आगरा (ब्यूरो)। संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक (जेडी)आरपी शर्मा रिश्वतकांड को लेकर शुरू हुए शिक्षाधिकारियों के विरोध पर एक्शन हो गया। शासन स्तर से उच्च स्तरीय जांच के बाद एसपी विजिलेंस शगुन गौतम को हटाकर झांसी भेज दिया गया। इसके बाद विजिलेंस द्वारा नाई की मंडी थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे की विवेचना सीबीसीआईडी को ट्रांसफर कर दी है। सीबीसीआइडी को विजिलेंस के ट्रैप की जांच करने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके साथ ही एक इंस्पेक्टर, एक सब इंस्पेक्टर और दो सिपाहियों के ट्रांसफर भी हुए हैं। हालांकि ने ये जेडी घूसकांड की कार्रवाई में शामिल नहीं थे।

तीन लाख रुपए मांगी घूस
डीसी वैदिक इंटर कालेज में सहायक अध्यापक अजयपाल की नियुक्ति की जांच जेडी माध्यमिक आरपी शर्मा के नेतृत्व में समिति द्वारा की जा रही थी। शिक्षक ने जेडी पर 10 लाख रुपए घूस मांगने का आरोप लगाते हुए विजिलेंस में शिकायत की। 17 अगस्त को विजिलेंस टीम ने आरपी शर्मा को साढ़े सात बजे कार्यालय में तीन लाख रुपए घूस के साथ पकड़कर उनके विरुद्ध दर्ज मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद मेरठ कोर्ट ने आरपी शर्मा को जेल भेज दिया। आरपी शर्मा की गिरफ्तारी के विरोध में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सवाल उठाते हुए प्रदेश स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया। शिक्षकों का आरोप था कि विजिलेंस ने साजिशन आरपी शर्मा को फंसाया है।

कर्मचारियों के बयान किए थे दर्ज
शासन द्वारा गठित कमेटी के राजेश कुमार सचिव सतर्कता विभाग और वीके ङ्क्षसह विशेष सचिव गृह विभाग ने नौ सितंबर को आगरा आकर जेडी कार्यालय में कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। समिति ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। इसके बाद 27 सितंबर को एसपी विजिलेंस शगुन गौतम का ट्रांसफर झांसी कर दिया गया। उनके स्थान पर झांसी के एसपी विजिलेंस आलोक शर्मा को यहां भेजा गया है। इसके साथ ही आगरा विजिलेंस सेक्टर में तैनात इंस्पेक्टर दुष्यंत तिवारी, हाकिम ङ्क्षसह, आरक्षी जितेंद्र और धर्मेंद्र को भी गैर जनपद स्थानांतरित किया है। एसपी समेत पांचों ट्रांसफर को आरपी शर्मा की गिरफ्तारी के बाद उठे विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है।

फंस सकते हैं पुलिसकर्मी
तीन अक्टूबर को विशेष सचिव रामनगीना मौर्य ने विवेचना विजिलेंस से सीबीसीआईडी ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए। विजिलेंस द्वारा ट्रैप से पहले प्री-ट्रैप की कार्रवाई होती है। सीबीसीआईडी यह जांच भी करेगी कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें कितनी सच्चाई है। सीबीसीआईडी की जांच में विजिलेंस टीम में शामिल पुलिसकर्मियों की गर्दन फंस सकती है।