नुकसान दायक कलर्स का यूज
कचरी और पापड़ बनाने वाली कंपनियां स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक रंगों का इस्तेमाल करने से नहीं चूक रही हैं। अब होली से पहले बाजार में आ रहे रंगीन कचरी, चिप्स, गोलगप्पे, पापड़ आदि की मांग तेजी से बढ़ रही है। ये चमकदार और रंगीन चिप्स व पापड़ स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं। खाद्य सामानों में मिलावट का खेल जोरों पर चल रहा है। लोग तीज-त्योहार पर पहले घरों पर खाद्य सामग्री तैयार करते थे, लेकिन अब समय के साथ व्यक्ति पूरी तरह से बाजार पर निर्भर हो गया।

हेल्थ के लिए घातक
कंपनियों में इसका जमकर फायदा उठाया जा रहा है। वह बाजार में रेडीमेड तैयार की हुई खाद्य सामग्री खपा रही हैं। वहीं, इनकी आड़ में खाद्य सामग्रियों पर वस्तु निर्माण की तिथि, एक्सपायर तिथि इत्यादि तक अंकित नहीं होती है। ऐसे में खरीदार को पता ही नहीं चल पाता है कि खाद्य सामग्री का निर्माण कब हुआ। ऐसी खाद्य सामग्री लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रही है। अखाद्य रंग केमिकल से तैयार होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। अस्थमा, किडनी, लीवर, आंत और फेफड़ों में संक्रमण पैदा कर सकते हैं। इनके सेवन से डायरिया सहित गर्भवती महिलाओं को गर्भपात की भी समस्या हो सकती हैं।

एसिडिटी को देती हैं बढ़ावा
रंगीन चिप्स और कचरी का सेवन एसिडिटी की शिकायत भी बढ़ा सकता है। पेट रोग संबधी समस्या आने पर कही तरह की बीमारियों से बच्चा ग्रसित हो सकता है।

क्या है सिंथेटिक फूड कलर
इन्हें कृत्रिम रंग भी कहा जाता है। ये रासायनिक प्रतिक्रिया द्वारा निर्मित होते हैं और आमतौर पर खाद्य और दवा उद्योगों में उपयोग किए जाते हैं। कुछ सामान्य खाद्य रंग हैं टार्ट्राजिऩ, सनसेट येलो, ऐमारैंथ, एलुरा रेड, क्विनोलिन येलो, ब्रिलियंट ब्लू और इंडिगो कारमाइन। तेजी से बदलती लाइफस्टाइल कारण बदलती लाइफस्टाइल के साथ खानपान के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। कई बार जल्दबाजी के चक्कर में हम कुछ भी खा लेते हैं। कई चीजों का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। इसी में एक है ऑर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल खाने की चीजों का रंग और टेस्ट को बेहतर बनाने में किया जाता है। लेकिन कुछ रिपोर्ट के मुताबिक, इसके ज्यादा इस्तेमाल से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का खतरा रहता है।

धीमा जहर है आर्टिफिशियल फूड कलर
ऑर्टिफिशियल फूड कलर से बनाई जाने वाली चीजों में बेंजीन की मात्रा पाई जाती है। इसे कार्सिनोजेन के नाम से भी पहचाना जाता है। इसके अलावा, फूड डाई में ऐसे कई सारे केमिकल मौजूद होते हैं जो कई बीमारियों को न्योता देते हैं। कई हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक, ऑर्टिफिशियल फूड कलर से बनी चीजों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
अटेंशन डेफिसिट हाइपर एक्टिविटी डिसऑर्डर
फूड कलर से बनी चीजों को लंबे समय तक इस्तेमाल करने से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर की समस्या होने का खतरा भी होता है। हालांकि, अभी तक इसके बारे में पूरी तरह से पुष्टि नहीं की जा सकी है। ज्यातादर रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, सिंथेटिक फूड कलर से बनी चीजों का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से एडीएचडी का खतरा बढ़ जाता है।

एलर्जी की समस्या
कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि आर्टिफिशियल फूड कलर से एलर्जी की समस्या हो सकती है। जैसे, कई रिसर्च से पता चला है कि पीले रंग की एक डाई जिसे टार्ट्राजिऩ कहा जाता है, इससेे अस्थमा और पित्ती का खतरा होता है।

आर्टिफिशियल फूड कलरआर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल तेजी से बढ़ गया है। कस्टमर्स को लुभाने के लिए भी इसका तेजी से यूज किया जा रहा है।
नसेट यलो
क्विनोलोन पीला
टेट्राइजिन
डार्क लाइट नीला
इंडिगो आर्मीन
अल्लारा लाल

आर्टिफिशियल फूड कलर से इस तरह बचें

घर का बना खाना खाएं
आर्टिफिशियल फूड कलर के इस्तेमाल से बचने का सबसे अच्छाय तरीका यही है कि घर के बने खाने का ही ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए। पैक्ड फूड से जितना मुमकिन हो दूर रहें।

हेल्दी फूड चुनें
खाने पीने की चीजों में अलग अलग रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए खाने पीने की चीजों को चुनते समय ध्यान रखें कि उसमें फूड डाई के मिले होने की कितनी संभावना है।

इंग्रीडिएंट्स पर दें ध्यान
पैक्ड फूड खरीदने से पहले उस पर दी गई सूची में उसे बनाने में इस्तेमाल किए गए इंग्रीडिएंट्स को ध्यान से देखें। वहां पर इस बात का पता आसानी से लगाया जा सकता है कि उसमें कितनी मात्रा में आर्टिफिशियल फूड कलर का इस्तेमाल किया गया है।