हजारों की संख्या में पहुंचते हैं लोग
कलक्ट्रेट और सदर तहसील, दो ऐसे सरकारी परिसर हैं, जहां रोज हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। बावजूद इसके यहां फरियादियों के लिए बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। टॉयलेट तक लोगों को साफ नहीं मिलते। गंदे टॉयलेट का यूज करना पड़ता है या फिर खुले में टॉयलेट जाना होता है।
दो पर लटके हैं ताले
कलक्ट्रेट परिसर में तीन टॉयलेट हैं। एक बाहर की ओर एमजी रोड पर सुलभ शौचालय बना हुआ है। ये पे एंड यूज है। अन्य तीन टॉयलेट में से दो बंद रहते हैं। एक टॉयलेट इस तरह गंदा रहता है कि इसका इस्तेमाल करना मुश्किल है। वहीं पीछे मंटोला रोड की ओर गेट पर बना यूरिनल प्वॉइंट पर साफ-सफाई का अभाव रहता है। बदबू के चलते यहां फरियादियों का गुजरना भी मुश्किल हो जाता है।
खुले में टॉयलेट जाने को मजबूर
तहसील में बने टॉयलेट काफी गंदे थे। अपने आय प्रमाण-पत्र के बारे में जानकारी करने आए रवि ने बताया कि टॉयलेट इतना गंदा था कि यूज नहीं किया जा सकता। बाहर जाकर टॉयलेट करने को मजबूर होना पड़ा। सरकारी दफ्तर में जब टॉयलेट की ये स्थिति है तो अन्य पब्लिक प्लेस की किस तरह दुर्दशा हो रखी होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
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शहर में पब्लिक टॉयलेट की स्थिति दयनीय है। सरकारी दफ्तरों के टॉयलेट भी गंदे रहते हैं। फरियादियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस ओर जिम्मेदार अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
सतीश शर्मा
कलक्ट्रेट में जिले के सबसे बड़े अधिकारी बैठते हैं। बावजूद यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। लोगों को टॉयलेट जाने के लिए मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
रॉबिन
सरकारी दफ्तरों में ही नहीं, बल्कि शहर में पब्लिक टॉयलेट की दुर्दशा हो रखी है। जो यूरिनल प्वॉइंट बन हुए हैं, वह भी इतने गंदे रहते हैं कि इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
पन्नालाल
जो पे एंड यूज टॉयलेट हैं, सिर्फ उन्हीं में सफाई मिलती है। जहां चार्ज नहीं, वहां गंदगी का अंबार रहता है। ये गंदे टॉयलेट शहर की स्वच्छता को भी पलीता लगाते हैं।
दीपू दीक्षित