स्टाफ का मतभेद बन रहा बाधा
साइबर व तकनीकी मामलों के एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि व्यवसाय जगत में एंप्लॉयर और स्टाफ के बीच होने वाले विवादों के दौरान मतभेद होने पर डिजिटल डाटा पासवर्ड और डिजिटल प्रपत्रों की समय-समय पर चोरी की जाती रहती है, जिसकी जानकारी एंप्लॉयर को तब होती है जब कर्मचारियों के कार्य को छोडऩे के बाद उस डाटा और प्रपत्रों का उनके द्वारा दुरुपयोग किया जा चुका होता है। ऐसे मामलों से बचने के लिए कारोबारियों को जागरुक होने की जरूरत है। वह ऐसे उपाय अपनाएं, जिनसे वह अपने ऑफिस के भीतर भी डाटा चोरी होने से रोक सकें।
रक्षित टंडन ने बताया कि बिना कंसेंट के डाटा चुराना अपराध है। आईटी एक्ट की धारा-66 सी, 66-डी और 66-बी के तहत सजा की भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति चोरी का डाटा रखता है या यूज करता है तो यह भी अपराध है। उन्होंने बताया कि अब कारोबारियों के लिए जरूरी हो गया है कि वह डिजिटल दौर में अपने कारोबार की सुरक्षा करेें और अपने डाटा की सुरक्षा के लिए प्रोएक्टिव रहें। कारोबारियों को बाहरी खतरे के साथ-साथ अंदरुनी खतरों का भी ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब कारोबारी जान लें कि उन्हें ऑफिस में सीसीटीवी और दरवाजे पर गार्ड के साथ में अपने इंटरनल कंप्यूटर सिस्टम के लिए भी सिक्योरिटी पर ध्यान दें। उन्होंने बताया कि कारोबारी ऑफिस में डाटा लीकेज प्रिवेंशन (डीएलपी) को यूज कर सकते हैैं। इसमें यदि कोई डाटा निकालने की कोशिश करता है तो अलार्म बज जाता है। एंप्लॉई डाटा को एक्सेस करते हैैं तो आपके पास नोटिफिकेशन आ जाता है। उन्होंने कहा कि कारोबारियों को अपने प्रोपराइटरी डाटा पर ध्यान देना चाहिए।
यूज करें सिक्योरिटी टूल
नेशनल चैैंबर ऑफ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के साइबर व तकनीकी प्रकोष्ठ के सचिन सारस्वत ने बताया कि कारोबारियों को ध्यान रखना होगा कि वह डाटा शेयरिंग पर डिफरेंट्स एक्सेस यूज करें। टाइम टू टाइम पासवर्ड चेंज करते रहें। पासवर्ड को स्ट्रॉन्ग रखें। कंपनी के इंटरनल डाटा के लिए डबल या ट्रिपल प्रोटेक्शन यूज करें। जब भी एंप्लॉय इसे एक्सेस करता है तो नोटिफिकेशन आएगा।
ताजनगरी में भी ऐसा ही मामला आया सामने
आगरा के कारोबार प्रदीप वाष्र्णेय सैन्सिको इंटरनेशनल ओनर हैैं। उनके साथ बीते दिनों ऐसी ही घटना घट चुकी है। जिसके कारण उन्हें कारोबार में काफी परेशानी झेलनी पड़ी। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी में सेल्स एग्जीक्यूटिव आषीत अग्रवाल काम करते थे। आषीत ने कंपनी से रिजाइन दे दिया। कंपनी द्वारा उनका पूरा पेमेंट भी कर दिया गया। बाद में आषीत द्वारा कंपनी का डाटा चुराकर उसका दुरुपयोग करते हुए कंपनी की छवि को नुकसान पहुंचाया। उसके द्वारा फर्म की गोपनीय जानकारी को लीक किया गया और सभी ग्राहकों को भ्रमित किया। ई-मेल के जरिए कंपनी के ग्राहकों का डाटा चुराया और गूगल पर कंपनी के खिलाफ गलत फीडबैक भी दिया। इससे प्रदीप वाष्र्णेय परेशान हो गए। बाद में उन्हें ग्राहकों से बात करके डैमेज कंट्रोल किया।
पुलिस कमिश्नर से मिली मदद
प्रदीप वाष्र्णेय ने बताया कि पहले तो पुलिस भी एफआईआर नहीं लिख रही थी, ऐसे में हमने अपने पूर्व कर्मचारी को नोटिस भी भेजा। लेकिन बाद में पुलिस कमिश्नर डॉ। प्रीतिंदर सिंह के सामने चैैंबर द्वारा आयोजित सेमिनार में अपनी पीड़ा सामने रखी। उन्हें बताया गया कि डाटा चोरी करना एक संगीन अपराध है और यह एक दंडनीय कृत्य है। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को यह भी बताया कि उन्होंने कर्मचारी से अप्वॉइंटमेंट लेटर के साथ नॉन डिस्क्लोजर एग्रीमेंट पर भी के साइन करा लिए थे। उस कर्मचारी ने सभी ग्राहकों को मिथ्या व बनावटी ई-मेल डालीं तथा कंपनी के सभी पासवर्ड बदल दिए और गोपनीय अभिलेखों के साथ भी खिलवाड़ किया। प्रदीप वाष्र्णेय ने बताया कि पुलिस कमिश्नर द्वारा उनकी बात सुनने के बाद तुरंत संज्ञान लिया गया और एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए और उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिए।
कंपनी के डाटा को सिक्योर करने के लिए यह करें
- डाटा शेयरिंग पर डिफरेंट्स एक्सेस टूल्स को यूज करें
- टाइम टू टाइम पासवर्ड चेंज करते रहें
- पासवर्ड को स्ट्रॉन्ग रखें
- डबल या ट्रिपल प्रोटेक्शन यूज करें। जब भी एंप्लॉय इसे एक्सेस करता है तो नोटिफिकेशन आएगा।
- कंपनियों को जागरुक रहना चाहिए
- अंदरुनी खतरों ध्यान रखना चाहिए
- डाटा लीकेज प्रिवेंशन (डीएलपी) का यूज करें
- प्रोपराइटरी डाटा पर ध्यान देना चाहिए
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डाटा चुराना है अपराध
- बिना कंसेंट के डाटा चुराना आईटी एक्ट की धारा धारा-66 बी, 66-सी, 66-डी के तहत अपराध है.
- चोरी का डाटा रखना और यूज करना भी अपराध है.
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डाटा चोरी करना या चोरी के डाटा को रखना या उसे यूज करना आईटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। कारोबारियों को भी अपना डाटा सिक्योर करने के लिए प्रोएक्टिव रहना होगा। इसके प्रति जागरुकता बढ़ानी होगी। वह अपने प्रोपराइटरी डाटा पर ध्यान दें।
- रक्षित टंडन, साइबर एक्सपर्ट
कारोबारियों के लिए डाटा लीक बड़ी समस्या बनकर उभरा है। चैैंबर कारोबारियों की समस्या को अधिकारियों तक पहुंचता है। इसके साथ ही विभिन्न मुद्दों पर जागरुकता सेमिनार भी करवाता है। हमारा उद्देश्य कारोबार को सुगम बनाना है।
- राजेश गोयल, चैैंबर प्रेसिडेंट
साइबर के साथ-साथ अब इंटरनल माध्यम से भी डाटा को सिक्योर करना जरूरी है। कारोबारियों को इस ओर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए पासवर्ड को समय-समय पर बदलना और टू-स्टेप और थ्री-स्टेप प्रोटेक्शन को यूज करें।
- सचिन सारस्वत, साइबर व तकनीकी एक्सपर्ट
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100 करोड़ से अधिक के कारोबार का डाटा लीक से हो चुका है नुकसान
50 से अधिक व्यापारी हो चुके हैैं ऐसे मामलों से पीडि़त
90 परसेंट मामले नहीं आ पाते हैैं सामने
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