हो सकेगी प्रॉपर मॉनिटरिंग
शहर में जलभराव की समस्या से लोगों को जूझना पड़ता है। इसके साथ सीवर और डे्रनेज के ओवरफ्लो की भी समस्या रहती है। टाइम से इंफॉर्मेशन डिपार्टमेंट तक नहीं पहुंचने के चलते समस्या का समाधान नहीं हो पाता। लेकिन अब स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटिड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से नजर रखी जाएगी। नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल की पहल पर इसके लिए एआई की मदद ली जाएगी। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल सेंटर में इस प्रोजेक्ट का ट्रायल शुरू हो गया है।


इस तरह करेगा काम
शहर में 1523 कैमरे लगे हैं। 43 क्रॉसिंग के साथ 267 लोकेशन पर ये कैमरे लगेे हैं। इसके साथ ही सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर में विभिन्न स्थानों पर लगे 3069 कैमरों को भी स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से इंटीग्रेटिड किया गया है। अब इन कैमरों का इस्तेमाल शहर में जलभराव रोकने में भी किया जाएगा। आगरा स्मार्ट सिटी के चीफ डाटा ऑफिसर सौरभ अग्रवाल ने बताया कि कैमरों को एक सॉफ्टवेयर से कनेक्ट किया गया है, जो एआई से लैस है।

कंट्रोल रूम से विभाग को होगी कंप्लेन
शहर में वॉटर लॉगिंग के साथ सीवर या ड्रेनेज फ्लो की जहां भी समस्या होगी, कैमरा उसे कैप्चर्ड कर कंट्रोल रूम में अलर्ट मैसेज देगा। स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से मैसेज निगम में संबंधित विभाग को भेजा जाएगा। विभाग की ओर से मौके पर टीम भेजकर समस्या का निस्तारण कराया जाएगा।


- 300 करोड़ रुपए से तैयार हुआ आईसीसीसी
- 1523 कैमरे लगाए गए हैं शहर भर में
- 1518 कैमरे प्रॉपर वर्क करने का है दावा
- 3069 प्राइवेट सीसीटीवी कैमरे स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम से किए जा चुके हैं इंटीग्रेटेड
- 43 स्थानों पर पैनिक बटन लगाए गए हैं
- 43- पीए, पब्लिक एड्रेस सिस्टम
- 39- एनवायरनमेंट सेंसर
- 63- क्रॉसिंग पर ट्रैफिक सिग्नल

लगाए गए हैं चार प्रकार के कैमरे
पीटीजेड कैमरा: चौराहों पर पीटीजेड कैमरे लगाए गए हैं। इस कैमरे की खासियत ये होती है कि इसे रिमोट के माध्यम से कम ज्यादा किया जा सकता है। इसकी जूम को भी बढ़ाया जा सकता है। यह किसी एक विषय वस्तु पर फोकस कर सकता है। जैसे वस्तु मूव करेगी तो ये कैमरा भी साथ ही मूव करेगा। ये 500 मीटर तक ऑब्जेक्ट को कैप्चर्ड कर सकता है। वॉटर लॉगिंग की समस्या से निपटने में इसका रोल अहम होगा।

एएनपीआर कैमरा: ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्रिशन कैमरा, ये कैमरा व्हीकल्स की नंबर प्लेट को कैच करने में सहायक है.इस कैमरे की खासियत ये है कि ये कैमरा दौड़ते हुए वाहनों की नंबर प्लेट का कैप्चर कर लेगा। इसका डाटा सॉफ्टवेयर पर अपलोड हो जाता है।

- आरएलवीडी। रेड लाइट वॉल्यूशन डिटेक्शन कैमरा, इस प्रकार के कैमरे चौराहों पर ई-चालान के लिए लगाए गए हैं। इन कैमरों के माध्यम से रेड लाइट क्रॉस करने या बिना हेलमेट के कोई दोपहिया वाहन चालक गुजरता है, तो ये कैमरा उसको डिडेक्ट कर कैप्चर कर उसको सेव कर देगा। सॉफ्टवेयर में इंटरनेट कनेक्टिविटी होने के साथ ई-चालान ऑटोमेटिक हो जाएगा।

- फिक्स बॉक्स कैमरा: चौराहे या पूरे शहर की निगरानी के लिए फिक्स बॉक्स कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों की खासियत ये है कि ये पूरे बाजार गली, चौराहे या सड़क को कवर करता है।


शहर में वॉटर लॉगिंग, सीवर और डे्रेनेज ओवरफ्लो आदि समस्याओं पर स्मार्ट सिटी के कंट्रोल रूम से नजर रखी जाएगी। इसके लिए एआई (ऑर्टिफिशिल इंटेलिजेंस) की मदद ली जाएगी।
अंकित खंडेलवाल, नगरायुक्त, नगर निगम