डिपो में बना है पंप
ईदगाह डिपो में करीब 85 बसें हैं। इन बसों में डीजल डालने के लिए डिपो में ही पंप बना हुआ है। 12 अगस्त को पंप पर डीजल की जांच की गई तो डॉक्यूमेंट दर्ज आंकड़ों से भौतिक निरीक्षण में डीजल काफी कम मिला। पंप संख्या एक में जहां 301.24 लीटर डीजल डॉक्यूमेंट में दर्ज आंकड़ों से कम मिला। वहीं पंप संख्या-2 में 5036 लीटर डीजल कम मिला। 5337 लीटर डीजल कम मिलने के बाद विभाग में खलबली की स्थिति बन गई। अपना गिरेबां बचाने के लिए जिम्मेदारों ने स्पष्टीकरण मांगते हुए अधीनस्थों को नोटिस जारी कर दिया। एआरएम ईदगाह की ओर से जारी लेटर में जवाब देने के लिए तीन दिन की मोहलत दी गई। 14 अगस्त को एआरएम की ओर से डीजल अनुभाग में तैनात रामकुमार समेत तीन के खिलाफ निलंबन लेटर जारी कर दिया गया।
पुराना है विभाग में इस तरह का खेल
सूत्रों की मानें तो रोडवेज विभाग में डीजल चोरी का ये खेल पुराना है। पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन पूरा खेल उच्च अधिकारियों की जानकारी में होता है। ऐसे में लेनदेन कर मामले को निपटा दिया जाता है।
अफसरों की गाड़ी में डलता है डीजल
नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि डिपो पर बने पंप से कई अधिकारियों की गाड़ी में डीजल डलता है। अधिकारियों के निर्देश पर सबकुछ होता है.आखिर में फंसते कर्मचारी हैं।
घोटाले को छिपाने को अजब-गजब कहानी
नाम न छापने की शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि डिपो में करीब पांच से छह महीने पहले ऑयल टैंकर पंप के लिए आया था। यहां टैंकर से डीजल भरने के लिए पाइप को पंप में लगाया गया, लेकिन जिस पंप के टैंक में पाइप लगाया गया था, वह पहले से भरा था.ओवरफ्लो होकर करीब चार हजार लीटर डीजल बर्बाद हो गया था। बताया गया कि उस समय में ड्यूटी दे रहा क्लर्क नशे में था। वह पाइप लगाकर सो गया था। डीजल बर्बाद होता रहा। बड़ा सवाल ये है कि घोटाले को छिपाने को जिम्मेदारों ने अजब-गजब कहानी रची। बाद में ये मामला आला अधिकारियों तक मामला पहुंचा तो वह इस दबाने में जुट गए। जिम्मेदार क्लर्क पर कार्रवाई करने की बजाय उसे बचाने का प्रयास शुरू हो गया। बताया गया कि क्लर्क ने अधिकारियों से लेनदेन कर अपना ट्रांसफर आईएसबीटी पर करा लिया। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कहीं ये डीजल लॉस वही तो नहीं है। कागजों में आंकड़े दुरुस्त रखे जा रहे थे। पूरा खेल अधिकारियों के संज्ञान में था। महीनों बाद अब इस खेल को खोला गया है। चहेते क्लर्क को बचा लिया गया है।
क्या अफसरों पर होगा एक्शन
डिपो से पांच हजार लीटर से अधिक डीजल गायब होने का मामला सामने आता है। आरएम से लेकर एआरएम तक इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। ऐसे में ये सवाल खड़े करता है। सवालों के घेरे में तो विभाग की ओर से की गई कार्रवाई भी है। इतनी बड़ी मात्रा में डीजल चोरी होने के बाद भी एआरएम समेत किसी अधिकारी से कोई जवाब नहीं मांगा गया है। इस संबंध में आरएम बीपी अग्रवाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी से बात नहीं हो सकी।