आगरा (ब्यूरो)। आदि शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्र महानवमी संग शनिवार को संपन्न हो गया। अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने मां नवदुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धीदात्री देवी की आराधना कर कन्या-लांगुर पूजन कर उन्हें उपहार भेंट किए। इसके बाद नौ दिन से घरों और पंडालों में विराजमान मां की मूर्ति को यमुना घाटों पर कुंडों पर पहुंचकर विसर्जित कर माता को विदाई दी.महानवमी के लिए सुबह 10:59 बजे तक का ही मुहूर्त था, इसलिए श्रद्धालुओं ने सुबह छह बजे से ही घरों में माता की पूजा अर्चना कर हलवा-चने का भोग तैयार किया। इसके बाद मंदिरों में जाकर माता की पूजा की। इस कारण मंदिरों पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। वहां से घरों पर पहुंचकर उन्होंने कन्या-लांगुर पूजन कर उन्हें उपहार भेंट किए और माता को विदा किया। पूजा पूर्ण होने पर स्वयं प्रसाद ग्रहण कर व्रत का परायण किया।
मूर्तियों का किया विसर्जन
11 बजे से दशमी तिथि लगने के बाद मूर्तियों के विसर्जन का क्रम भी प्रारंभ हो गया। घरों और पंडालों में विराजमान मूर्तियों को श्रद्धालु ढोल-नगाड़ों के साथ भक्तिगीतों की धुन पर नाचते-गाते सिकंदरा स्थित कैलाश मंदिर, बल्केश्वर, हाथी घाट, खंदौली आदि यमुना घाटों पर बनाए गए कुंडों तक ले जाकर मूर्तियों को विसर्जित किया। इस दौरान कुंडों पर भी माता की अंतिम आरती की गई। श्रद्धालु मां को विदा करते हुए भावुक हो गए और उनकी आंखें नम हो गईं। हालांकि कुछ लोग रविवार को विसर्जन करने की योजना बना रहे हैं।