आगरा(ब्यूरो)। शुक्रवार रात्रि में पुलिस-प्रशासन की टीम ने टीला माईथान पहुंचकर करीब 300 मीटर के दायरे में 39 मकानों को 'असुरक्षितÓ घोषित कर दिया और घरों में रह रहे लोगों को घर खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया। शुक्रवार रात्रि में शीतलहर में टीला माईथान के बाशिंदे सड़कों पर सामान लेकर इधर-उधर आशियाने की तलाश में भटक रहे थे। वहीं, उनकी आंखों में बेबसी साफ नजर आ रही थी। शनिवार दिनभर विस्थापितों को घरों से सामान हटाते देखा गया। उन्हेंं समझ नहीं आ रहा था कि वे छोटे बच्चे और बुजुर्गों को लेकर कहां जाएं। चंद घंटे पहले वो अपने घर में थे।
बहू-बेटी को लेकर नहीं जाएंगे शेल्टर
बेघर हुए लोगों का कहना था कि उनका टीला माईथान दूसरा जोशीमठ बन गया है। वहां तो प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन यहां पर एक बिल्डर और कुछ अधिकारियों के चलते उन्हेंं अपना घर छोडऩा पड़ रहा है। शनिवार को संकरी गली में इकट्ठा कुछ महिलाओं ने छत पर खड़ी अपनी बहू-बेटियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि जिला प्रशासन अब शेल्टर होम में भेज रहा है। जवान बेटी और बहू को लेकर हम शेल्टर होम नहीं जाएंगे। बहू-बेटियों के साथ किसी तरह की वारदात हो जाए तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? एक परिवार में बेटी की शादी है, परिवार अब विस्थापितों में शामिल है और आसने की तलाश में इधर-उधर भटक रहा है। प्रशासन के रवैये का लेकर विस्थापितों में आक्रोश है।
जरा समझ लें
26 जनवरी, गुरुवार सुबह सात बजे सिटी स्टेशन रोड स्थित राय बहादुर विशंभर दयाल धर्मशाला में बेसमेंट की खुदाई के दौरान टीला माईथान के 6 मकान भरभराकर गिर गए थे। मलबे में तीन लोग दब गए थे। इसमें एक बच्ची रूसाली की मौत हो गई थी। जबकि पिता विवेक शर्मा और उसकी दूसरी बेटी बैदेही गंभीर रूप से घायल हैं। हादसे के बाद से बस्ती के लोग बुरी तरह से घबरा गए हैं। इसके बाद कई लोग डर के चलते पलायन कर गए। शुक्रवार दोपहर को स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स की टीम आई। टीम ने पूरे इलाके का निरीक्षण किया। टीम ने पाया कि टीले पर बने करीब 50 मकान पर खतरा है। बेसमेंट के लिए खोदे गए गड्ढे की मिट्टी दरक सकती है। ऐसे में एहतियात के तौर पर प्रशासन ने लोगों को घर खाली करने के निर्देश दिए।
अचानक घर छोडऩे से परेशान
टीला माईथान निवासी दया गौतम ने बताया कि शुक्रवार शाम चार बजे उनसे कहा गया कि उनको रात नौ बजे तक अपने मकान खाली करने हैं। इतना सुनकर तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने पूछा कि वो क्यों मकान खाली करें? उनका मकान तो गली से दूर हैं। इसपर उनसे कहा गया कि मकान गिरने का खतरा है। हालांकि उनका आरोप भी है कि उनसे ये भी कहा गया कि जाम लगाया था उस समय नहीं सोचा था। अब भुगतो। अब वो और उनका परिवार सकते में है। परिवार में नौ लोग हैं, उनके पति दिव्यांग हैं। सर्द भरी रात में कहां जाएं? शाम से पुलिस गलियों में घूम रही है। ऐसे में डर के चलते मकान खाली कर दिया, लेकिन सामान लेकर सड़क पर बैठे हैं। शनिवार दोपहर तक दया गौतम परिवार के साथ घर से सामान हटा रहीं थी।
बीच सड़क पर रखा था
रामो देवी का कहना है कि चंद घंटे पहले हमें मकान खाली करने के लिए कहा गया। अभी हमारा सामान सड़क पर ही रखा हुआ है। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे? रिषभ को परिवार के साथ घर छोडऩा पड़ा। कहा गया कि जल्दी से मकान खाली करो। इसके बाद क्षेत्र की बिजली काट दी गई। उनका कहना था कि इसमें हमारा क्या दोष है? जो हम अपने घर से निकलें। हम तो जैसे-तैसे गुजारा कर रहे थे। पास की बस्ती में किराए के मकान के लिए बात कि तो कोई पांच हजार मांग रहा है तो कोई छह हजार रुपए।
नहीं रहेंगे शेल्टर होम में
परिवार के 9 लोगों के साथ रहने वाले अरविंद शर्मा का कहना है कि उनसे मकान खाली करने को बोला गया। अधिकारियों से जब पूछा कि कहां जाएंगे तो कहा गया कि जीवनी मंडी शेल्टर होम के जाकर रहिए। करीब हफ्ते भर तक बाहर रहने के लिए बोला गया है और कहा गया है कि आपका मकान सुरक्षित नहीं है। जब यह जगह सुरक्षित हो जाए तो आप वापस आ सकते हैं। अरविंद शर्मा अपनी बूढ़ी मां और अपने परिवार के अन्य लोगों के साथ मकान खाली कर चुके हैं। लेकिन शेल्टर होम में रहने के लिए वे राजी नहीं हैं।