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जीएसटी की छूट सीमा दो करोड़ तक की जाए
केंद्रीय बजट आने से पहले फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फेम) का कहना है कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने खुदरा और मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की ओर ध्यान नहीं दिया है। जिसकी बेहद जरूरत है। फेम के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सरकार को संबोधित पत्र लिखकर मांग की है कि व्यापारियों की मांगों को समाहित किया जाए। फेम के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र ङ्क्षसह सोबती ने कहा कि व्यापारी वर्ग की आयकर सीमा बढ़ाई जाए। जीएसटी की छूट सीमा दो करोड़ तक किए जाने की अपेक्षाएं हैं। एमएसएमई के लिए आयकर की धारा 43.बी(एच) में व्यापारियों को शामिल किया जाए। सरकार की इस जल्दबाजी भरी कार्रवाई से एमएसएमई और व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है। एमएसएमई में रजिस्टर्ड व्यापारी अथवा केवल जीएसटी रजिस्टर्ड व्यापारी दोनों को समान माना जाए। छोटे उद्योगपति और छोटे व्यापारियों में कोई भेद नहीं होना चाहिए। इसलिए इन विसंगतियों को दूर करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आनलाइन प्लेटफार्म जिस तरह से लगातार भारी छूट देकर व्यापार कर रहा है और सालों से नुकसान भी पहुंचा रहा है, उससे लाखों लोगों को रोजगार देने वाले असंगठित व्यापारियों को बचाने की बात सरकार करती है। लेकिन ठोस नियम बनाने के लिए बजट में घोषणा करना जरूरी है। यही नहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि व्यापार एक पेशा नहीं है। इसलिए व्यापारियों पर व्यावसायिक कर पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए.जीएसटी का सरलीकरण होना चाहिए।
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बजट को लेकर
सर्विसमैन तो मिडिल क्लास में आता है। उसके लिए तो सबसे जरूरी चीज है कि रोजमर्रा में यूज होने वाले प्रोडक्ट के रेट में इजाफा न हो। पेट्रोल से लेकर वेजिटेबिल, दाले अन्य प्रोडक्ट में इंफ्लेशन कंट्रोल में रहे।

डॉ। अमित नेल्सन सिंह, ट्रेनिंग प्लेसमेंट ऑफिसर, सेंट जॉन्स कॉलेज

बजट में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा जाना चाहिए। व्यापारियों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए। टैक्स स्लैब में राहत दी जानी चाहिए।
संजय अग्रवाल, कारोबारी


मेडिसिन पर जीएसटी हटा देना चाहिए। प्रधामनंत्री खुद जेनेरिक दवाओं और स्वास्थ्य कल्याण से जुड़ी योजनाओं को प्रमोट कर रहे हैं। ऐसे में सर्जरी में यूज होने वाली मेडिसिन और सर्जिकल आयटम से टैक्स हटा देना चाहिए। कई देशों में इस पर टैक्स नहीं है।
डॉ। आशीष ब्रह्मभट्ट, अध्यक्ष, आगरा रिटेल केमिस्ट एसोसिएशन


अक्सर देखा जाता है बजट को तैयार पूंजीपतियों की सोच के साथ होता है। जबकि बजट मिडिल क्लास के हिसाब से तैयार होना चाहिए। गरीबों के लिए बनने वाली योजनाओं पर अमल होना चाहिए। रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी कम होना चाहिए।
श्याम भोजवानी, कारोबारी


बजट ऐसा होना चाहिए, जो घर के बजट को अनुकूल बना सके। सब्जी से लेकर दूध, दालों से लेकर मसालों के दामों में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। ये रुकनी चाहिए।
निधि बेदी

बजट में हर वर्ग का ध्यान रखा जाना चाहिए। जीएसटी आने के बाद भी वस्तुओं के दामों में कोई कमी नहीं आई है। महंगाई लगातार बढ़ रही है।
नूतन अग्रवाल

बजट में रोड सेफ्टी को लेकर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। जिससे हर वर्ष देश में सड़क हादसों में जान गंवाने वालों लोगों की जान बचाई जा सके।
सुनील खेत्रपाल, संस्थापक, ट्रैफिक सपोर्ट टीम

छात्रों के लिए स्कॉलरशिप और वित्तीय सहायता के लिए पर्याप्त धन शामिल हो। बुनियादी ढांचे की कमी दूर हो। कौशल विकास कार्यक्रमों को विस्तार दिया जाए। शिक्षा क्षेत्र के लिए जीडीपी का 6 परसेंट आवंटन होना चाहिए।
डॉ। राजू थॉमस, हेड डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड बिजनेस इकॉनोमिक्स, सेंट जॉन्स कॉलेज


महंगाई कंट्रोल में होनी चाहिए। दैनिक यूज में होने वाली वस्तुओं के रेट बढऩे से मिडिल क्लास के लोगों को दिक्कत हो रही है। इसके साथ ही इनकम टैक्स में भी राहत और बढऩी चाहिए।
डेनिस सिल्वेरा, अध्यक्ष, किश्चिन समाजसेवा सोसाइटी