आगरा (ब्यूरो) हल्की सर्दी का आकर्षण मनुष्यों के साथ पङ्क्षरदों को भी आकर्षित करता है। पानी का दरिया और वृक्षों की कतार के बीच पंख फडफ़ड़ाते पक्षियों की चहचहाहट हर किसी को आकर्षित करती है। इसका आनंद लेने का समय भी आ गया है। ताजनगरी में हर वर्ष अक्टूबर के अंत से प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। प्रवासी पक्षी यहां आते हैं। सर्दियों की धूप सेंकते हैं और घोंसले भी बनाते हैं। साथ ही अपनी चहचहाहट और आकर्षक पंखों से रंगबिरंगी छटा बिखेर जाते हैं। मार्च के अंत में प्रवासी पङ्क्षरदे अपने-अपने देशों के लिए उड़ान भरते हैं। सर्द मौसम शुरू होते ही सूर सरोवर और जोधपुर झाल में सबसे बड़े आकार के प्रवासी पक्षी पेलिकन ने यहां के आकर्षण को और बढ़ा दिया है। इनके साथ अन्य पक्षी भी चहचहाहट से पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।


उप वन संरक्षक चांदनी ङ्क्षसह ने बताया ताजनगरी में केवल बड़े आकार वाले पक्षी ही प्रवास नहीं करते। हजारों किलोमीटर यूरोप, साइबेरिया, हिमालय और मध्य एशियाई देशों से अनोखी यात्रा करके कई रंग बिरंगे छोटे-छोटे स्थलीय पक्षी भी ताजनगरी के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं। यह प्रवासी पक्षी ताजनगरी के जंगल, झाडिय़ों और वेटलैंड्स पर पहुंच कर प्रकृति के सौन्दर्य में चार चांद लगा रहे हैं। बताया सूरसरोवर और जोधपुर झाल में पेलिकन के साथ अन्य प्रजातियों ने डेरा जमा लिया है। भारत में पेलिकन की तीन प्रजातियां प्रवास पर आती हैं। दो डालमेशन पेलिकन और ग्रेट व्हाइट पेलिकन (रोजी पेलिकन) प्रवासी प्रजातियां हैं। स्पाट-बिल्ड पेलिकन प्रजनक आवासीय प्रजाति है। आगरा में ग्रेट-व्हाइट पेलिकन के साथ संकटग्रस्त डालमेशन पेलिकन प्रजाति भी सूर सरोवर बर्ड सेंक्चुरी और यमुना में डेरा डालती हैं। भारतीय क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों का माइग्रेशन सेंट्रल एशियन पलाइ-वे से होता है। इसमें उत्तर, मध्य और दक्षिण एशिया, यूरोप के करीब 30 देश शामिल हैं। इस फ्लाई-वे से 182 प्रजातियों के पक्षी सर्दियों में आते हैं, जिसमें 29 संकटग्रस्त हैं। बताया पङ्क्षरदों को रात्रि में उड़ान भरना जोखिम भरा होता है। यात्रा को सुरक्षित करने के लिए प्रवासी पक्षी झुंड में एक विशेष ध्वनि निकालते हैं। इस ध्वनि को फ्लाइट काल कहते हैं। इस फ्लाइट काल से पक्षी आपस में संचार व संवाद स्थापित करते हैं और अपने झुंड से बिछड़ते नहीं हैं। फ्लाइट काल का अनुसरण न करने वाले पक्षी अधिकतर टकराकर मर जाते हैं।

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अब तक आ चुके हैं ये पक्षी
पेलिकन की दो प्रजातियों के अलावा ग्रेटर कोर्पोरेन्ट, ग्रीन ङ्क्षवग्ड टील, कामन पिनटेल, यूरेशियन स्पून-बिल, पेंटेड स्टार्क सहित प्रवासी पक्षियों का जमघट सूर सरोवर में लग चुका है।
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प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर
वाइल्ड लाइफ वार्डन कृष्णा चंद्रशेखर ने बताया कि सूर सरोवर में पेलिकन और अन्य प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर अतिरिक्त निगरानी कराई जा रही है।
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यहां दिखते हैं प्रवासी पङ्क्षरदे
सूर सरोवर कीठम, जोधपुर झाल, चंबल क्षेत्र बाह, ताज नेचर वाक, फतेहपुर सीकरी, किरावली, सेवला वेटलैंड के जंगलों में सर्दियों के प्रवास पर अपना आशियाना बनाते हैं। साथ यमुना नदी रुनकता, कैलाश-बाईंपुर, दशहरा घाट, पोइया घाट, दयालबाग, करभना, खारी नदी, उटंगन नदी अरनोटा, किवाड नदी तांतपुर-जगनेर, करबन नदी-झरना नाला फिरोजाबाद रोड प्रमुख वेटलैंड्स और नदी किनारे के क्षेत्र हैं। यहां प्रतिवर्ष प्रवासी पक्षी दिखते हैं