आगरा (ब्यूरो)। जाजमऊ कानपुर में गंगा नदी में बना 150 साल पुराना पुल का एक हिस्सा मंगलवार को गिर गया। ब्रिटिशकाल में बना यह पुल वास्तुकला का अद्भुत नमूना था। आगरा में भी स्ट्रेची पुल 116 साल पुराना हो चुका है। बाकी फ्लाईओवर या फिर रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) को काफी समय हो चुका है, लेकिन पुलों का जिस तरीके से रखरखाव होना चाहिए, वह नहीं किया जा रहा है। इससे एक्सपेंशन ज्वॉइंट गैप बढ़ रहा है। कई फ्लाईओवर की अप्रोच रोड क्षतिग्रस्त हो चुकी है। नेशनल हाईवे-19 पर बने आईएसबीटी फ्लाईओवर पर वाहन हिचकोले लेते हैं। गुरु का ताल आरओबी की अप्रोच रोड की कई जगहों पर सरिया बाहर निकल आई हैं। एक परत हट गई है।
आईएसबीटी फ्लाईओवर
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) मथुरा खंड ने वर्ष 2019 से आइएसबीटी फ्लाईओवर का निर्माण चालू किया था। 33 करोड़ रुपए से बनने वाले फ्लाईओवर का कार्य वर्ष 2021 तक पूरा होना था, लेकिन यह कार्य वर्ष 2022 में पूरा हुआ। फ्लाईओवर के मध्य में तीन से पांच इंच तक झुकाव हो गया है। इससे तेजी से गुजरते वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एक्सपेंशन ज्वॉइंट गैप के पास ठीक से मरम्मत नहीं की गई है। सेवानिवृत्त इंजीनियर बीके चौहान का कहना है कि फ्लाईओवर पर दो जगहों पर हिचकोले लगते हैं। तेजी से आते वाहन चालकों को यह दूर से नहीं दिखते हैं। ऐसे में इसकी ठीक तरीके से मरम्मत होनी चाहिए।
भगवान टॉकीज फ्लाईओवर
नेशनल हाईवे-19 पर स्थित भगवान टॉकीज फ्लाईओवर शहर का पहला फ्लाईओवर है। दो महीने पहले एनएचएआई मथुरा खंड ने इस फ्लाईओवर की रेङ्क्षलग की मरम्मत कराई थी, लेकिन एक्सपेंशन ज्वॉइंट गैप पर कोई कार्य नहीं किया गया। गैप अधिक है। डिवाइडर के मध्य में शीट भी नहीं लगी है। रिटायर्ड इंजीनियर टीएस ङ्क्षसह का कहना है कि फ्लाईओवर के मध्य पर अधिक गैप है। इससे वाहन हल्का सा उछाल लेता है। कई जगहों पर डामर का हिस्सा उठ भी गया है।
गुरु का ताल आरओबी
सेतु निर्माण निगम और रेलवे ने वर्ष 2013 में गुरु का ताल रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) का निर्माण किया था। 33 करोड़ रुपए से बने इस आरओबी में एक्सपेंशन ज्वॉइंट गैप तेजी से बढ़ रहा है। हाईवे से होटल भावना क्लार्क इन की तरफ की रोड चार जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई है। सरिया बाहर निकल आई है। आगरा-नई दिल्ली रेल खंड के ठीक ऊपरी हिस्से में भी सरिया बाहर निकल आई है। रिटायर्ड इंजीनियर बीके चौहान का कहना है कि अगर आरओबी में सरिया बाहर निकल आई तो इससे पानी आसानी से पहुंचने लगता है। जल्द मरम्मत न होने पर और भी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो सकता है। इस आरओबी से हर दिन 70 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं।
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आंबेडकर पुल
सेतु निर्माण निगम ने वर्ष 2008 में 25 करोड़ रुपए की लागत से यमुना नदी पर आंबेडकर पुल का निर्माण किया था। 16 साल में यह पुल 12 बार बंद हो चुका है। कई बार एक्सपेंशन ज्वाइंट गैप का दायरा दस इंच से अधिक हो गया था। 15 इंच गहरे गड्ढे हो गए थे। इस पुल से हर दिन 17 हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं। सेवानिवृत्त इंजीनियर टीएस ङ्क्षसह का कहना है कि गैप का असर बियङ्क्षरग पर भी पड़ता है। ऐसे में नियमित अंतराल में जांच होनी जरूरी है।
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शास्त्रीपुरम आरओबी
शास्त्रीपुरम को नेशनल हाईवे-19 से जोडऩे के लिए सेतु निर्माण निगम और रेलवे ने शास्त्रीपुरम आरओबी का निर्माण किया था। तीन माह पूर्व गड्ढों की मरम्मत की गई, लेकिन इन सभी को एक समान नहीं भरा गया है। ऐसे में वाहन हिचकोले लेते हुए गुजरते हैं। आरओबी में गड्ढे भी हैं। सात साल पूर्व आरओबी का निर्माण 28 करोड़ रुपये से हुआ था।
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116 साल पुराना है स्ट्रेची पुल
यमुना नदी पर 116 साल पूर्व ब्रिटिश शासन में स्ट्रेची पुल का निर्माण हुआ था। दो साल पूर्व रेलवे ने पुल की मरम्मत का कार्य कराया है। पुल से दस किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ट्रेनें गुजरती हैं। रेलवे द्वारा नियमित अंतराल में इसकी निगरानी की जा रही है।
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क्या है एक्सपेंशन ज्वाइंट
आरओबी या फिर पुल को कई हिस्से में बनाया जाता है। एक सिरे से दूसरे सिरे को जोडऩे के लिए एक्सपेंशन ज्वाइंट का प्रयोग किया जाता है। इसका कार्य तापमान में बदलाव होने पर फैलाव और सिकुडऩ का प्रभाव कम करना है। भूकंप के दौरान कंपन को अवशोषित करना भी है। कंक्रीट में आ रहे तनाव को कम करना और दरार न बढ़े, इसे रोकना भी है।
संबंधित विभागों से पुलों की जांच कराई जाएगी। जल्द ही इसे लेकर बैठक भी बुलाई जाएगी। संरक्षा के सभी इंतजाम करने के लिए कहा जाएगा।
अरङ्क्षवद मल्लप्पा बंगारी, डीएम