आगरा (ब्यूरो) आपका बच्चा चोरी करते पकड़ा गया है, आपकी बेटी को पकड़कर थाने लाया गया है, आपके नाम से पार्सल में आपत्तिजनक सामान मिला है। अगर इस तरह का कोई भी कॉल आपके पास आए तो घबराएं नहीं। पैनिक होने की बजाय हिम्मत दिखाएं, क्योंकि इसकी संभावना अधिक है कि कॉल करने वाला साइबर क्रिमिनल्स हो। आपको डराकर आपसे रकम ऐंठना चाहता हो। गुरुवार को बेटी के नाम पर महिला को डिजिटल अरेस्ट किया गया। बेटी के बारे में सुन महिला घबरा गईं, जो उनकी मौत का कारण भी बन गई।
10 वें नंबर है भारत
2024 में ही दुनिया का पहला साइबर क्राइम इंडेक्स जारी हुआ था। 'मैपिंग ग्लोबल जियोग्राफी ऑफ साइबर क्राइम विद द वल्र्ड साइबर क्राइम इंडेक्सÓ के नाम से। इसमें बताया गया कि दुनियाभर में कहां कहां साइबर अपराध सबसे ज्यादा हो रहे हैं। लिस्ट में 15 देशों के नाम हैं। पहले नंबर पर रूस, यूक्रेन दूसरे तो तीसरे नंबर पर चीन को साइबर क्राइम का सबसे बड़ा गढ़ बताया गया। इसमें भारत 10 वें नंबर पर हैं। भारत में साइबर क्राइम और ठगी कोई नई बात नहीं है।
सरकार ने किया था अलर्ट
इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही डिजिटल और ऑनलाइन धोखाधड़ी के आंकड़े भी आसमान छू रहे हैं। ठग आए दिन नायाब तरीके ढूंढ लोगों को चूना लगा रहे हैं। क्या आम और क्या खास। कोई भी इससे अछूता नहीं रहा। हाल ही में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने मई में चेतावनी जारी की थी कि 'डिजिटल अरेस्टÓ के मामलों की संख्या बढ़ रही है। पिछले कुछ महीनों में आम लोगों से लेकर अधिकारी और बिजनेस मैन तक इस तरह की ठगी का शिकार हुए हैं। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि डिजिटल अरेस्ट क्या है?
इस तरह धमका रहे क्रिमिनल्स
साइबर ठगों ने फ्र ॉड का ये नया तरीका खोजा है। डिजिटल अरेस्ट में पार्सल या कोरियर में ड्रग्स, बैंक खाते में गलत ट्रांजेक्शन, मनी लॉण्ड्रिंग के आरोप जैसे ठगी के तरीके बहुत अपनाए जाते हैं। ऐसे मामलों में ठग लोग पुलिस, कस्टम, इनकम टैक्स या नारकॉटिक्स अधिकारी की यूनिफार्म पहनकर लोगों को वीडियो कॉल करते हैं। झूठा आरोप लगाकर डिजिटल अरेस्ट की बात कहते हैं। मानसिक तौर पर पीडि़त को तोडऩे और डराने का हर हथकंडा अपनाते हैं।
बुजुर्ग, डॉक्टर, बड़े अधिकारी निशाने पर
एक्सपट्र्स की मानें तो साइबर क्राइम का शिकार कोई भी हो सकता है। क्योंकि सुरक्षा के कमजोर उपायों के चलते मोबाइल के एक क्लिक से साझा हो रही आपकी निजी जानकारी जैसे नाम, नंबर, पैन, और बैंक अकाउंट की डिटेल्स आसानी से कोई भी देख सकता है। डिजिटल अरेस्ट के अधिकांश केसेस में पीडि़त लोगों की प्रोफाइलिंग करने पर यह पता चला है कि अधिकांश बुजुर्ग, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और रिटायर सरकारी अधिकारी जैसे लोग डिजिटल अरेस्ट से साइबर ठगी का शिकार हो रहे है।
बचाव के तरीके
-फोन, लैपटॉप या किसी अन्य डिवाइस के सॉफ्टवेयर को अप-टू-डेट रखें
-किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें
-साइबर ठगी का शिकार होने पर स्थानीय पुलिस को 112 पर सूचित करना चाहिए।
-हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज करवा सके हैं
-उसके अलावा ऑनलाइन भी कर सकते हैं कंपलेन
बिना कुछ सोचे-समझे फोन काट दें
डिजिटल अरेस्ट के मामले में साइबर क्रिमिनल्स का कॉल आने पर लोगों के मन में पहला ख्याल बचने का आता है। वे मुसीबत टालने के लिए पैसा दे देते हैं। लोग सोचते हैं कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ऐसे में यह समझना होगा। कि अगर कभी भी आपके पास किसी अंजान नंबर से कॉल आए और आपको गिरफ्तारी की धमकी दी जाए। तो घबराएं नहीं। आपको बिना कुछ सोचे-समझे फोन काट देना है।
न पैसा दें ना ही अकाउंट की डिटेल
ज्यादातर ऐसी वीडियो कॉल पुलिस अधिकारी के नाम से आती है। और प्रोफाइल फोटो में पुलिस वाले की तस्वीर लगी हो सकती है। या फिर पुलिस का लोगो भी हो सकता है। अगर आपको लगता है कि आप इस फ्र ॉड का शिकार हुए हैं। तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। अपने बैंक अकाउंट की जानकारी न दें। पैसा भी ट्रांसफर न करें। यहां आपको यह जान लेना चाहिए कि पुलिस कभी भी फोन पर आपसे पैसा नहीं मांग सकती। यह समझना बेहद जरूरी है कि डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर अपराध है और इससे बचने के लिए जागरूकता जरूरी है।
डिजिटल अरेस्ट के मामले
जुलाई- 2024
-पुलिस से रिटायर्ड अधिकारी को कॉल आया कि उनका बेटा कोटा में डिजिटल अरेस्ट हो गया है। इससे डर कर उन्होंने 50 हजार रुपए साइबर ठगों को उनके खाते मेें भेज दिए.
अगस्त, 2024
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके अनिल गोयल साइबर क्रिमिनल ने आईपीएस अधिकारी बताया। 69 लाख खाते में भेजने की बात कही,
सितंबर, 2024
-एक्स प्रोफेसर को कॉल आया कि उनकी बेटी सैक्स रैकेट मे ं पकड़ी गई हैं। लेकिन उनकी बेटी उस समय घर पर ही थी। इस तरह वे ठगी से बच गए.
साइबर ठग रोजना नए नए तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे हैं, ऐसे में पुलिस को अभियान चलाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक लोगों को ठगों के बारे में पता चल सके।
अरविंद मिश्रा, शिक्षक
पहले साइबर क्रिमिनल्स ओटीपी पूछकर बैंक अकाउंट खाली करते थे, लेकिन अब वे अपने तरीके को बदल रहे हैं। पब्लिक को भी समझ में आना चाहिए। जिससे वे भी दूसरों को अवेयर कर सकें।
अजय शाह, व्यापारी
साइबर ठग पब्लिक को डर दिखाकर उनकी मेहनत की कमाई हड़प रहे हैं। पुलिस को पब्लिक प्लेस पर लोगों को अवेयर करने के लिए अभियान चलाना होगा।
राजीव वर्मा, शिक्षक