आगरा (ब्यूरो)। मोबाइल फोन गुम होने की शिकायत दर्ज कराने पहुंचे बुजुर्ग अचानक चक्कर आने पर गिर पड़े। आगरा कैंट पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के सिपाही को समझते देर नहीं लगी। बचपन के ज्ञान और यू-ट््यूब से मिली जानकारी के आधार पर बुजुर्ग की छाती को वह लगातार दबाते रहे। कुछ ही पलों में बुजुर्ग के दिल की धड़कन सामान्य हो गई और वह उठ खड़े हुए। यह वीडियो मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। सिपाही के इस कार्य की सराहना की जा रही है। वहीं, सीकरी में एक नौजवान रेल पैसेंजर्स की तरह खुशकिस्मत नहीं रहा। वह अपने साथियों संग रोज की तरह मॉर्निंग रनिंग पर निकला था। अचानक से चक्कर आने के बाद बेहोश होकर सड़क पर गिर गया। हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई।

मोबाइल गुम होने की शिकायत लेकर पहुंचे
घटना 16 सितंबर की रात 10 बजे की है.प्रयागराज के 68 वर्षीय जय शंकर शुक्ला आगरा से प्रयागराज एक्सप्रेस से अपने घर जा रहे थे। कैंट स्टेशन पर उनका फोन गुम हो गया। जय शंकर, साथी के साथ जीआरपी थाना पहुंचे। नाइट ड्यूटी में सिपाही रङ्क्षवद्र चौधरी और राकेश कुमार थे। जय शंकर की शिकायत पर सिपाही रङ्क्षवद्र ने रिसीङ्क्षवग दी। इस बीच जय शंकर को चक्कर आ गया और वह गिर पड़े। यह देख रङ्क्षवद्र और राकेश दौड़े। रङ्क्षवद्र ने बुजुर्ग की छाती को दबाना शुरू कर दिया। राकेश ने दूसरे साथी को बुला लिया।

एक मिनट तक दबाई छाती
रङ्क्षवद्र ने एक मिनट तक छाती को दबाया। कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देकर रङ्क्षवद्र ने बुजुर्ग की जान बचा ली। होश में आने पर बुजुर्ग को कुछ खाने के लिए दिया। रङ्क्षवद्र के इस कार्य की सराहना हो रही है। रङ्क्षवद्र वर्ष 2016 बैच के सिपाही हैं। रङ्क्षवद्र ने बताया कि बचपन में कई बार सीपीआर के बारे में सिखाया गया था। इंस्पेक्टर यादराम ङ्क्षसह ने बताया कि रङ्क्षवद्र ने जो किया, वह सराहनीय है। रङ्क्षवद्र के ज्ञान ने बुजुर्ग की जान बचा ली।

नहीं भूल पाऊंगा
पैसेंजर जय शंकर शुक्ला ने रङ्क्षवद्र के अलावा जीआरपी के अन्य सिपाहियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि वह तो आगरा घूमने आए थे लेकिन जिस तरीके से उनकी ङ्क्षजदगी बचाई गई, उसे वह कभी नहीं भूल पाएंगे।

क्या है सीपीआर
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ। एके गुप्ता का कहना है कि कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक प्राथमिक चिकित्सा उपचार की तकनीक है। कई बार अचानक सांसें उखडऩे लगती हैं। अगर एक मिनट में मरीज को सही उपचार मिल जाए तो उसकी ङ्क्षजदगी बच सकती है। इसका उपयोग तब किया जा सकता है, जब किसी की सांस न चल रही हो। यह एक ऐसा कौशल है, जिसे सभी को सीखना चाहिए।