आगरा (ब्यूरो)। मथुरा का गोङ्क्षवद देव मंदिर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आगरा सर्किल का रात में रोशन होने वाला पहला स्मारक बनेगा। यह मंदिर एएसआई द्वारा संरक्षित है और रात 10 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। लाइङ्क्षटग के बाद श्रद्धालु रात तक मंदिर देखने को आकर्षित होंगे।


एएसआर्ई पिछले दो वर्षों से मथुरा के गोङ्क्षवद देव और मदन मोहन मंदिर को रात में रोशन करने का प्रयास कर रहा था। टेंडर में फर्मों द्वारा रुचि नहीं लिए जाने से यह काम टलता जा रहा था। एएसआई के प्रयास रंग लाए हैं। गोङ्क्षवद देव मंदिर को रोशन करने को लाइङ्क्षटग का काम करीब 85 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है। इसके साथ-साथ ट्रायल भी किया जा रहा है। रंगजी मंदिर के पास स्थित गोङ्क्षवद देव मंदिर के रात में रोशन होने पर श्रद्धालु भी आकर्षित होंगे। एएसआई ने यहां संरक्षण व पर्यटकों के लिए सुविधा उपलब्ध कराने को काम भी कराए हैं। वर्ष 1885 में स्थापित आगरा सर्किल में वर्तमान में नौ जिले हैं, जिनमें आगरा, अलीगढ़, एटा, इटावा, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, मथुरा और कासगंज हैं। एएसआई के लखनऊ, देहरादून और मेरठ सर्किल पहले आगरा सर्किल में ही शामिल थे। आगरा सर्किल के जिलों में स्थित करीब 150 स्मारकों में गोङ्क्षवद देव मंदिर पहला रोशन होने वाला स्मारक बनेगा।

औरंगजेब ने तुड़वाया था मंदिर
लाल बलुआ पत्थरों से बना गोङ्क्षवद देव मंदिर वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण है। मंदिर का निर्माण रूप गोस्वामी से प्रेरणा प्राप्त कर जयपुर के राजा मानङ्क्षसह ने वर्ष 1565 में कराया था। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार सात मंजिला मंदिर की छत पर सवा मन घी के दीपक का प्रकाश दूर तक नजर आता था। औरंगजेब ने अपने सैनिकों को मंदिर तोडऩे को भेजा था। उसके सैनिकों ने ऊपरी चार मंजिलों को ध्वस्त कर दिया था। ठाकुर गोङ्क्षवददेवजू के विग्रह को जयपुर में स्थापित करा दिया गया था। वहां आज भी गोङ्क्षवद देव मंदिर है।
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मंदिर में लाइङ्क्षटग के साथ उसका ट्रायल भी किया जा रहा है। उम्मीद है कि 20 दिन में मंदिर में लाइङ्क्षटग का काम पूरा हो जाएगा। मदनमोहन मंदिर को भी रोशन किया जाएगा।
-डॉ। राजकुमार पटेल, अधीक्षण पुरातत्वविद