आगरा (ब्यूरो)। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बच्चों की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सभी बच्चे हाईस्कूल के थे, इसलिए सभी की पैरवी उन्होंने की। नौ माह चले इस केस में न्यायालय ने दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए कहा कि स्टूडेंट्स ने जिन संस्थानों से हाईस्कूल में पढ़ाई की थी, उन्हें बीस सितंबर से पहले अधिसूचित अंक अपलोडिंग करने की व्यवस्था का कड़ाई से पालन करने को कहा गया है।

सचिव को भेजना होगा डाटा
स्कूल को हाईस्कूल की प्री-बोर्ड एग्जाम, 9 वीं क्लास के आधार पर परीक्षण सैद्धांतिक और व्यवहारिक, परियोजना कार्य के संबंध में क्रम से 70 और 30 में से अंकों को स्पष्ट रूप से विभाजित करके बोर्ड को भेजने होंगे। संस्थानों को तय समय के भीतर प्रतिवादी बोर्ड के सचिव के समक्ष उपरोक्त डाटा मैन्युअल रूप से उपलब्ध कराने के निर्देश जारी किए हैं।

लिस्ट के आधार पर अंकों की गणना
संशोधित लिस्ट के आधार पर अंकों की गणना और अंक प्रदान करेगा। यह प्रक्रिया बोर्ड द्वारा 15 जून को या उससे पहले की जाए तो क्योंकि इसमें शामिल छात्रों के शैक्षणिक करियर बचाने का मुद्दा है। बोर्ड अंक देने की अपनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद 20 जून को 2021 को जारी सरकारी आदेश के अनुसार बोर्ड संशोधित अंकपत्र, अंक एवं प्रतिशत अंकित जारी करेगा, जैसा कि उसने अन्य संस्थानों के बच्चों के संबंध में किया था।

अधिवक्ताओं ने रखा पक्ष
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान स्टूडेंट्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन चंद पाल के निर्देशन में योगेश कुमार, विकास भारती, देवरिषी कुमार राय तथा अक्षय गुप्ता आदि अधिवक्ताओं ने न्यायालय में स्टूडेंट्स का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम ने नरेश पारस भी मौजूद रहे।

सीएम तक पहुंच चुका था मामला
खाली मार्कशीट में नंबर देने की मांग को लेकर छात्र बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस की अगुवाई में लंबा आंदोलन किया था। इसके तहत डीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, जिला विद्यालय निरीक्षक, सांसद एसपी सिंह बघेल, विधायक धर्मपाल सिंह, पुरूषोत्तम खंडेलवाल, महापौर नवीन जैन, महिला बाल विकास मंत्री बेबीरानी मौर्य आदि को ज्ञापन सौंपे। शहीद स्मारक तथा ताजमहल के पास प्रदर्शन किया। कैंडल मार्च निकाला। हस्ताक्षर अभियान चलाया। जिला मुख्यालय पर अंकों की भीख मांगी। कुछ स्टूडेंट्स मुख्यमंत्री सभा में योगी आदित्यनाथ से अंक मांगने पहुंचे थे। जिन्हें भाजपाइयों तथा पुलिस ने पीटा था। हिरासत में भी लिया था। स्टूडेंट्स अपने पेरेंट्स के साथ मुख्यमंत्री दरबार लखनऊ भी गए थे।