नाले उफनने से हुआ व्यापारियों को आर्थिक नुकसान
शहर के ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर बनाने और चौक नालों को खोलने के लिए कई बार सदन से लेकर नगर निगम की बैठकों में मंथन किया गया है। लेकिन सब कुछ कागजों तक ही सीमित रह गया। रिजल्ट ये है कि थोड़ी सी बारिश में शहर में जलभराव के हालात बन जाते हैं। शहर के मुख्य चौराहे मदिया कटरा, कैलाशपुरी, नेशनल हाइवे-19, नाला काजीपाड़ा, सेंट जोंस चौराहे में पहली बार जलभराव हुआ। शिवाजी मार्केट से लेकर राजामंडी बाजार के व्यापारियों को नाले उफनने से आर्थिक नुकसान हुआ। बारिश से ठीक पहले सफाई के लिए चलने वाले अभियान से आधा काम भी अगर वर्ष भर हो तो इस तरह का संकट ही खड़ा नहीं होगा।


नालों में कूड़ा डाल रहे लोग
शहर में रोजाना 1250 टन कूड़ा निकलता है, इसमें सिल्ट भी शामिल रहती है। शहर के मध्य से होकर गुजर रहे बड़े नालों की चौड़ाई छह से 12 फीट तक है, जबकि इनकी गहराई 15 से 25 फीट तक है। ऐसे में घने बाजारों में लोग नालों में कूड़ा तक डाल देते हैं। भैरो बाजार के नाले में अकसर चारपाई, रजाई, कंबल, टूटी कुर्सिया, मरे हुए पशु भी निकलते हैं। मंटोला नाला के आसपास जूता निर्माण का काम होता है, जिससे कतरन के लिए नगर निगम के वाहन दिन में दो बार पहुंचते हैं, लेकिन इस पर लगाम लगामे में असफल साबित हो रहे हैं। पेठा वेस्ट भी कुछ क्षेत्रों में नालों में पहुंचता है। इसके साथ ही कुछ सफाई कर्मी भी नाले, नालियों में सड़कें झाडू कूड़ा डाल देते हैं, लेकिन इन पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। इसमें प्रतिबंधित पॉलीथिन सहित ऐसा दूसरा कूड़ा नालियों को चौक करता है। पुराने बाजारों में सकरी पुलियां चौक हो जाती है।


कागजों में नजर आ रही सफाई
नगर निगम ने शहर में सीवर मैनेजमेंट का कार्य वबाग कंपनी को दे रखा है। नगर निगम की ओर से यह दावा किया जाता है कि सुपर सकर मशीन से घने बाजारों में नालियों व नालों को साफ कराया जाता है। ये काम उस समय किया जाता है, जब रोड व मार्केट में जलभराव हो जाता है। शहर के बड़े 18 नालों की बात करें तो शहर के मध्य स्थित लंगड़े की चौकी क्षेत्र में नाला शाही कैनाल शहर की पाश कॉलोनी विजय नगर क्षेत्र को जोड़ता है। इसकी सफाई तक आधी अधूरी हुई। वहीं बोदला से गढ़ी भदौरिया, खतैना, मंटोला को जोड़ते हुए यमुना में पहुंचने वाला नाला भी साफ नहीं हो सका। इसके साथ ही कई दूसरे नाले जगह-जगह भूमिगत है, जिनकी सफाई तो कागजों में ही हो गई है। लेकिन जमीन पर नहीं नजर आई।


दुकानों और घरों मेंं घुसा सीवर का पानी
इसका परिणाम ये हुआ कि शहर की लाइफ लाइन एमजी रोड सहित राजामंडी सहित दूसरे बाजारों में नाला उफनने से दुकानों में पानी घुसा। वहीं काजी पाड़ा नाला उफनने से शिवाजी मार्केट में भी पानी भरा। इसके साथ ही खेरिया मोड़ के निकट अयोध्या कुंज के लोग को बेहाल हो गए। कॉलोनी में चार तो घरों में भी दो फीट तक जलभराव हो गया। लोगों का सामान भी खराब हो गया था। नुकसान के आंकलन का व्यापारियों को अपना-अपना दावा रहा।

विजय नगर के नाले चौक
शहर की पॉश कॉलोनी कमला नगर से लंगड़े की चौकी और विजय नगर के लिए आने वाला नाला पूरी तरह चौक देखा गया। नाले का गंदा पानी सड़कों पर बह रहा था, इससे रोड से गुजरने वाले लोगों को खासी समस्या का सामना करना पड़ा। विजय नगर मुख्य चौराहे से पहले खुला मेनहॉल हादसों को दावत देता नजर आया। यहां से गुजरने वाले वाहन अचानक खुले मेनहॉल को सामने देख अपनी दिशा बदल रहे थे, इस बीच उनकी पीछे से आ रहे वाहन जैसे तैसे खुद को संभाल रहे थे।


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जलभराव की समस्या समाधान का दावा
अपर नगरायुक्त एसपी यादव का कहना है कि नगर निगम ने जलभराव के समाधान की दिशा में सार्थक प्रयास किए हैं। मानसिक स्वास्थ्य संस्थान रोड पर बारिश जलसंचयन के साथ ही दूसरी व्यवस्था की गई। वहीं शमसाबाद रोड पर माल रोड से शमसाबाद रोड की ओर जाने वाली दायीं ओर लगभग डेढ़ मीटर गहरे नाले को बांयी ओर 900 मिलीमीटर की पाइप से मिला दिया। इससे जलभराव की समस्या खत्म हुई है। वहीं एयरपोर्ट के गेट के आसपास खेरिया मोड़ पर होने वाले जलभराव के स्थाई समाधान दूसरे ओर से आने वाली सड़क को ऊंचा कराया जाना प्रस्तावित है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर कार्ययोजना बनाई जा रही है।
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शहर में नालों पर एक नजर
कुल नाले, 410
बड़े नाले, 18
मझोले नाले, 251
छोटे नाले, 141
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शहर में नालों की सफाई ठीक से नहीं होती है। जल निकासी व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है। दयालबाग के कुछ हिस्सों से लेकर शहर के प्रमुख मार्ग तक थोड़ी बारिश में जलभराव के हालात बन जाते हैं।
भरत शर्मा, पार्षद


शहर का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से फेल है। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। शहर विस्तार हुआ है। तो ड्रेनेज सिस्टम उसी तरह बढ़ाना चाहिए। शहर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। लेकिन उस तरह से काम नहीं किया गया है।
सुहैल कुरैशी, पार्षद


मानसून से पहले नालों की सफाई कराई गई थी, कई इलाकों में कार्य की मॉनीट्रिंग भी गई है, लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं, जहां लोग अपने घरों या व्यापारिक प्रतिष्ठानों से निकलने वाला कचरा नाले में बहा देते हैं, ऐसे में लोगों से अपील है कि वे कचरा कूड़ेदान या कूड़ा गाड़ी में ही डालें।
हेमलता दिवाकर कुशवाह, मेयर, आगरा