आगरा.(ब्यूरो) त्योहारों की रौनक मार्केट में नजर आने लगी है। मौके को खास बनाने के लिए लोगों में भी नई-नई चीजें अपने घर लाने की होड़ मची है। इस दौरान कोई ऑफलाइन खरीदारी कर रहा है, वहीं अच्छी-खासी संख्या उनकी भी है जो ऑनलाइन शॉपिंग पर भरोसा कर रहे हैं। इन दिनों -ई-कॉमर्स साइट और ऐप सामान्य से ज्यादा डिस्काउंट देकर ग्राहकों को लुभा रहे हैं। वैसे तो ऑनलाइन शॉपिंग में हमें बहुत-सी सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन स्कैम वगैरह का रिस्क भी बढ़ जाता है।

कंपनी के मिलते, जुलते नाम से करते हैं ठगी
ऐसे में जरूरी है कि आप ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्त कुछ जरूरी चीजों का ख्याल रखें। ताकि कोई आपको लालच का लाभ देकर चूना न लगा पाए। फाइनेंशियल नुकसान से खुद को सेफ रखने के लिए कुछ जरूरी चीजें हैं जो आपको रखनी चाहिए। सोशल मीडिया पर चल रहे लिंक को कभी क्लिक न करें, जब तक उसके बारे में आपको कोई जानकारी न हो। त्योहारों पर एक्टिव साइबर फ्रॉड लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। कई बार डिस्काउंट के लालच में आकर ऑनलाइन ठगी हो जाती है, ब्रांडेड कंपनी से मिलते जुलते ऐप देखकर अक्सर लोग धोखा खा जाते हैं।


ऑनलाइन शॉपिंग में किस तरह का रिस्क
एसीपी आदित्य कुमार ने बताया कि ऑनलाइन शॉपिंग से हमारी जिंदगी पहले के मुकाबले आसान हो गई है। कुछ भी मंगाना हो 10 मिनट में डिलीवर हो जाता है। इसका एक दूसरा पहलू भी है फ्र ॉड और साइबर ठगी का। जिसमें आए दिन लोग फाइनेंशियली अपना नुकसान करवा लेते हैं। खासकर फेस्टिव सीजन में तो ऐसे मामले खूब सुनते को मिलते हैं। इस समय ठग पब्लिक से पैसे ऐंठने के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हैं। कहीं ज्यादा ऑफर्स का लालच देकर ग्राहकों को लुभाया जाता है तो कहीं, बाय वन गेट वन फ्री, जैसी डील में लोगों को फंसाने की कोशिश होती है।

शॉपिंग करते समय इन बातों का रखें ध्यान
भले ही आप इस दिवाली 100 रुपए की शॉपिंग करें या फिर 1000 रुपए की। दोनों ही जगह आपको शॉपिंग के समय अलर्ट रहना बहुत जरूरी है। इस दौरान ऐसे एप और वेबसाइट आपको गुमराह कर सकते हैं। जो दिखने में तो असली की तरह होते है, लेकिन उनकी सच्चाई कुछ और ही होती है। इन फेक ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म पर खूब सारा डिस्काउंट दिया जाता है। यहां तक कि 60 से 80 फीसदी तक भी यहां छूट मिलती है। हालांकि जब सामान आपके पास डिलीवर होता है तो उसकी क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं होती है।

पहले चेक करें यूआरएल कोड
एसीपी हरीर्पवत आदित्य कुमार ने बताया कि एक के साथ एक फ्री का लालच कंपनियां दे रही हैं, खरीदारी करने से पहले आप चेक कर लें, कि जिस कंपनी का नाम दिया गया है, वो सही है या नही, कंपनी का यूआरएल कोड चेक कर सकते हैं। नीचे कुछ प्वाइंटस दिए गए हैं, अगर हम कुछ भी ऑनलाइन खरीद रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रख ठगी से बच सकते हैं।


रिव्यू पढ़कर न लगाए क्वालिटी का अंदाजा
कुछ लोग सिर्फ रिव्यू पढ़कर ही क्वालिटी का अंदाजा लगा लेते हैं। जबकि ऐसा करना कई बार रिस्की भी होता है। कुछ प्रोडक्ट पर फेक रिव्यू भी होते हैं। यानी उन्हें पैसे देकर करवाया जाता है। ताकि ग्राहक का मन डायवर्ट हो सके। इसलिए हमेशा किसी भी चीज के नेगेटिव और पॉजिटिव दोनों ही तरह के रिव्यू होना जरूरी है। आपको खरीदारी करने से पहले टर्म एंड कंडीशन और वारंटी पॉलिसी को बारीकी से पढऩा चाहिए।

इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होंगे ठगी का शिकार
1-जिस ऐप या वेबसाइट से शॉपिंग कर रहे हैं, सबसे पहले उसकी विश्वसनीयता को परख लें। इसके बारे में पता करने के कई तरीके हैं।

2-शॉपिंग से पहले आप वेबसाइट का यूआरएल चेक करें। फेक शॉपिंग वेबसाइट के यूआरएल में ग्रामर की गलतियां होना आम बात है।

3-अगर कोई शॉपिंग ऐप है तो उसके डेवलपर के बारे में प्लेस्टोर पर जाकर जानकारी कर लें, इसके बाद ही शॉपिंग करें।

4- सोशल मीडिया पर दिखाए गए विज्ञापन पर आंख मूंदकर बिल्कुल भी भरोसा न करें। अगर कोई प्रोडक्ट आपको पसंद आ रहा है तो भरोसेमंद साइट पर चेक कर लें।

5. अगर आपने कोई सामान ऑनलाइन मंगाया है तो आपको डिलीवरी ब्वॉय के सामने ही बॉक्स को ओपन करके उसे चेक कर लेना चाहिए।


बॉक्स।
हो जाए फ्र ॉड तो क्या करें
अगर आपको किसी भी तरह के फ्र ॉड का अंदेशा हो तो इसकी शिकायत साइबर थाने में करें। किसी भी तरह की धोखाधड़ी की कंप्लेन संबंधित वेबसाइट पर जाकर कर सकते हैं। साथ ही 1800-11-4000 या 1930 पर जाकर भी यह काम किया जा सकता है।


फेस्टिव सीजन में ऑनलाइन शॉपिंग करते समय अलर्ट रहने की जरुरत है। सस्ते ऑफर का लालच देकर साइबर ठग आपको ठगी का शिकार बना सकते हैं, ऑफर में फ्री का लालच कंपनियां दे रही हैं, खरीदारी करने से पहले आप चेक करलें कि जिस कंपनी का नाम दिया गया है, वो सही है या नही, कंपनी का यूआरएल कोड चेक कर सकते हैं।
आदित्य कुमार, एसीपी हरीर्पवत, आगरा कमिश्नरेट


शॉपिंग के लिए सोशल मीडिया पर चल रहे लिंक को क्लिक किया था, इसके बाद खाते से दो हजार रुपए निकल गए, इसकी कंप्लेन हेल्पलाइन नंबर पर की गई है। ऐसे में आप भी अलर्ट रहे।
सुरभि उपाध्याय



मेरी मदर ने गूगल से एक बैंक का हेल्पलाइन नंबर सर्च किया था, जहां उन्हें रिमोट ऐप डाउनलोड करने के लिए बोला गया था, इसके उनके खाते से तीस हजार रुपए निकल गए।
अमृषा शर्मा

आगरा कमिश्नरेट में रहने वाले लोगों की संख्या
46 लाख से अधिक
-शहर में रहने वाले लोगों की संख्या
21 लाख से अधिक
-कमिश्नरेट में पुलिस स्टेशन
47
-कमिश्नरेट में पुलिस फोर्स
5,800