आगरा (ब्यूरो) World Paper Bag Day 2024: जमीन से लेकर पानी, हवा से लेकर इंसानी शरीर तक आज पॉलिथिन अपनी पहुंच बना चुकी है। शहर में डेली 10 टन पॉलिथिन की खपत होती है। लाइफ साइकिल को प्रभावित कर रही है। लेकिन सवाल खड़ा होता है कि आखिर क्या पॉलिथिन इतनी जरूरी है? क्या इसका कोई विकल्प नहीं है? अगर है तो वो क्या है? आज हम वल्र्ड पेपर बैग डे पर आपको एक ऐसे ही विकल्प के बारे में बताने जा रहे हैं, जो एनवायरनमेंट, एनिमल, ह्यूमन हर किसी के लिए फ्रेंडली है.
धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही पॉलिथिन
शहर में पॉलिथिन का यूज प्रतिबंधित है। बावजूद इसके धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हाल ही में नगर निगम की टीम ने कई बड़ी कार्रवाई की। बावजूद इसके पॉलिथिन का इस्तेमाल नहीं रुका है। ये पॉलिथिन न सिर्फ एनवायरनमेंट को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि ह्यूमन बॉडी में भी प्लास्टिक पार्टिकल एंटर होकर नुकसान पहुंचा रहे हैं। नगर निगम के प्रवर्तन प्रभारी डॉ। अजय कुमार सिंह ने बताया कि हाल ही में कार्रवाई कर 50 टन से अधिक पॉलिथिन को जब्त किया गया है। पॉलिथिन के माइक्रो पार्टिकल हवा से लेकर पानी और ह्यूमन बॉडी में एंटर हो चुके हैं। जो गंभीर रोगों की वजह भी बनते हैं। इसे रोकने के लिए पेपर बैग अच्छा विकल्प है। इसको अधिक से अधिक लोगों को यूज भी करना चाहिए।
बायोडिग्रेडेबल है पेपर बैग
आगरा कागज व्यापार मंडल के पूर्व विजय बंसल ने बताया कि पेपर बैग का इस्तेमाल सस्टेनेबल, बायोडिग्रडेबल और रिसाइकिल है। ये किसी भी तरह न तो एनवायरनमेंट और न ही ह्यूमन बॉडी के लिए हानिकारक है। लेकिन ये चिंताजनक है कि मेट्रो पोलिटन सिटी, एनसीआर को अगर छोड़ दिया जाए तो पेपर बैग के इस्तेमाल को लेकर कोई अवेयरनेस नहीं है। शहर में तो धड़ल्ले से पॉलिथिन का इस्तेमाल होता है। छोटे दुकानदारों को पकड़ा जाता है, पॉलिथिन कारोबार के बड़े खिलाडिय़ों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
पेपर बैग महंगा, पर सस्टेनेबल ग्रोथ में मददगार
पॉलिथिन की अपेक्षा पेपर बैग महंगा है। 2 किलो की पॉलिथिन 15 से 18 माइक्रोन से कम की जहां 40 पैसे की मिलती है, वहीं इस कैपेसिटी का एवरेजन कागज का बैग बनाने के लिए 2 रुपए तक खर्चा आता है। पेपर बैग में भी रेट इस पर निर्भर करते हैं कि वह बैग बनाया किस मेटेरियल से जा रहा है।
रेट में इस तरह अंतर
पॉलिथिन
200 रुपए किलो
पेपर बैग
60 रुपए किलो से शुरुआत
इस मेटेरियल से बनता है पेपर बैग
मेटेरियल रेट
- रददी कागज 60
- मैगजीन पेपर 65
- फ्रेश पेपर 80
- अच्छा कागज 100
नोट::: रुपए प्रति किलो पेपर बैग के रेट।
---------
10 टन पॉलिथिन का यूज होता है शहर में रोज
20 लाख रुपए बनती है पॉलिथिन की कीमत
5 टन पेपर बैग का होता है इस्तेमाल
3 लाख रुपए रोज के पेपर बैग की बिक्री
-------
दुनियाभर में दिया जाता है संदेश
दुकान हो या शोरूम या फिर कोई ठेल-ढकेल वाला, आपको सामान पॉलिथिन में पकड़ा दिया जाता है। यही पॉलिथिन इंसानी शरीर में एंटर होकर लाइफ साइकिल को डिस्टर्ब कर रही है। दुनियाभर में हर वर्ष 12 जुलाई को वल्र्ड पेपर बैग डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन दुनियाभर में लोगों को प्लास्टिक बैग को छोड़कर पेपर बैग के इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दिया जाता है। लोगों को पेपर बैग की ओर से शिफ्ट होने को लेकर प्रेरित किया जाता है, क्योंकि प्लास्टिक बैग के उपयोग से पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। इसी से बचने के लिए और पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
पॉलिथिन का इस्तेमाल लाइफ साइकिल को प्रभावित कर रहा है। निगम की ओर से हाल ही में अभियान चलाकर 50 टन से अधिक पॉलिथिन जब्त की गई है। कपड़े और पेपर बैग एनवायरनमेंट के लिए अनुकूल हैं।
डॉ। अजय कुमार सिंह, पशु कल्याण अधिकारी व प्रवर्तन प्रभारी, नगर निगम
पेपर बैग के इस्तेमाल को लेकर कोई अवेयर नहीं है। जबकि ये सस्टेनेबल, बायोडिग्रेडेबल और रीसाइकिल है। सबसे अधिक पेपर बैग का इस्तेमाल मेडिसिन शॉप पर किया जाता है। पॉलिथिन का यूज रोकने को लेकर सरकारी मशीनरी भी कोई गंभीरता नहीं दिखाती है। तभी तो धड़ल्ले से पॉलिथिन का इस्तेमाल हो रहा है।
विजय बंसल, पूर्व अध्यक्ष, आगरा कागज व्यापार मंडल