म्यूजियम में रखीं हैं प्राचीन मूर्तियां
एएसआइ ने वर्ष 2014 में फतेहपुर सीकरी स्थित टकसाल में संग्रहालय बनाया था। फतेहपुर सीकरी में वर्ष 1976 व 1999-2000 में हुए उत्खनन में प्राप्त मूर्तियां, पुरावशेष, मुगल सैनिक की तलवार आदि यहां प्रदर्शित की हुई हैं। इसमें बीर छबीली टीले पर हुए उत्खनन में मिली छठी-सातवीं शताब्दी की नेमिनाथ की यक्षिणी अंबिका की लाल बलुई पत्थर की प्रतिमा सबसे प्राचीन है। 11वीं शताब्दी की जैन सरस्वती की प्रतिमा सबसे अधिक आकर्षण का केंद्र है। तीर्थंकर आदिनाथ व संभवनाथ की प्रतिमाएं, मिट्टी की बनी मूर्तियां, सातवीं से 17वीं शताब्दी की धातु की बनीं वस्तुएं, कुषाण काल के मृद्भांड यहां हैं। हाड़ा महल के पास किए गए उत्खनन में 1200 से 800 ईसा पूर्व के चित्रित धूसर मृद्भांड, 600 से 200 ईसा पूर्व के नोर्दर्न ब्लैड पोलिश्ड वेयर, ईसा से 200 वर्ष पूर्व के गैरिक मृद्भांड, शुंग व कुषाण काल के पुरावशेष मिले थे। इनमे से बहुत से पुरावशेष प्रदर्शित नहीं किए जा सके हैं। वह एएसआइ के पास सुरक्षित रखे हैं। इन पुरावशेषों के प्रदर्शन को संग्रहालय को अपग्रेड किया जाएगा। प्रदर्शित वस्तुओं को रीअरेंज किया जाएगा। इसमें जो जगह बचकर निकलेगी उसमें अन्य पुरावशेषों को प्रदर्शित किया जाएगा। अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ। राजकुमार पटेल ने बताया कि फतेहपुर सीकरी संग्रहालय में हम उत्खनन में प्राप्त पुरावशेष लगाएंगे।

सबसे पुराना ताज संग्रहालय
ताज संग्रहालय सबसे प्राचीन है। रायल गेट में वर्ष 1906 में इसकी स्थापना हुई थी। वर्ष 1982 में इसे पश्चिमी नौबतखाने में शिफ्ट कर दिया गया था। शहंशाह शाहजहां व मुमताज के हाथी दांत पर बने चित्र, शाही फरमान, पांडुलिपियां, अकबर का सिक्का, तलवारें व अन्य शस्त्र, ताजमहल का 19वीं शताब्दी में बना प्राचीन नक्शा यहां हैं। यहां रंग बदलने वाली रकाबी (तस्तरी) भी है। इसके साथ लगाए गए नोट््स में बताया गया है कि जहरीला पदार्थ मिला भोजन परोसे जाने पर तस्तरी रंग बदलती या टूट जाती है। इसे दिल्ली संग्रहालय से यहां लाया गया था।

छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय
शिल्पग्राम के नजदीक छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय निर्माणाधीन है। यहां जनवरी, 2020 से काम बंद है। इसकी कास्ट रिवाइज्ड होने का प्रस्ताव शासन में लंबित है। इसके साथ ही पालीवाल पार्क स्थित जोंस लाइब्रेरी में भी संग्रहालय संचालित है।