आगरा (ब्यूरो) नकली दवाओं की नई फैक्ट्री की पटकथा जिला जेल में लिखी गई थी। जुलाई 2023 में जेल गए विजय गोयल की मुलाकात गांजा तस्कर विशाल अग्रवाल से हुई। विजय ने उसे अपनी योजना बताई तो वह साझीदारी के लिए तैयार हो गया। विजय जमानत पर छूटकर बाहर आया तो जेल में रहते हुए विशाल अग्रवाल ने उसे 30 लाख रुपये उपलब्ध कराए। इसके बाद वह हिमांचल और उत्तराखंड से पुरानी मशीनें ले आया। तीन लाख के साल्ट से 85 लाख रुपए कीमत की दवाइयां बनाई जाती थी। नकली दवा फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद अब पुलिस विजय गोयल के साझीदारों की तलाश में जुट गई है।


आठ जुलाई 2023 को दो फैक्ट्रियां पकड़े जाने के बाद विजय गोयल फरार हो गया था। दो सप्ताह बाद उसने आत्मसमर्पण किया था। दवा माफिया विजय गोयल ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि गांजा तस्करी में जेल में बंद द्वारिकापुरी, सिकंदरा के विशाल अग्रवाल से उसकी मुलाकात हुई। दोस्ती के बाद उसने विशाल को अपने धंधे के बारे में बताया तो वह पैसा लगाने को तैयार हो गया। 17 फरवरी को जमानत पर रिहा होकर वह बाहर आ गया। विशाल ने उसे 30 लाख रुपए दिलवाए। इसके बाद वह हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड गया, जहां से पुरानी मशीनें खरीदकर लाया। किराए पर लिए गए परिसर में उसने रात के अंधेरे में मशीनें लगवाई और काम शुरू कर दिया।

फैक्ट्री में ही रहते थे मजदूर, रात में होता था काम
गिरफ्तार श्रमिकों ने बताया कि उनके रुकने की व्यवस्था फैक्ट्री में ही थी। बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। दिन में वे आराम करते थे। रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक दवाइयां बनाई जाती थीं। विजय गोयल रात नौ बजे के बाद आता और दवाइयों का काम्बिनेशन बताकर लौट जाता था। 450 रुपये प्रतिदिन के साथ रहना-खाना फ्री था। सुबह सात बजे फैक्ट्री से दवाइयां बाहर भेजी जाती थीं।

भारी मात्रा में मिलीं नशीली दवाइयां
टेबलेट अल्प्रासेफ 12.24 लाख, मोंटेयर एफएक्स टेबलेट 69,150, प्रोक्सीवेल एसपीएएस कैप्सूल 6.57 लाख, अल्जोसेल टेबलेट 6.12 लाख, अल्प्राजोलम व अल्प्रासेफ साल्ट 500 किलोग्राम, प्रोक्सोवेल लू 163 किलोग्राम, ट्रामाडोल ओरेंज कलर पाउडर 75 किलोग्राम, सफेद पाउडर 55 किलोग्राम, खाली नीले कैप्सूल 223 किलोग्राम।

शिकंजा कसने में पुलिस ने कर दी देरी:
दवा माफिया विजय गोयल पर शिकंजा कसने में पुलिस की लेटलतीफी रही। आठ जुलाई 2023 में सिकंदरा और बिचपुरी में नकली दवाओं की दो फैक्ट्री पकड़ी थीं। पुलिस ने विजय गोयल को दवा माफिया के रूप में चिन्हित किया था। जगदीशपुरा पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई शुरू की, लेकिन अंतिम मोहर नहीं लग पाई। इसके चलते उसे फरवरी में कोर्ट से जमानत मिल गई और उसने फिर से फैक्ट्री बना ली।
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ÓÓदवा माफिया को फैक्ट्री खोलने के लिए कई अन्य लोगों ने भी रकम दी थी। पूछताछ में कई नाम सामने आए हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी। एनडीपीएस एक्ट, औषधि प्रसाधन सामग्री अधिनियम एवं धोखाधड़ी, कूटरचित प्रपत्र तैयार करना समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। विवेचना में कई नाम सामने आएंगे। ÓÓ
सूरज राय, डीसीपी सिटी