आगरा। (ब्यूरो) स्टूडेंट्स स्कूल पहुंचेगा तो उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी स्कूल मैनेजमेंट की रहेगी। अगर, स्कूल जानबूझकर रूल्स की अनदेखी करता है या स्टूडेंट्स को किसी प्रकार का मेंटल या फिजीकल मानसिक या शारीरिक प्रताडऩा स्कूल में होती है। तो इसे बाल न्याय अधिनियम का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसा होने पर स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बच्चों की सुरक्षा के प्रति सख्त शिक्षा विभाग ने इस संबंध में दिशा निर्देश जारी किए है। इसका पालन सरकारी व गैरसरकारी स्कूल्स को करना होगा।
सुरक्षा के लिए जीरो टोलरेंस नीति
जिला विद्याालय निरीक्षक के निर्देश पर बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल में जीरो टोररेंस नीति अपनाई जा रही है। इसको लेकर लापरवाही बरतने वाले टीचर्स पर अब बच्चों की सुरक्षा की जवाबदेही तय की गई है। इतना ही नहीं अगर स्कूल में पहुंचने के बाद या स्कूल ट्रांसपोर्ट से स्कूल आते या घर वापसी पर भी बच्चे के साथ कोई अनहोनी होती है तो इसकी जिम्मेदारी भी स्कूल प्रबंधन की ही मानी जाएगी। इस संबंध में सभी स्कूल के प्रिंसिपल्स को दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही बच्चों के लिए गाइड लाइन जारी की गई है।
स्कूलों को जारी की गई गाइडलाइन
घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचने तक बच्चों की सुरक्षा स्कूल की जिम्मेदारी यानि अब स्कूलों को बच्चा के घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुंचने तक की सुरक्षा का पालन भी करना होगा। प्राइवेट स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा को लेकर जबावदेह बनाने के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा निर्देशों के तहत स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर जारी गाइडलाइन की सुविधाओं को बनाए रखना होगा।
साफ पानी की भी जिम्मेदारी
बच्चों को पीने के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध करवाना भी स्कूलों की जिम्मेदारी होगी, जबकि आवश्यकता पडऩे पर बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा भी समय पर उपलब्ध करवाना स्कूलों की जिम्मेदारी होगी। स्कूल में बच्चे को किसी प्रकार का फिजीकल दंड नहीं दिया जा सकेगा। ना ही बच्चे के साथ किसी किस्म का भेदभाव किया जा सकेगा। किसी भी क्राइम पर करनी होगी तुंरत कार्रवाई अगर किसी बच्चे के साथ स्कूल में किसी प्रकार का क्राइम होता है। तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जिम्मेदारी भी स्कूल होगी। अगर स्कूल इसमें कोई लापरवाही करता है। तो उस पर बाल न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
सुरक्षा की प्लानिंग में अब पेरेंट्स भी
स्कूलों को बच्चों की सुरक्षा योजना पहले से बनाकर रखनी होगी। इस योजना को तैयार करने के लिए स्कूल स्टाफ के अलावा बच्चों व उनके पेरेंट्स को भी शामिल करना होगा। बच्चों के साथ यौन शोषण बर्दाश्त नहीं होगा। योजना बनाकर स्कूलों को उस जगह पर इसे डिस्प्ले भी करना होगा। जहां से दूसरे बच्चे इसे आसानी से देख व समझ सकें। इसके अलावा स्कूलों को बच्चों के लिए यौन शोषण की शिकायत के लिए हर शिक्षा सत्र के एक महीने के भीतर सेल भी गठन करना होगा।
स्कूलों में सुरक्षा वीक
शिकायत सामने आने पर स्कूलों को तुरंत इसकी जानकारी स्पेशल जूविनाइन पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस को देनी होगी। स्कूल अपने स्तर पर ऐसी कंप्लेन का निपटारा नहीं करेंगे। इसके अलावा स्कूलों में स्कूल सुरक्षा सप्ताह भी आयोजित करना अनिवार्य होगा। जिसमें बच्चों को सुरक्षा बारे जागरूक किया जाएगा।
क्या कहते हैं अफसर
स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल मैनेजमेंट की होगी। बच्चे दिन में अपना अधिकतर समय स्कूल में बिताते हैं। पेरेंट्स भी चाहते हैं कि उनके बच्चे स्कूलों में सुरक्षित रहें। यह दिशा निर्देश बच्चों की सुरक्षा को लेकर पेरेंट्स की चिंता को कम करेंगे।
जितेन्द्र गौड, बीएसए आगरा
बच्चों की सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखा जाता है, अगर बच्चों को कोई समस्या है तो उसकी काउंसलिंग कराई जाती है, वहीं बच्चों के पेरेंट्स को भी बुलाया जाता है। समस्या का निस्तारण किया जाता है।
रामानंद चौहान, सीबीएसई, सिटी कॉर्डीनेटर
ये कहते हैें पेरेंट्स
बच्चे जब तक स्कूल से घर नहीं आते तब तक चिंता रहती है, क्योंकि बच्चे नटखट होते हैं। जिम्मेदारी तय तो होनी चाहिए, स्कूल अक्सर ये बात बोलकर पल्ला झाड़ देते है कि स्कूल से बाहर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।
सविता जैन, पेरेंट्स
स्कूलों को हम एक मोटी फीस देते है, इसके बाद भी उनके लिए एक्स्ट्रा क्लास लगाई जाती है। सुरक्षा के लिए भी कोई विशेष इंतजाम नहीं होते, पानी तक साफ नहीं होता। जिम्मेदारी की ये पहल सराहनीय है।
शालू वर्मा, पेरेंट्स