भुगतान फ ंसने का सता रहा डर
बांग्लादेश और आगरा के बीच सालाना हजारों करोड़ का आयात-निर्यात होता है। लेबर असानी से मिलने के कारण मजदूरी कम है। इसके कारण चमड़ा क्षेत्र भी वहां पर तेजी से बढ़ रहा है। बड़ी मात्रा में शू सप्लाई की जाती है। हालांकि वर्तमान में व्यापारी असमंज की स्थिति में है। बांग्लादेश मेें चल रही हिंसा से शहर के कारोबारी परेशान हैं। उनको अपना भुगतान फंसने का डर सता रहा है। हालांकि एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का लाभ लेने वाले निर्यातकों को जोखिम की संभावना कम हो सकती है। जानकारों का कहना है कि वहां के बैंक भी बंद हो गए हैं और नकदी संकट है। इसका असर भुगतान पर पड़ सकता है।

हिंसा में झुलसे पचास करोड़ रुपए
बांग्लादेश की हिंसा में आगरा के लगभग 50 करोड़ रुपए झुलस गए हैं। ताजनगरी से इस देश के अलग-अलग हिस्सों में फुटवियर कम्पोनेंट की आपूर्ति होती है। देशभर की मिलों से उठाया गया कपड़ों का बड़ा जखीरा भी बांग्लादेश में ही खपाया जाता है। एक कारोबारी ने बताया कि आगरा के तीन दर्जन से ज्यादा कारोबारी बांग्लादेशी जूता इकाइयों को कच्चा माल बेचते हैं। इसमें प्रमुख रूप से सोल, लाइनिंग, शू लास्ट शामिल है।

कारोबार को होगा नुकसान
काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोट्र्स के उत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष पूरन डावर ने बताया कि बांग्लादेश की इकाइयों को आगरा से बड़े पैमाने पर कच्चा माल जाता है। यहां के तीन दर्जन से अधिक कारोबारी बांग्लादेश के फुटवियर फेयर में शामिल होते रहे हैं। आगरा से बांग्लादेश का कारोड़ों रुपए का कारोबार है। बांग्लादेश से कच्चा और तैयार दोनों प्रकार का चमड़ा आयात किया जाता है। इसके साथ ही शहर से चमड़ा और चमड़ा के उत्पाद, कंपोनेंट, सोल आदि का निर्यात किया जाता है।


सरसों के तेल की बड़ी खपत
आगरा से बड़े पैमाने पर सरसों तेल की आपूर्ति बांग्लादेश को होती है। लेकिन यहां के व्यापारी सीधा कारोबार नहीं करते। पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के विभिन्न जिलों के कारोबारियों के माध्यम से यह डिलीवरी की जाती है। केसी ऑयल कंपनी के रमाकांत गर्ग ने बताया कि वे खेरागढ़ से सरसों तेल की आपूर्ति करते हैं। इसलिए आगरा के कारोबारियों को रकम अटकने से संबंधित मुश्किल तो नहीं है। लेकिन बड़ी तादाद में मिलने वाले ऑर्डरों का नुकसान होने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार बांग्लादेश को बड़े पैमाने पर दवाओं की आपूर्ति भी आगरा के बाजार से की जाती है।


क्या कहते हैं कारोबारी

बांग्लादेश की इकाइयों को आगरा से बड़े पैमाने पर कच्चा माल जाता है। यहां के तीन दर्जन से अधिक कारोबारी बांग्लादेश के फुटवियर फेयर में शामिल होते रहे हैं। आगरा से बांग्लादेश का कारोड़ों रुपए का कारोबार है। बांग्लादेश से कच्चा और तैयार दोनों प्रकार का लेदर इंपोर्ट किया जाता है। इसके साथ ही शहर से चमड़ा और चमड़ा के उत्पाद, कंपोनेंट, सोल आदि का निर्यात किया जाता है।
पूरन डावर, सीएलई, अध्यक्ष, उत्तर क्षेत्र


ये आपदा में अवसर है। अभी तक विश्व के भीतर भारत से सस्ता जूता कोई दे सकता है तो वो बांंग्लादेश है। ऐसी स्थिति में योरोप और यूएस के कस्टमर अब आगरा की ओर मुड रहे हैं। सरक ार को इसको लेकर प्लांिनंग करनी होगी। लोग भारत की ओर देख रहे हैं।
विजय सामा, शू फैक्टर फैडरेशन अध्यक्ष विजय शामा

बांग्लादेश से कच्चा और तैयार दोनों प्रकार का लेदर इंपोर्ट किया जाता है। इसके साथ ही शहर से लेदर और लेदर के प्रोडक्ट, कंपोनेंट, सोल आदि का निर्यात किया जाता है। वहां के संकट पर कारोबारियों की नजर है। उम्मीद है कि जल्द ही वहां के हालात सामान्य होंगे।
सिद्धार्थ शर्मा, रुद्रा शूज


बांग्लादेश के सोना मस्जिद, बेनापोल, पेट्रापोल पर शहर के कारोबारियों के चमड़ा और चमड़ा के उत्पादों के सौ करोड़ के कंसाइनमेंट फंसने की आशंका है। ये कंसाइनमेंट हिंसा से एक सप्ताह पहले शहर से भेजे गए थे। शहर से बांग्लादेश के बीच करीब तीन सौ से चार सौ करोड़ का सालाना कारोबार है।
पुनीत गुनानी, काली शूज


शहर के कई कारोबारियों के बांग्लादेश में अलग-अलग उत्पादों की फैक्ट्रियां और कार्यालय हैं। वहां हिंसा के चलते उनमें चिंता है। कुछ को बंद किया गया है। हालांकि औद्योगिक क्षेत्र में वहां के हालातों का बहुत असर नही है। सेना ने कमान संभाल ली है।
दिनेश कश्यप, रेड रिविन फुटवियर


बांग्लादेशी इकाइयों को भेजे जाते हैं कपड़े
आगरा में बड़े पैमाने पर लॉट का कपड़ा आता है। यह कपड़ा मामूली कमी के कारण कम दामों पर मिल जाता है। इस कपड़े के खरीदार रेडीमेड गारमेंट इकाइयां हैं। बांग्लादेश की कई इकाइयां इस लॉट के कपड़े की खरीद करती हैं। इसमें बड़े पैमाने पर सूती कपड़ा रहता है। अन्य किस्म के कपड़े भी बांग्लादेशी इकाइयों को भेजे जाते हैं।