रात में खोल दिए पट
राजेश्वर महादेव मंदिर के पट रविवार रात 2:30 की आरती के बाद तीन बजे से खोल दिए गए। इसके बाद श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम प्रारंभ हो गया। सुबह होने के साथ ही दूर-दराज के क्षेत्रों से कांवड़ लेकर आए श्रद्धालुओं ने बाबा पर गंगाजल अर्पित किया। वहीं महिलाओं और पुरुषों के साथ युवाओं ने भी अच्छी संख्या में मंदिर में पहुंचकर भगवान का जल और दुग्धाभिषेक कर उनकी आरती की। छह बजे महाआरती में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।
झूले झूलकर हुए आनंदित, खूब की खरीदारी
राजेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं ने मेले का खूब आनंद उठाया। महिलाओं और बच्चों ने जहां झूले झूलकर खूब आनंद उठाया, वहीं चाट-पकौड़ी खाने के साथ खूब खरीदारी की। भंडारों का भी आयोजन किया गया। हालांकि प्रसाद ग्रहण करने के बाद लोगों ने दोने आदि सड़क पर यूं ही फेंक दिए।
सुरक्षा व्यवस्था रही अच्छी
राजेश्वर मंदिर के अंदर की व्यवस्था राजेश्वर सेना ने संभाली थी। महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग मार्ग से गर्भगृह तक जाने की व्यवस्था की गई थी। साथ ही 300 से अधिक कार्यकर्ता मंदिर के अंदर विभिन्न स्थानों पर सक्रिय थे। गर्भगृह में भी वह महिलाओं और पुरुषों को अलग-अलग पंक्ति में दर्शन करा रहे थे। इसका लाभ भी दिखा और मंदिर में ठीकठाक भीड़ होने के बाद भी न धक्कामुक्की की स्थिति बनी, न अराजक तत्व ही सक्रिय हो पाए।
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सजी बाबा बर्फानी की झांकी
बल्केश्वर महादेव मंदिर पर श्रावण माह के प्रथम सोमवार पर बाबा बर्फानी की भव्य झांकी सजाई गई। मंदिर के द्वार पर पर्वत पर विराजमान भगवान शिव की झांकी सभी को आकर्षित कर रही थी। वहीं मंदिर परिसर में अमरनाथ की पवित्र गुफा सजाई गई। गर्भगृह में बाबा बर्फानी की झांकी सजाई गई। इसमें साढ़े पांच फीट की बर्फ के शिवङ्क्षलग की प्रतिकृति सभी को मोहित कर रही थी। मंदिर सेवक अर्चित पंड्या ने बताया कि सोमवार को रात्रि में महाआरती की गई। अगले सोमवार पर मंदिर में भव्य मेला लगाया जाएगा। रविवार रात्रि को शहर की सीमा पर स्थित चारों प्राचीन शिव मंदिरों की पैदल परिक्रमा लगाई जाएगी। इसकी तैयारी प्रारंभ हो गई है।
प्राचीन शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का ज्वार
श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर रावली महादेव मंदिर, श्रीमन:कामेश्वर महादेव मंदिर, पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर और कैलाश महादेव मंदिर पर भी सुबह से रात्रि तक आस्था का ज्वार उमड़ता रहा। श्रद्धालुओं ने शिवालयों में पहुंचकर भगवान शिव को जल और दुग्ध अर्पित कर उनकी आराधना की।