आगरा(ब्यूरो)। इंडियन फुटवियर कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इफकोमा) द्वारा सिकंदरा स्थित मधु रिसॉर्ट में आयोजित शूटेक-2023 में देशभर के जूता कारोबारियों ने प्रदर्शनी लगाई है। इनमें आगरा के प्रिंटिंग कारोबारी जितेंद्र सिंह ने भी अपनी प्रदर्शनी लगाई। जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने शू प्रिंटिंग के कारोबार में उन्होंने शुरूआत ही की है। इसे खूब पसंद किया जा रहा है। हम लोगों को कस्टमाइज (अपनी मर्जी के प्रिंट करवाने) शू पहनने की सुविधा देने जा रहे हैैं। देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि शू अपर प्रिंटिंग की मशीन लगाई गई है। अब तक लिमिटेड प्रिटेंड रोल ही चाइना से आते थे। जिनसे प्रिंटेड शू बनाए जाते थे। लेकिन अब हम हजारो डिजाइन से प्रिंटेड शू अपर बना रहे हैैं।
शंघाई से आया आईडिया
जितेंद्र ने बताया कि वह शू इंडस्ट्री से नहीं है। लेकिन 15 सालों से आगरा में फ्लैक्स प्रिंटिंग का कारोबार कर रहे हैैं। आज से पांच साल पहले 2018 में वह शंघाई में गए थे। वहां पर शू को प्रिंट करने वाली मशीन लगाई गई थी। तभी से हमें यह आईडिया आया था। इसके बाद से ही हमने अपने यहां पर शू प्रिंटिंग मशीन लगाने की ठानी थी। इसके बाद हमने बीते दो साल में शू को प्रिंट करने के लिए मशीन तैयार की। शुरूआत में हमें इसके लिए चुनौतियों का सामना किया। लेकिन मेहनत करने से यह हमने कर लिया। अब हम जूते के अपर बनाने के लिए यूज होने वाले मैटेरियल रेगजिन, पेटेंट, सिंथेटिक, लेदर, सोल और कैनवास पर प्रिंटिंग कर रहे हैैं। इसको शू कारोबारी पसंद कर रहे हैैं और हमें काफी ऑर्डर भी दे रहे हैैं।
हमेशा इनोवेटिव करने की चाह
जितेंद्र ने बताया कि वह फिजिक्स में एमएससी के स्टूडेंट रहे हैैं। इसलिए तकनीक में हमेशा ही उनका दिमाग लगता है। इससे पहले भी हम आगरा में पहले एचपी लेटेक्स इंक को यूज करने वाले प्रिंटर हैैं। यह इंक मनुष्य को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है। जितेंद्र के पार्टनर राकेश चंद्र ने बताया कि हम जूते के सोल पर भी प्रिंटिंग कर रहे हैैं। अभी तक इस पर स्टीकर लगाया जाता था। लेकिन अब हमें प्रिंट कर रहे हैैं।
इन पर करते हैैं प्रिंटिंग
रेगजिन
सिंथेटिक
लेदर
सोल
कैनवास
चार साल पहले चाइना गया था। वहां पर शू को प्रिंट करने वाली मशीन देखी थी। तभी से हमने इसे अपने यहां पर लगाया था। इंडिया में हमने पहली बार आगरा में इस मशीन को लगाया है। हमारा उद्देश्य कस्टमाइज प्रिंटेड शू लोगों तक पहुंचाना है।
- जितेंद्र सिंह, ग्लो एड वल्र्ड