आगरा (ब्यूरो)। डिजिटल अरेस्ट गैंग को विदेश से ऑपरेट किया जा रहा है। इस गैंग को संसाधन जैसे मोबाइल सिम व अन्य सामान आगरा से मुहैया कराया जा रहा है। पुलिस ने मामले में एक आरोपी शाहरुख को अरेस्ट किया है। जिसके मोबाइल में व्हाट्सएप चैट से कई खुलासे हुए हैं। सिम को अछनेरा से हरियाणा पहुंचाया जाता था। वहां से श्रीलंका भेजा जाता था, जहां से गैंग ऑपरेट किया जाता था।
11 एक्टिवेटेड सिम किए जब्त
एसटीएफ इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा ने बताया कि दिल्ली और मेवात में एक्टिव साइबर फ्रॉड को आगरा से फर्जी सिम उपलब्ध कराने की जानकारी मिली थी। बुधवार रात को एक कार की चेकिंग के दौरान खंदारी से डिजिटल अरेस्ट के आरोपी शाहरुख को अरेस्ट किया गया। पकड़े गए आरोपी के पास से 11 एक्टिवेटेड सिम, 14 एटीएम जो अलग-अलग बैंक के थे, बरामद किए। इन सभी सिम पर फर्जी आईडी लगी है।
श्रीलंका तक भेजता था सिम
एसटीएफ पूछताछ में आरोपी शाहरुख ने बताया कि वो दिखाने के लिए कबाड़ का काम करता है। जिससे कोई उस पर शक जाहिर न कर सके। शाहरुख का बड़ा भाई दिल्ली में रहता है। शाहरुख ने पुलिस को बताया कि वो जरूरतमंद लोगों की आईडी लेकर सिम जारी कराकर, बैंक खाता ओपन करवाता था। इसके एवज में उनको 10 से 20 हजार रुपए देता था। शाहरुख का भाई इन सिम को अपने रिश्तेदार जो मेवात हरियाणा में रहते हैं, सप्लाई करता था। वहां से ये सिम श्रीलंका तक भेजी जाती थीं।
कोड बताकर एक खास वर्ग को किया टारगेट
डिजिटल अरेस्ट के आरोपी के मोबाइल से मास्टरमाइंड जुनेद और उसके बीच की मोबाइल चैट मिली है। जिसका कोड वर्ड 1212 है। चैट में एक वर्ग विशेष के लोगों को टारगेट किया जा रहा है। इसमें उस वर्ग के नाम से ही सिम लेने की बात कही गई है।
टैफ्को एप का किया गया यूज
एसटीएफ ने शातिर गैंग के खुलासे के लिए एक ऐप का यूज किया था। एसटीएफ प्रभारी यतेन्द्र शर्मा ने बताया कि टैफ्को कैप्को ऐप संचार सारर्थी पोर्टल के जरिए पता लगाया जा सकता है कि एक व्यक्ति के नाम से कितनी सिम कार्ड जारी किए गए हैं। एटीएफ ने अछनेरा से शाहरुख को अरेस्ट कर उसके साथ्यिों के बारे मेें जानकारी ली, जिसके तार मेवात हरियाणा और श्रीलंका से जुड़े हैं। इसका खुलासा एसटीएफ की जांच में किया गया है।
गरीबों के अकाउंट में रुपए कराए ट्रांसफर
देहात क्षेत्रों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों को रुपए का लालच देकर उनके नाम से बैंक में खाते खुलवाए जाते थे। खातों से उनकी आईडी पर लिए गए सिम को लिंक कराने के बाद साइबर ठगों को उपलब्ध करा देता था। साइबर क्रिमिनल्स इन खातों में लोगों से ठगी गई रकम ट्रांसफर करा लेते थे। सिमों को प्रयोग यूपीआई आईडी चलाने और लोगों को व्हाट्सएप कॉल करने में करते थे। इस संबंध में थाना न्यू आगरा में केस दर्ज है।