरोड़ा

सन् 2012 में प्रारंभ यह योजना बिल्डर ने जनवरी, 2017 में उन्नति फॉच्र्यून को ट्रांसफर कर दी थी। फॉच्र्यून ग्रुप में नालंदा क्रॉउन को लेने के बाद बैंकों में गिरवी तो रख दिया, लेकिन दिए गए आश्वासन के अनुसार 5 साल में भी मकान उपलब्ध नहीं कराया।
डॉ। सौरभ चतुर्वेदी

लोगों के पैसे फंसे पड़े हैं। लोग किराए पर रहने और मकान खरीदने को लिए गए लोन की ब्याज देने के लिए मजबूर हैं।
सतीश कुशवाह


प्रोजेक्ट का केस एनसीएलटी में विचाराधीन है। प्रोजेक्ट पर लगातार कार्य कराया जा रहा है। हम फ्लैट देने के लिए तैयार हैं।
पंकज मित्तल, ओनर, वासु बिल्डर