आगरा (ब्यूरो)। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की मार और जीएसटी का भार झेल रहा जूता कारोबार बुरी तरह प्रभावित है। चीन का माल थोक में आने से छोटी इकाइयों में काम आधा भी नहीं रह गया है। ऐसे में लंबे समय से चली आ रही मांग एक हजार रुपए के जूते पर जीएसटी 12 प्रतिशत से पांच प्रतिशत होनी की उम्मीद जगी है, हालांकि कारोबारी इससे खासी राहत नहीं मान रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक कच्चे माल पर भी जीएसटी नहीं घटेगा तब तक कारोबार में निखार नहीं आ पाएगा। वहीं ट्रेडर्स इसे उपभोक्ता और ट्रेड के लिए फायदा बता रहे हैं।
शहर मेें 18 हजार करोड़ का है शू कारोबार
शहर से चार से पांच हजार करोड़ रुपए से अधिक का निर्यात और 18 हजार करोड़ रुपए का लोकल जूता कारोबार है। जूते पर जीएसटी को घटाने को लेकर लंबे समय से मांग चली आ रही है। विभिन्न जूता एसोसिएशन और उद्यमियों ने सीधे प्रदेश और केंद्र सरकार से इसके लिए मांग उठाई है। जीएसटी की दर तय करने के लिए बनाए गए मंत्री समूह ने 999 रुपए तक के जूते पर जीएसटी घटाने का निर्णय लिया है। जीएसटी काउंसिल की मुहर लगने के बाद ये निर्णय लागू हो जाएगा। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने भी प्रस्ताव पर सर्वसहमति मिलने की बात कही है। सकारात्मक संदेश के बाद जूता बाजार में उत्साह है, लेकिन वे इसे अधूरा कार्य मान रहा है। जूता उद्यमियों का कहना है कि वे जूता चिपकाने वाले एडेसिव, सोल पर 18 प्रतिशत जबकि अन्य कंपोनेंट पर 12 प्रतिशत जीएसटी देते हैं। ऐसे में अगर तैयार एक हजार रुपए से कम लागत वाले जूते पर 12 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत जीएसटी होगा तो जो पहले जीएसटी दिया जा चुका उसका अंतर कवर नहीं हो सकेगा। सरकार के पास सात प्रतिशत जीएसटी अटक जाएगा। जूता उद्यमी अजय कुमार का कहना ये पैसा निकालना सबसे ज्यादा मुश्किल होगी। इसलिए कंपोनेंट पर भी पांच प्रतिशत जीएसटी होना चाहिए।