आगरा। नदीम बताते हैैं कि वे बचपन से ही बैल्डिंग का काम कर रहे हैैं। बालूगंज आगरा का बाइक रिपेयरिंग का सबसे बड़ा हब है। वे पहले बाइक इत्यादि में बैल्डिंग का काम करते थे। लेकिन वे अब केवल इवेंट इत्यादि में यूज होने वाले विभिन्न आइटम्स को बनाते हैैं। नदीम ने बताया कि वे जरूरत के हिसाब से किसी भी वस्तु का इंटरनेट पर फोटो देखते हैैं और फिर उस वस्तु को खुद बना देते हैैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में जब उनकी दुकान बंद हो गई तो उन्होंने इंटरनेट पर ई-बाइक की तस्वीर देखी। तभी उन्होंने इसे बनाने का सोचा। लॉकडाउन खुलते ही उन्होंने ई-बाइक बनाना शुरू कर दिया। इसके लिए उन्होंने पुरानी लूना खरीदीकर दो स्ट्रक्चर तैयार किए। इसके बाद साइकिल के हैंडल और लोहे के पाइपों और टीन से बाइक की बॉडी तैयार की। पुरानी लूना के पार्ट्स और पहिये इस्तेमाल किए। मनचाहे डिजाइन की दो अलग-अलग बॉडी तैयार करने के बाद उनके पिछले पहिए पर मोटर लगाई। बीच में 12 वोल्ट की चार बैटरियां लगाई। बाइक रात में भी चल सकें इसलिए उसमें इंडिकेटर और हेडलाइट भी लगाई। एक पेट्रोल बाइक के जैसी सभी सुविधाएं देने के बाद दोनों ई-बाइक को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। नदीम अकेले घूमने के लिए राकेट की शक्ल की सिंगल सीटर और परिवार के साथ के लिए लूना के लुक की बाइक को इस्तेमाल करते हैं।
30 हजार में तैयार हुई ई-बाइक
नदीम ने बताया की ई-बाइक बनाने में 30 हजार रुपए खर्च हुए हैं। चार्जिंग में पांच से छह घंटे का समय लेती हैं। इसके बाद आराम से 50 किलोमीटर तक चलती हैं। बाइक की मैक्सिमम स्पीड 35 किमी प्रतिघंटा है।
मैैंने इंटरनेट पर ई-बाइक की तस्वीर देखी थी। इसके बाद मैैंने इसे बनाया। यह पेट्रोल से काफी ज्यादा किफायती है। दिनभर में बमुश्किल एक यूनिट खर्च होती है। इसे बनाने के बाद मुझे फील होता है कि मैैंने वाकई कुछ अच्छा बनाया है। विदेशी टूरिस्ट भी इस बाइक को देखकर रुक जाते हैैं।
- नदीम कुरैशी, बैल्डर