शू कारोबारी बोले, मिली राहत
जूता उद्यमी इससे राहत मान रहे हैं, लेकिन लेदर निर्यात पर भी 40 से घटाकर 20 प्रतिशत शुल्क करने से निर्यात बढ़ेगा। इससे चीन सहित दूसरे देश जो हमारा लेदर खरीदते हैं और उस पर टेङ्क्षनग कर आकर्षक बनाते हैं। उनका निर्यात बढ़ जाएगा और बाजार में उपलब्धता घटने से मूल्य बढऩे की आशंका है। 45 दिन में एमएसएमई इकाई को भुगतान की बाध्यता में राहत नहीं मिलने से निर्यातक और स्थानीय जूता उद्यमी निराश हैं। उनका कहना है कि तीन से चार महीने में हमारे पास ही भुगतान आता है ऐसे में 45 दिन में भुगतान करना मुश्किल है।
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आयात शुल्क हटाए जाने से लाभ होगा, लेकिन निर्यात शुल्क में कटौती से स्थानीय बाजार में लेदर मूल्य वृद्धि होने की आशंका है। इससे स्थानीय बाजार प्रभावित होगा।
राजीव वासन, जूता निर्यातक
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लेदर पर आयात शुल्क घटाने से राहत होगी, लेकिन निर्यात शुल्क पर 20 प्रतिशत कटौती मुश्किल खड़ी करेगी। स्थानीय जूता कारोबार प्रभावित होगा। एमएसएमई को 45 दिन भुगतान की बाध्यता नहीं हटने से मुश्किल होगी।
नजीर अहमद, जूता निर्यातक
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निर्यात शुल्क 20 प्रतिशत घटाने से लेदर अधिक बाहर चला जाएगा। इससे स्थानीय बाजार में उपलब्धता घटने और महंगाई बढऩे की आशंका है। वहीं आयात शुल्क हटने से जूता उद्योग को सीधा लाभ मिलेगा।
चंद्र मोहन सचदेवा, जूता निर्यातक
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हमारे यहां से लेदर खरीद कर चीन टेङ्क्षनग करता है। आकर्षक बनाया जाता है। निर्यात पर शुल्क घटाने से बाजार में उपलब्धता घटेगी और मूल्य बढ़ेगा। लेदर से आयात शुल्क हटना राहत भरी खबर है।
उपेंद्र ङ्क्षसह लवली, जूता उद्यमी
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ये है आंकड़ा
- छह हजार से अधिक है जूते की छोटी, बड़ी इकाई
- साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को दे रहे रोजगार
- निर्यात में 25 प्रतिशत आगरा की भागीदारी
- 65 प्रतिशत से अधिक घरेलू बाजार पर भी कब्जा
- 70 से अधिक देशों में होता है निर्यात
- चार से पांच हजार करोड़ का निर्यात
- 18 हजार करोड़ का है स्थानीय कारोबार

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किराएदारों को मिल सकेगा आसानी से आवास


- औद्योगिक कर्मचारियों के लिए पीपीपी मोड पर बनाए जाएंगे रेंटल हाउस
- रेंटल हाउस के लिए सरकार बनाएगी गाइडलाइन, विदेश में है प्रचलन

आगरा। ताजमहल के शहर में भूमि की कीमतें आसमान छू रही हैं। भविष्य में कुबेरपुर में इंटीग्रेटेड मैन्यूफैक्चङ्क्षरग क्लस्टर (आईएमसी), यमुना एक्सप्रेसवे के किनारे न्यू आगरा अर्बन सेंटर और लखनऊ एक्सप्रेसवे के नजदीक बिझामई में डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने के बाद रोजगार के अवसरों का सृजन होगा तो श्रमिकों के लिए बड़ी संख्या में आवास की आवश्यकता होगी। ऐसे में रेंटल हाउस काफी उपयोगी साबित होंगे। किरायेदारों को भी आसानी से आवास मिल सकेंगे।

तैयार की जाएगी गाइडलाइन
केंद्र सरकार ने बजट में रेंटल हाउङ्क्षसग को बढ़ावा देने की बात कही है। इसके लिए गाइडलाइन तैयार की जाएगी। इसके लिए कुशल व पारदर्शी किराए का उपाय किया जाएगा। विदेश में बिल्डरों द्वारा लोगों के लिए रेंटल हाउस तैयार किए जाते हैं। बजट और जरूरत के अनुसार वहां लोग किराए पर आवास ले लेते हैं। भारत में अभी इसका प्रचलन नहीं है, लेकिन इसमें संभावना काफी अधिक है। यहां लोगों को किराए पर महंगे आवास लेकर रहना पड़ता है। किरायेदार व मकान मालिक के बीच भी विवाद होते हैं। सरकार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर रेंटल हाउस बनाने को गाइडलाइन तैयार करेगी। बिल्डर स्पष्ट गाइडलाइन की मांग लंबे समय से कर रहे थे। केंद्र सरकार के रुख से उन्हें इसके लिए संबल मिलेगा। टियर-टू शहरों में शामिल आगरा के लिए यह काफी लाभकारी रहेगा। रेंटल हाउङ्क्षसग से रियलिटी सेक्टर के उद्यमियों को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन व जूता उद्योग के श्रमिकों के लिए भी यहां बड़ी संख्या में आवास की आवश्यकता है।
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प्रधानमंत्री आवास योजना-2 का लाभ शहरी और ग्रामीण दोनों को मिलेगा। रेंटल हाउङ्क्षसग के लिए अभी गाइडलाइन का इंतजार करना होगा। सरकार को होम लोन सस्ता करने पर भी ध्यान देना चाहिए था।
-शोभिक गोयल, अध्यक्ष क्रेडाई


रेंटल हाउस के निर्माण को सरकार द्वारा उठाया गया कदम सकारात्मक है। सरकारी पहले गाइडलाइन बनाएगी। इसे धरातल तक आने में समय लगेगा। इसका लाभ अल्पकाल के बजाय दीर्घकाल में मिलेगा।
-हेमंत जैन, बिल्डर