आगरा(ब्यूरो)। 25 किमी दूर खेड़ा पचगाई समेत पांच गांवों में फ्लोराइड युक्त पानी ने जिंदगी तबाह कर दी है। यहां आबादी करीब 24 हजार है। करीब 12 साल पहले पानी में फ्लोराइड बढऩे लगा। ये पानी पीकर ग्रामीणों की हड््िडयां टेढ़ी होने लगीं। बरौली अहीर के गांव खेड़ा, पचगाई और पट्टी पचगाई में बड़ी संख्या में पानी ने बच्चों, बूढ़ों और युवाओं को दिव्यांग बना दिया। फ्लोराइड वाला पानी पीने की बेबसी से इनका भविष्य अंधेरे में हैं। हालात इतने खराब हैं कि दिव्यांगों की इस गांव में भरमार है। पिछले वर्षों में यहां बनी पानी की टंकी और हैंडपंप पर लाल निशान लगा दिया। बहुत भागदौड़ हुई, लेकिन यहां आज भी लोगों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो पाया।

यहां खतरा अधिक
जिन इलाकों में लोग हैंडपंप और कुएं का पानी पीते हैं, वहां फ्लोरोसिस बीमारी के होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग बिना ट्रीटमेंट और फिल्टर वाला पानी पी रहे होते हैं। ऐसे पानी में फ्लोरोसिस की मात्रा अधिक होने का खतरा रहता ही है। इसलिए खासतौर पर ग्रामीण इलाकों के लोगों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर नल या कुएं से पानी पी रहे हैं तो इसको उबाल लेना चाहिए। भोजन में विटामिन डी की मात्रा अधिक रखें।

फ्लोरोसिस होता क्या है?
जिन इलाकों में पीने के पानी में फ्लोराइड जरूरत से ज्यादा होता है वहां के लोगों को फ्लोरोसिस डिजीज हो जाती है। ये काफी खतरनाक बीमारी होती है, जो व्यक्ति को दिव्यांग कर देती है। पीन के पानी में अगर प्रति लीटर एक 1.2 एमजी से ज्यादा फ्लोराइड होता है, तो ऐसे पानी को लगातार पीने से फ्लोरोसिस की बीमारी हो सकती है। इसकी शुरुआत हड््िडों में दर्द और दांतों के पीलेपन से होती है।

पेयजल का मानक
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक पेयजल ऐसा होना चाहिए जो स्वच्छ, शीतल, स्वादयुक्त तथा गंधरहित हो। पीएच मान 7 से 8.5 के मध्य हो।

पानी में पाए जाने वाले तत्व
पीएच 8.5-6.5
सल्फेट 200
क्लोराइड्स 250
फ्लोराइडस 1.2
नाइट्रेट 45
सोडियम 200
आयरन 0.3
जिंक 5
लोहा 0.10
तांबा 0.05
मैगनीज 0.1़
साइनाइड 0.05
-----------------
नोट::डब्ल्यूएचओ के अनुसार पानी में पाए जाने वाले तत्वों की उच्चतम मात्रा मिग्रा प्रति लीटर।

इन क्षेत्रों में फ्लोराइड की समस्या
- पचगईं खेड़ा
- पट्टी पचगईं
- देवरी
- गढ़ी देवरी
- नगला रोहता
- रोहता की गढ़ी


शहर के अधिकतर एरियाज में खारा पानी
शहर के अधिकतर एरियाज में खारा पानी है। विशेषज्ञों की मानें तो ग्राउंड वॉटर में फ्लोराइड की मात्रा 1.2 होनी चाहिए, जबकि जिले के कई एरियाज में ये मात्रा 3.5 तक रहती है। इसके चलते लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है।


गंदे पानी की आपूर्ति की रहती है समस्या
शहर में दो वाटरवक्र्स हैं। बावजूद इसके लोग स्वच्छ पानी को तरसते हैं। गंदे पानी की आपूर्ति की जाती है। राजामंडी, गोकुलपुरा, प्रतापनगर, गढ़ी भदौरिया, आवास विकास, लोहामंडी आदि क्षेत्रों में गंदे पानी की आपूर्ति की जाती है।

बारिश के दिनों में अधिक समस्या
बारिश में जब नाले और सीवर ओवरफ्लो होते हैं तो ज्यादातर क्षेत्रों में गंदे पानी की सप्लाई की समस्या बन जाती है। कई-कई दिनों तक गंदे पानी के चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

- 200-300 टीडीएस का पानी पीया जा सकता है
- 900-4500 टीडीएस तक का ग्राउंड वाटर पाया जाता है
- 1.5 मिग्रा प्रति लीटर फ्लोराइड की सामान्य होती है वैल्यू

फ्लोराइड के पानी से दांतों को नुकसान पहुंचता है। इसके लिए फ्लोराइड युक्त पानी का सेवन करने से बचना चाहिए।

डॉ। स्पर्श निगम, डेंटिस्ट


पानी में फ्लोराइड की सामान्य मात्रा 1 मिली ग्राम प्रति लीटर या 1 पीपीएम है। इससे अधिक फ्लोराइड होने से फ्लोरोसिस की समस्या हो जाती है। इससे दांतों और हड्डियों को नुकसान पहुंचता है। शुरूआती लक्षणों की अनदेखी करने पर समस्या गंभीर हो जाती है। इससे बचाव के लिए जिन क्षेत्रों में भी फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है, वहां पानी का रेगुलर असेसमेंट होना चाहिए। जल के नए सोर्स बनाने चाहिए।
डॉ। पंकज नगायच, सेक्रेटरी, आईएमए

क्षेत्र में पानी बहुत खारा है। इसके चलते इसका इस्तेमाल पीने के लिए तो बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता। पानी इस कदर खारा है कि इससे नहाने में भी बाल खराब हो जाते हैं।
मनोज

ग्राउंड वॉटर तो बिना आरओ के यूज ही नहीं किया जा सकता। ये पानी बहुत खारा है। इसके चलते लोगों को समस्या का सामना करना होता है।
शशांक

क्षेत्र में ग्राउंड वॉटर यूज करने लायक नहीं है। इसका इस्तेमाल आरओ के साथ ही किया जा सकता है। कपड़े भी खराब हो जाते हैं।
अंकुर