इस तरह हुआ फर्जी नंबर प्लेट बनाने के कॉकस का खुलासा
-दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को शहर में काफी समय से फर्जी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाए जाने के इनपुट मिल रहे थे। बुधवार को डीजे आईनेक्स्ट की टीम शहर के अलग अलग जगहों पर अलग अलग डीलरों के पास पड़ताल को पहुंची। काफी मशक्कत के बाद दो डीलर फर्जी नंबर प्लेट बनाने को राजी हो गए। टीम ने उन डीलरों को तय राशि दी और डीलर ने मात्र आधे घंटे में ही फर्जी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बना कर दे दी। हैरानी की बात यह थी कि इस फर्जी नंबर प्लेट और असली नंबर प्लेट का फर्क कोई भी नहीं बता सकता। साथ ही जो बार कोड असली नंबर प्लेट पर होता है। वही बार कोड इस प्लेट पर भी था। विभाग द्वारा दावा किया गया था कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट की कॉपी कोई बना ही नहीं सकता, लेकिन आईनेक्स्ट की इस पड़ताल ने विभाग के सभी दावों की पोल खोल दी जिनमें इन नंबर प्लेट की कॉपी न होने का दावा किया जा रहा था।
-रिपोर्टर और फर्जी नंबर प्लेट बनाने वाले डीलर के बीच ये हुई बातचीत.
रिपोर्टर-भाई साहब एक नंबर प्लेट लगवानी है
डीलर-लग जाएगी कब चाहिए?
रिपोर्टर-अभी लग जाए तब ठीक है शहर में जाने पर चालान हो जाता है
डीलर-किसकी है दो पहिया या चार पहिया
रिपोर्टर-चार पहिया
डीलर-500 रूपए लगेंगे आधा घंटे का समय दो।
रिपोर्टर-लेकिन नंबर प्लेट तो हाई सिक्योरिटी होगी ना।
डीलर-जी भाई साहब बिल्कुल असली की तरह और आपका चालान भी नहीं होगा।
रिपोर्टर-लेकिन नंबर प्लेट बनने में टाइम लगता है न आप आधे घंटे में कैसे दोगे
डीलर-अरे भाई साहब सब कुछ असली जैसा होगा पर नंबर प्लेट असली नहीं होगी तभी तो आपको सस्ती मिल रही है। वैसे जाओगे 10 दिन लग जाएंगे और 800 से 1100 का खर्चा आएगा।
डीलर-लेकिन बार कोड होता है उस पर तो वो कैसे मिल जाएगी?
रिपोर्टर-ये समस्या हमारी है सब कुछ हो जाएगा
डीलर-आरसी नहीं है वाहन भी नहीं
रिपोर्टर-कोई बात नहीं 200 रूपये एक्स्ट्रा लगेंगे
रिपोर्टर- कुछ कम नहीं होगा
डीलर-जाओ किसी दूसरे से बनवा लो।
-पास ही खड़े दूसरे डीलर के पास जाने के बाद।
रिपोर्टर-नंबर प्लेट बनवानी है
डीलर-अभी जहां गए वहां नहीं बनी
रिपोर्टर-नहीं पैसे ज्यादा मांग रहा है
डीलर-उतने ही लगेंगे 100 रुपए कम हो जाएंगे पैसे दो और आधा घंटा रुक जाओ
रिपोर्टर-लेकिन इसमें तो टाइम लगता है
डीलर-अरे भाई साहब ये नंबर प्लेट असली जैसी होगी लेकिन असली नहीं होगा
रिपोर्टर-लेकिन असली में तो बारकोड होता है एक कोड होता है अगर में पकड़ा गया तो
डीलर-पूरा पैसा वापिस कर दूंगा हम दिन भर ऐसी नंबर प्लेट लगाते है कोई नहीं पकड़ पाता
रिपोर्टर-लेकिन कैमरे तो चालान कर देंगे
डीलर-नहीं कैमरों का बाप भी इसको नहीं पकड़ सकता है इस नंबर प्लेट में सब कुछ होगा। बार कोड भी यूनिक कोड भी कोई नहीं पकड़ पाएगा गारंटी है।
रिपोर्टर-आरसी नहीं है और मेरे पास गाडी भी नहीं है
डीलर-नंबर याद है या वो भी नहीं नंबर बताओ उसी से काम कर देंगे
रिपोर्टर-ठीक है लो पैसे
तय पैसे देने के बाद डीलर ने आधे घंटे बाद ही फर्जी नंबर प्लेट ला कर दे दी जिसमें बार कोड से लेकर यूनिक कोड तक सब कुछ था।
क्या है हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट यानी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट को विशेष रूप से एल्युमिनियम से तैयार किया जाता है। इस प्लेट पर बाईं ओर के ऊपरी कोने पर क्रोमियम आधारित एक होलोग्राम लगा होता है। जिसमें वाहन की पूरी डिटेल होती है। हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर सुरक्षा के लिए यूनिक लेजर कोड भी होता है। यह कोड हर वाहन के लिए अलग-अलग होता है। खास बात यह है कि इस कोड को आसानी से हटाया नहीं जा सकता। अगर यह प्लेट एक बार टूट जाए तो फिर इसे जोड़ा नहीं जा सकता है। कोई भी इस प्लेट को कॉपी कर के नकली प्लेट नहीं बना सकता। प्लेट के चोरी होने या दूसरे वाहन में दुरुपयोग होने की आशंका बहुत कम हो जाती है।
ये है हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट लेने का तरीका
-आरटीओ ने एक निर्माणदायी संस्था को हाईसिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने का जिम्मा लगा रखा है। संस्था ने डीलर नियुक्त कर रखे हैं अलग अलग कंपनियों के वाहनों की नंबर प्लेट के लिए पहले ऑनलाइन अप्लाई करना पड़ता है इसके बाद विभाग की साइट से संबंधित डीलर का पता मिलता है। उसी डीलर के पास नंबर प्लेट जाती है और डीलर ही इसको गाड़ी में लगाता है। इस पूरी प्रक्रिया में आठ से 10 दिन का समय लगता है। वाहन कंपनियों ने इसके लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित कर रखा है दोपहिया वाहनों के लिए ये शुल्क 367 से 428 रुपए तक है वहीं चार पहिया वाहनों के लिए 670 से 815 रुपए तक निर्धारित किया है।
-ये है चालान का प्रावधान
-सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट 1989 के नियम 50 के मुताबिक 1 अप्रैल 2019 को या उसके बाद खरीदे गए सभी वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाना अनिवार्य है। बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के वाहन पाए जाने पर पहली बार 5000 रुपए, दूसरी बार 10 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। तीसरी बार में वाहन को जब्त कर लिया जाएगा।
-अगर ऐसा कुछ है तो हमारे प्रवर्तन दल इन पर कार्रवाई करेंगे साथ ही पुलिस को इस बारे में सूचित भी करेंगे। हालांकि इन प्लेट्स पर यूनिक कोड रहता है। जिसकी जानकारी हमारे सिस्टम में रहती है। फर्जी नंबर प्लेट का डाटा हमारे सिस्टम में नहीं होता
-अरुण कुमार संभागीय परिवहन अधिकारी आगरा