आगरा (ब्यूरो)। जिले के 111 विभागों में 43 प्रतिशत शिकायतों का निस्तारण फर्जी तरीके से किया गया है। शिकायतकर्ताओं से बिना बात किए रिपोर्ट लगा दी जाती है। फर्जी तरीके से निस्तारण करने पर आठ दिनों में 75 अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। अधिकारियों का वेतन रोकने से लेकर प्रतिकूल प्रविष्टि जारी किया गया है। इन सब के बाद भी अधिकारियों की कार्यशैली में अभी तक सुधार नहीं आया है। विभागाध्यक्षों द्वारा शिकायतों की क्रास चेङ्क्षकग नहीं की जाती है और न ही 10 शिकायतों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है।

50 परसेंट का हो पाता है निस्तारण
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर महीने दो से तीन बार समन्वित शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस), संपूर्ण समाधान दिवस सहित अन्य शिकायतों की समीक्षा करते हैं। अगर शिकायतों के निस्तारण की बात की जाए तो आगरा 65वें नंबर पर है। कलक्ट्रेट, छह तहसीलों, 15 ब्लाकों और 111 विभागों में हर दिन 1500 से 1700 शिकायतें पहुंचती हैं। इसमें एक हजार शिकायतों का निस्तारण किया जाता है। निर्धारित अवधि के भीतर शिकायतों के निस्तारण न होने पर डिफॉल्टर घोषित हो जाती हैं। सबसे अधिक दिक्कत शिकायतों के निस्तारण में बरती जा रही लापरवाही को लेकर आ रही है।

शिकायकर्ता को नहीं करते इंफॉर्म
43 प्रतिशत शिकायतों की जांच बिना शिकायतकर्ता के ही कर दी जाती है। विभागाध्यक्षों द्वारा शिकायतों की रैंडम जांच नहीं कराई जाती है। न ही भौतिक सत्यापन किया जाता है। इसी के चलते 15 से 17 प्रतिशत शिकायतें दूसरी से तीसरी बार होती हैं। शिकायतकर्ता एसके गोयल का कहना है कि स्ट्रीट लाइट के बंद होने से लेकर सड़कों में गड्ढे भरने की सात शिकायतें की गईं। हर दिन शिकायत में फर्जी रिपोर्ट लगाकर निस्तारित कर दिया गया। एक भी अधिकारी ने शिकायत को लेकर फोन पर संपर्क नहीं किया। शिकायतकर्ता एके भट्टाचार्य का कहना है कि खाद न मिलने की तीन बार शिकायत की गई। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बिना कोई जानकारी किए निस्तारण की रिपोर्ट लगा दी।