क्विक एक्शन के समय ट्रिक का यूज
शहर में हालात जब विपरीत हों तब पुलिसकर्मियों के सामने क्या ऑप्शन हैं। एसीपी छत्ता ने इसको लेकर टिप्स शेयर किए। किस तरह से रूल्स के दायरे में रहकर दंगाइयों, उपद्रवियों और शरारती तत्वों से निपटा जा सकता है। इस मामले में आगरा पुलिस एसीपी छत्ता हेमंत कुमार के अनुसार, सबसे बेहतरीन ट्रेनिंग से पुलिस अच्छे तरीके से दंगाईयों से निपट सकती है। पुलिस लाइन में उनको सिखाया गया कि आपातस्थिति आ जाए तो उस कंडीशन में भीड़ से कैसे निपटा जाए। यही नहीं, वर्कशॉप में उपस्थित पुलिसकर्मियों को इसकी पूरी जानकारी दी। ऐसे हालात में पुलिसकर्मियों के सामने सोचने व करने के ज्यादा विकल्प नहीं होते। क्विक एक्शन के जरिए पुलिसकर्मी इस तरह के हालातों से निपट सकते हैं।
डंडे, हेलमेट, बॉडी प्रोटेक्टर रहें साथ
पुलिस ट्रेनिंग के अफसरों की मानें तो ट्रेनिंग के दौरान सिखाया जाता है कि किस स्थिति में क्या किया जाए। भीड़ चाहे जाम लगाए, धरना दे या फिर उपद्रव करे। भीड़ कम हो या अधिक, हमेशा पुलिस को माहौल भांपकर काम करने की हिदायत दी जाती है। सामने कितनी भी भीड़ हो, पुलिस को ट्रेनिंग का पार्ट याद रखना होगा। सबसे पहले मोबाइल या वायरलेस सेट से अफसरों को जानकारी देनी चाहिए। भीड़ से निपटने के लिए अतिरिक्त फोर्स को बुलाना जरूरी होता है। एसएचओ, इंस्पेक्टर, चौकी इंचार्ज हो या कोई भी पुलिस अफसर, पुलिस की गाड़ी में सुरक्षा उपकरण जैसे डंडे, हेलमेट, बॉडी प्रोटेक्टर जैकेट जरूर रखनी होती है।
कानून के दायरे में भीड़ से निपटने की ट्रेनिंग
अगर भीड़ में कोई भी पुलिसकर्मी घिरने जैसी स्थिति में हो तो साथी पुलिसकर्मी सबसे पहले बचाएं। अगर बंधक हो, कमरे में कैद पुलिसकर्मी हो तो उसे सुरक्षित बाहर निकालना पहला मिशन होता है। जितने भी पुलिसकर्मी मौके पर हों, सभी को एकजुट रहना होता है। भीड़ अगर निशाना बनाए, तो पुलिस बल को सिर्फ बचाव करना होता है। भीड़ को खदेडऩे के लिए पानी की बौछार। बेकाबू होने पर आंसू गैस के गोले का ऑप्शन है। रबर बुलेट लास्ट ऑप्शन है। यह तब ही इस्तेमाल होता है। जब कोई पुलिसकर्मी घिर गया हो या भीड़ ने घेरकर हमला कर दिया। भीड़ उग्र होने लगे तो पुलिस को कानून के दायरे में रहकर निपटना चाहिए।
एजुकेशनल और फिजिकल ट्रेनिंग
पुलिस कमिश्नर जे। रविन्दर गौड के अनुसार पुलिस की ट्रेनिंग एजुकेशनल और फिजिकल दो पार्ट में होती है। पहले सेशन में लॉ, पुलिस साइंस, क्रिमनोलॉजी, कंप्यूटर, साइबर क्राइम, ह्यूमन राइट्स, महिला, बुजुर्ग और बच्चों की सुरक्षा के बारे में बारीकि से ट्रेनिंग मिलती है। सेंकड सेशन में फिजिकल ट्रेनिंग के दौरान हथियारों को विपरीत परिस्थितियों में चलाना, गाड़ी चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।