आगरा (ब्यूरो) डिजिटल युग में बच्चे से लेकर युवाओं तक में मोबाइल का जबरदस्त क्रेज है। खास कर युवा के साथ बच्चों में भी मोबाइल पर रील्स देखने के लत तेजी से बढ़ रही हैं। जरूरत से ज्यादा समय तक मोबाइल देखने से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। नींद नहीं आना अचानक भूलने की समस्या जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं।

बढ़ रही पापकॉर्न ब्रेन की समस्या
मनोरोग विभाग एसएन मेडिकल कॉलेज विभागाध्यक्ष विशाल सिन्हा का कहना है कि ऐसे मरीजोंं की संख्या ओपीडी में रोजाना बढ़ रही है। मानसिक रोग विभाग में खासकर किशोर और युवा पेरेंट्स के साथ पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीज बात-बात में आक्रोशित होते जा रहे हैं। किसी भी काम को शुरू करते ही रिजल्ट चाहते हैं और बैचेन रहते हैं। चिकित्सक इसे पापकॉर्न ब्रेन की समस्या बताते हैं। यह समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है।

रील्स का असर दिमाग पर
सोशल मीडिया पर रील्स का चस्का लोगों की परेशानी बढ़ा रही है। कुछ सेकेंड का वीडियो देखने में कैसे समय गुजर जाता है, किसी को कुछ पता नहीं चलता है। ऐसे में ना चाहते हुए भी इस तरह की पोस्ट करते हैं, जो सार्वजनिक रूप से नही करनी चाहिए। लेकिन बाद में ये सोचकर पछतावा होता है कि ये पोस्ट नहीं करनी चाहिए थी।


दिमाग लगाने की नहीं जरुरत
दिमाग जो चीज देखना चाहता है वह रील्स में मिल जाता है। देखने के दौरान किसी को दिमाग लगाने की जरूरत नहीं होती है, तुरंत रिजल्ट भी आता है। इस वजह से यह तेजी से प्रचलित भी हुआ है। यार दोस्त से रील्स की बातें भी लोग करते हैं। यानी सुबह से शाम तक रील्स के आसपास जिनका जीवन गुजरता है। धीरे-धीरे उनको इसकी लत हो जाती है।

अधिक देखते हैं खुशी के वीडियो
सोशल मीडिया पर लगातार लोग उन चीजों लोग ऐसे वीडियो ज्यादा देखते हैं, जो उनको खुशी दे। ऐसे लोगों का दिमाग लगातार खुशी खोजता है। एक तरह से इस खुशी के आदी हो जाते हैं। सोशल मीडिया में लगातार लोग उन चीजों को ज्यादा देखते हैं, जो उनको खुशी दे। ऐसे लोगों का दिमाग लगातार खुशी खोजता है। एक तरह से इस खुशी के आदी हो जाते हैं।

पापकार्न ब्रेन में दिखता है यह असर
पापकार्न ब्रेन का शिकार जो होते हैं, उसमें कई परिवर्तन देखने को मिलता है। इसमें ध्यान स्थिर नहीं रहता है। पढ़ाई काम करने में ध्यान नहीं रहता है। किसी से बात भी करते हैं, तो ध्यान बार-बार भटकता रहता है। सोशल मीडिया पर ज्यादा समय गुजारने वाले ज्यादा नकारात्मक सोचते है। स्ट्रेटस और बैचेनी का शिकार रहते हैं। नींद की भी कमी होती है.इसके शिकार लोगों की सोचने की क्षमता धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। किसी भी चीज पर फोकस नहीं कर पाते हैं।

रोजाना परेशानी लेकर आ रहे है लोग
शहर के कई मनोरोग चिकित्सक कहते हैं कि सोशल मीडिया पर ज्यादा समय गुजारने वाले लोग परेशान होकर आने लगे है।
-ये लोग संयम नहीं रख पाते है। तुरंत रिजल्ट खोजते हैं। अपनी बातों को दूसरे के सामने खुल कर नहीं कहते हैं।
-रोजाना दस से ज्यादा मरीज इसके आ रहे हैं। इन सभी को सोशल मीडिया पर कम से कम समय गुजारने की सलाह दी जाती है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
-मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम तिवारी कहती है कि कोई भी व्यक्ति ज्यादा समय तक सोशल मीडिया पर गुजारते हैं तो यह परेशानी होती है।
-इसका सीधे असर उनके दिमाग पर होता है। इसका असर उनके रोजमर्रा की जिंदगी पर होता है। वो ध्यान किसी चीज पर नहीं लगा पाते हैं। ऐसे में बच्चों को खास तौर पर मोबाइल से दूर रखना चाहिए।
-उनके जीवन में संयम आएं, इसके लिए आप टाइम आउट विधि का उपयोग कर सकते है। यानी मोबाइल लेने या बच्चे शरारत करते हैं, तो उन्हें समझाएं उनसे बात करें।


पापकार्न ब्रेन की समस्या से बचने के कई उपाय हैं। इसमें समय- समय पर सोशल मीडिया से दूरी बनाएं। खुद के लिए समय निकाले। योग या कोई दूसरी एक्टिविटी करें। माइंड को शांत करने का उपाय करें। दोस्त, परिवार के बीच समय गुजारें।
डॉ। विशाल सिंहा, एचओडी, मनोरोग विभाग