नहीं होते मांगलिक कार्य
राख बुधवार के साथ ही गुडफ्र ाइडे/ईस्टर संडे तक चलने वाली ईसाई समाज की 40 दिवसीय उपवास (व्रत) और परहेज की अवधि दु:खभोग काल (लैंट सीजन) प्रारंभ हो गई। इस अवधि के दौरान ईसाई समाज प्रभु ईसा मसीह के दु:खभोग, क्रूस पर पीड़ादायी मृत्यु और तीसरे दिन पुन: जी उठने की घटनाओं पर ध्यान करता है। अधिकांश समय पूजा प्रार्थना, सादगी भरा जीवन जीने, दान-दया के काम करने, जप-तप करने और व्यक्तिगत आध्यात्मिक नवीनीकरण में व्यतीत होता है। इन दिनों शादियां एवं अन्य धूमधाम के समारोह नहीं होते हैं। गिरजाघर में पूजा के दौरान वाद्य यंत्रों का प्रयोग नहीं होता है। पुरोहित पूजा समारोह के दौरान बैंगनी रंग के वस्त्र पहनते हैं, जो शोक / दु:ख के रंग का प्रतीक समझा जाता है।
लगाई जाती है राख
राख बुधवार के अवसर पर नगर के सभी प्रमुख गिरजाघरों में सुबह एवं शाम विशेष प्रार्थना सभाएं एवं प्रवचन हुए। छोटे-बड़े, बच्चों सभी उपस्थित विश्वासियों के सिर व माथे पर राख लगाकर जीवन के प्रायश्चित करने की याद दिलाई गयी। निष्कलंक माता महागिरजाघर में फादर इग्नेशियस मिरांडा, फादर सेबास्टियन, फादर विनिवर्सल डिसूजा, फादर जेमिलटन, फादर अमित आदि ने मिस्सा बलिदान में भाग लिया और राख बुधवार की मुख्य प्रार्थनाएं सम्पन्न कराई।
यहां हुई प्रार्थनाएं
सेंट मेरीज चर्च, प्रतापपुरा में पल्ली पुरोहित फादर जोसफ डाबरे, फादर सुतेश, फादर संतोष ने राख बुधवार की विधियां सम्पन्न कराईं। इसी तरह आगरा कैंट स्थित सेंट पैट्रिक्स चर्च में पल्ली पुरोहित फादर ग्रेगरी एवं फादर सनी कॉटर ने राख बुधवार की पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित की। क्रिस्चियन समाज सेवा सोसाइटी के अध्यक्ष डेनिस सिल्वेरा व लॉरेंस मसीह ने सभी ईसाई बंधुओं को चालीसा काल की शुभकामनाएं देते हुए उनसे उपवास और परहेज के चर्च संबंधी नियम मानते हुए सात्विक जीवन जीने का अनुरोध किया।