आगरा(ब्यूरो)। सिकंदरा आवास विकास कॉलोनी के सेक्टर 14 में बांग्लादेशियों ने करीब दो हजार वर्ग मीटर में झुग्गी-झोपडिय़ां और कबाड़ के गोदाम भी बना रखे थे। 80 से अधिक झुग्गी-झोपडिय़ां हैं। इसमें से 40 में बांग्लादेशी रहते थे। अन्य झोपडिय़ों में कबाड़ के गोदाम थे। कबाड़ में भी अधिक मात्रा बायो मेडिकल वेस्ट की थी। आईबी के इनपुट पर पुलिस ने इनको पांच फरवरी को अरेस्ट किया। क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि रोज बस्ती में रहने वाले लोग बोरों में भरकर बायोमेडिकल वेस्ट लाते थे। हर चौथे दिन यहां से एक मिनी ट्रक में कबाड़ाभरकर जाता था।

हॉस्पिटल में नौकरी करता था मास्टरमाइंड
बांग्लादेशियों की घुसपैठ कराने का मास्टरमाइंड हालिम एक हॉस्पिटल में नौकरी करता था। ऐसे में बायो मेडिकल वेस्ट का धंधा करने का आइडिया भी उसका था। इसके लिए उसने पूरी बस्ती बसा दी। आसपास के हॉस्पिटल्स और पैथोलॉजी से बांग्लादेशी बायोमेडिकल वेस्ट लेकर आते थे। यहां बायो मेडिकल वेस्ट का सेग्रीगेशन कर प्लास्टिक और री-पैकेजिंग होने वाले प्रोडक्ट को अलग किया जाता था।

कुबेरपुर के पास बना है प्लांट
अभी शहर में जेआरआर वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से शहरभर की एचसीएफ (हेल्थ केयर फैसिलिटी) से बायो मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन किया जाता है। एचसीएफ में हॉस्पिटल, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी, क्लिनिक आदि शामिल हैं। कंपनी की ओर से कलैक्ट किए गए बायो मेडिकल वेस्ट का कुबेरपुर के पास प्लांट में निस्तारण किया जाता है। जानकारों के अनुसार अभी जो भी बायो मेडिकल वेस्ट कंपनी के पास पहुंच रहा है, उसमें कुछ सर्जिकल बायो मेडिकल वेस्ट का सिर्फ 30 से 40 परसेंट होता है। क्योंकि सर्जिकल बायो मेडिकल वेस्ट में अधिकतर प्रोडक्ट प्लास्टिक के होते हैं, वह कंपनी तक पहुंच ही नहीं पाता।

इतना बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है
औसतन रोज करीब एक हजार किलो बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है। इसकी मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच 1400 किलो तक तो नवंबर से मार्च तक 800 से 1000 किलो तक बायो मेडिकल वेस्ट का आंकड़ा पहुंच जाता है। यानी हजार किलो रोज का औसत माना जाए तो अभी कंपनी के पास जो बायो मेडिकल वेस्ट में प्लास्टिक पहुंचती है, वो 40 परसेंट, यानी 400 किलो होती है। बायो मेडिकल वेस्ट की 600 किलो प्लास्टिक बाजार में कबाड़े वालों के पास जाती है। इनमें सर्जिकल आइटम सबसे अधिक होते हैं। जिनमें प्लास्टिक की ग्लूकोज की बोतल, सीरिंज, आईवी सेट, यूरिन बैग आदि हैं। आवास विकास में बस्ती बसाकर रह रहे बांग्लादेशी इस धंधे को अंजाम दे रहे थे।

रिसाइकलर को बेच दिया जाता है
ऐसे में सवाल है कि आखिर बांग्लादेशी बायो मेडिकल वेस्ट को इकट्ठा कर कहां भेजते थे। जानकारों की मानें तो शहर में कई जगह कबाड़ के गोदाम में बायो मेडिकल वेस्ट का काम किया जाता है, जो कि नियमों का उल्लंघन है। बायो मेडिकल वेस्ट में से प्लास्टिक को अलग कर री-साइकल को बेच दिया जाता है। जो प्लास्टिक से अन्य प्रोडक्ट तैयार करते हैं। वहीं, नाम न छापने की शर्त स्क्रैप का काम करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि उनके पास कई बार बाहर से व्यापारी आते हैं बायो मेडिकल वेस्ट में सर्जिकल आइटम की डिमांड करते हैं। वह बायो मेडिकल वेस्ट के सर्जिकल आइटम आईवी सेट, सिरिंज आदि की अधिक मांग करते हैं। इन प्रोडक्ट की प्लास्टिक अच्छी क्वॉलिटी की होती है। ऐसे में इनकी री-पैकेजिंग कर दी जाती है।

बायो मेडिकल वेस्ट मिलता कहां से है?
जेआरआर वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड की ओर से बायो मेडिकल वेस्ट कलैक्शन के एवज में चार्ज भी लिया जाता है। इसमें हॉस्पिटल के लिए करीब 9.50 रुपए बेड प्रति डे के हिसाब से तो क्लिनिक के लिए 500 रुपए महीने और पैथोलॉजी के लिए ये चार्ज 1500 रुपए है। इस खर्चे से बचने के लिए कुछ छोटे अस्पताल कबाडिय़ों को बायो मेडिकल वेस्ट देते हों, इसकी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। वहीं बायो मेडिकल वेस्ट कबाडिय़ों के पास जाने के पीछे सबसे बड़ी वजह हॉस्पिटल प्रबंधन की अनदेखी है। जेआरआर कंपनी में रजिस्टर्ड होने के बाद भी हॉस्पिटल में काम करने वाली कर्मचारी बायो मेडिकल वेस्ट को कबाडिय़ों को बेच देते हैं, तो हॉस्पिटल प्रबंधन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। छोटे हॉस्पिटल में इस कार्य को बड़ेस्तर पर अंजाम दिया जा रहा है।

इस तरह है बायो मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन चार्ज
1300 एचसीएफ रजिस्टर्ड हैं जेआरआर वेस्ट मैनेजमेंट प्रालि से
500 रुपए महीने क्लीनिक के लिए निर्धारित
1500 रुपए महीने पैथोलॉजी के लिए निर्धारित
9.50 रुपए बेड प्रति डे हॉस्पिटल के लिए निर्धारित

एचसीएफ
- हॉस्पिटल
- क्लीनिक
- एक्सरे
- पैथोलॉजी
- ब्लड बैंक

बायो मेडिकल वेस्ट के इन प्रोडक्ट की कबाड़ में डिमांड
- सिरिंज
- आईवी सेट
- ग्लूकोज की प्लास्टिक बोतल
- फ्लूड पाइप
- अन्य प्लास्टिक के सर्जिकल प्रोडक्ट

800 से 900 किलो रोज निकलता है नवंबर से मार्च के बीच बायो मेडिकल वेस्ट
1200 से 1400 किलो रोज निकलता है अप्रैल से अक्टूबर के बीच बायो मेडिकल वेस्ट

कबाडिय़ों के पास बायोमेडिकल वेस्ट पहुंच रहा है। इसको रोका जाना चाहिए। इससे संक्रमण फैलने का भी खतरा रहता है।
जितेंद्र शर्मा, सीईओ एंड डायरेक्टर, जेआरआर वेस्ट मैनेजमेंट प्रालि.

बायो मेडिकल वेस्ट के कलेक्शन के लिए कंपनी कार्यरत है। हमारी टीम भी समय-समय पर सुनिश्चित करती है कि बायो मेडिकल वेस्ट का प्रॉपर सेग्रीगेशन और कलेक्शन हो। इसको लेकर पूर्व में अभियान भी चलाया गया है।
अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ आगरा