आगरा( ब्यूरो ) सिकंदराराऊ में भोले बाबा के सत्संग में आगरा से करीब 15 हजार अनुयायी गए थे। इसमें 10 हजार के करीब महिलाएं हैं। यह अनुयायी दयालबाग, ताजगंज, कुबेरपुर, एत्मादपुर, टेढ़ी बगिया, लालगढ़ी सहित चार दर्जन क्षेत्रों के हैं। इनमें ताजगंज के गोबर चौकी में रहने वाली एक महिला की मौत हो गई। अनुयायी बसों और निजी वाहनों से गए। सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा के पैर छूने के लिए महिलाएं दौड़ीं। हर कोई चाहता था कि साकार विश्व हरि के पैर पकड़ लें या फिर उनके चरणों की धूल मिल जाए। इस बीच बिजली का तार टूटने की अफवाह फैल गई।

हर कोई चरण छूना चाहता था

बोदला की सविता देवी ने बताया कि 14 साल साल पूर्व एक कार्यक्रम में दीक्षा ली थी। साल में आठ से दस सत्संग में जरूर पहुंचती हैं। सोमवार को क्षेत्र की आधा दर्जन महिलाएं व चार पुरुष सिकंदराराऊ गए थे। सत्संग खत्म होने के बाद हर कोई चाहता था कि बाबा के चरण छूकर आशीर्वाद प्राप्त कर लें। वह भी पीछे नहीं थीं। अचानक भगदड़ मच गई। ऐसा कैसे हुआ, यह नहीं पता है। सिर्फ भागोभागो की आवाज आ रही थीं। उन्होंने एक खेत की तरफ दौड़ लगा दी। उनके पीछे बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं थीं। किसी तरीके से जान बच गई। गाड़ी के पास पहुंचीं और शाम सात बजे आगरा आईं।

शहर के कई एरियाज से पहुंचे श्रद्धालु
गोबर चौकी के सुरेंद्र कुमार, शैलेंद्र ने बताया कि क्षेत्र से 500 लोग सत्संग सुनने गए थे। जिस तरीके से वहां घटनाक्रम हुआ, इसकी आशंका नहीं थी। किसी तरीके से जान बच गई। अनुयायी पुष्पा देवी, संगीता ने बताया कि सुबह दस बजे पहुंची थीं। उनके साथ आए लोग एक तरफ बैठे थे। जिस तरफ भगदड़ का असर कम रहा। शाहगंज की प्रेमवती ने बताया कि क्षेत्र से 50 लोग गए थे। घटना से पांच मिनट पहले वह पंडाल से बाहर निकल आई थीं। सिर्फ लोगों के चीखने की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी। एत्माद्दौला की सुरेखा देवी ने बताया कि 18 साल पूर्व दीक्षा ली थी। मंगलवार को सिकंदराराऊ में विशाल कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में एक लाख अनुयायी पहुंचे। उनके साथ 10 लोग गए थे।
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ग्वालियर सहित अन्य शहरों से आए थे अनुयायी
रात आठ बजे शिवपुरी मध्य प्रदेश के सुरेंद्र, योगेश धाकड़, दीपक मेहता सहित अन्य अनुयायी पहुंचे। इन लोगों ने बताया कि ग्वालियर, शिवपुरी सहित अन्य शहरों से 500 से अधिक अनुयायी सत्संग सुनने के लिए आए थे। कई अनुयायी ऐसे भी हैं जो हर सत्संग में पहुंचते हैं।
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आगरा में भोले बाबा का हर वर्ष होता है सत्संग

- आठ वर्ष पहले अनुयाइयों से खचाखच भर गया था मैदान

आगरा: आगरा में भोले बाबा का हर वर्ष सत्संग होता है। आठ वर्ष पहले कोठी मीना बाजार मैदान में हुए सत्संग में बड़ी संख्या में अनुयायी पहुंचे थे। भीड़ इतनी थी कि मैदान में खड़े होने तक को जगह नहीं बची थी। बाबा के दर्शन को अनुयायी पेड़ों पर बैठ गए थे। भोले बाबा के आगरा में बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। शहर में केदार नगर, राम नगर, गोपाल पुरा, नंद पुरा, देवरी रोड, नरीपुरा, गोबर चौकी व टेढ़ी बगिया में अनुयायी हैं। इसके साथ ही एत्मादपुर से लेकर जगनेर तक भोले बाबा के अनुयायी हैं। ये भोले बाबा के हर सत्संग में बसों से जाते हैं। आठ वर्ष पहले कोठी मीना बाजार मैदान में हुए सत्संग के बाद बाबा की आगरा में नई पहचान बनी थी। इस मैदान को भरने के लिए राजनीतिक दलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। मगर, बाबा के सत्संग में यह मैदान भी अनुयाइयों के लिए छोटा पड़ गया था। अब शास्त्रीपुरम में जेसीबी चौराहे के पास मैदान में सत्संग होता है। देहात में खेतों में 40 से 50 बीघा में पंडाल बनाया जाता है।
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छुट्टी लेकर बाबा की फ्लीट को एस्कोर्ट करते हैं पुलिसकर्मी
भोले बाबा के सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने वाले सभी मार्गों पर गुलाबी रंग की वर्दी पहन और डंडे लेकर स्वयंसेवक यातायात व्यवस्था संभालते हैं। बाबा के बहुत से शिष्य पुलिस में हैं। वे सत्संग के समय पर छुट्टी लेकर आते हैं और बाबा की फ्लीट को एस्कोर्ट करते हैं। ऐसी ही अनुभवी पुलिसकर्मी आयोजन स्थल पर डी बनाते हैं। पानी पिलाने से लेकर मंच और पंडाल की व्यवस्थाएं भी स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं।

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भगदड़ में शीला की हुई मौत
ताजगंज के गोबर चौैकी, सिद्धार्थ नगर निवासी शीला देवी भी हाथरस में सत्संग में शामिल होने गईं थीं। सत्संग के दौरान भगदड़ में उनकी मौत हो गई। उनके फोन से किसी ने परिजनों को सूचना दी। परिजन मौके पर पहुंचे, उनके शव को लेकर एसएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी पहुंचे। यहां भी उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद शव का पोस्टमार्टम कराया गया। शाली के पति मदन मोहन सीडीओ ऑफिस में बाबू हैं।
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आगरा के सैंया में होने वाला सत्संग कैंसिल
नारायण हरि साकार बाबा कौशल संघ का आगरा के सैंया में भी 4 जुलाई को सत्संग होना था। इसकी पूरी तैयारी कर ली गई थी। टेंट भी लग गया था। आयोजन के लिए उप जिलाधिकारी से अनुमति ली गई थी। हाथरस की घटना के बाद आगरा का सत्संग निरस्त कर दिया गया।