आगरा(ब्यूरो)। खासकर युवा पीढ़ी और स्टूडेंट्स जिन्हें हमेशा करियर, एग्जाम और कंपटीशन का टेंशन लगा रहता है। इसी कारण मानसिक समस्याओं का शिकार बनते जा रहे हैं और जब यह मानसिक समस्या हमारे शरीर पर असर दिखाने लगती हैं तो साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर नाम की बीमारी का हम शिकार बन जाते हैं।

क्या है साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर
साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर वह होते हैं जो शारीरिक लक्षण को दर्शाते हैं लेकिन इनका कारण कहीं ना कहीं मानसिक ही होता है। वर्तमान में क्राइम सीरियर, वेबसीरीज को देखकर युवा हिंसक व्यवहार कर रहे हैं। वह अपनी बात को मनवाने के लिए बड़ी से बड़ी वारदात को अंजाम देने से पीछे नहीं हट रहे, आए दिन सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरों को पढ़ा जा सकता है जिसमें युवा क्रिमिनल एक्टिविटीज में लिप्त होते हैं। इसमें अधिकतर ऐसे युवा प्रभावित हो रहे हैं जो मानसिक रूप से परेशान रहकर कोई न कोई घटना उनके जीवन को बदल रही है। जैसे नींद नहीं आना और उदासी भरा मन रहना यह भी साइकोसोमेटिक डिसऑर्डर के लक्षण हैं। इससे हिंसक प्रवृति बनने लगती है।

क्राइम सीरियल और वेबसीरीज कारण
वर्तमान में क्राइम पेट्रोल और वेबसीरीज युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव डाल रहीं हैं। इस कारण युवा क्रिमिनल एक्टिविटी देख उसको निजी लाइफ में अपना रहे हैं। शहर के सिकंदरा क्षेत्र में रहने वाले युवा ने अपनी दोस्त की मां को मौत के घाट उतार दिया। एक्सपर्ट की राय के अनुसार ऐसे युवाओं के जीवन में ये पहली घटना नहीं है जब वे इस तरह की बड़ी वारदात को अंजाम दे रहे हैं, क्राइम सीरियल और टीवी पर आने वाली वेबसीरीज इसका कारण है।

एक्सपर्ट की राय
मनोवैज्ञानिक रचना सिंह का कहना है कि यह बीमारी यंग जनरेशन खासकर 20 से 25 की उम्र वाले लोगों के बीच में काफी देखने को मिलती है। इसका कारण बिगड़ी हुई जीवनशैली है। जिससे तनाव और अन्य मानसिक समस्याएं पैदा होती हैं और वे शारीरिक रूप से गहरा असर डालती हैं। इससे बचने के लिए व्यक्ति के जीवन में साधारण योग को शामिल करने से वह हमेशा एक्टिव और फ्रे श रहेगा। इतना ही नहीं उसमें तनाव को झेलने की शक्ति भी पैदा होगी। जिससे नकारात्मक स्थिति से बचा जा सकता है।


आज के समय में बच्चे और युवा सभी मोबाइल फोन में इंगेज हंै, ऐसे में पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चों पर निगरानी रखें कि वे किस तरह का कंटेंट देख रहे हैं, क्योंकि इन सब से उनकी लाइफ प्रभावित हो रही हैं और वे आक्रामक और हिंसक बन रहे हैं।
रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक आगरा कॉलेज

अक्सर देखा गया है कि बच्चे जो टीवी पर देखते हैं, वो अपनी निजी लाइफ में अपनाते हैं, ऐसे में उन पर नजर रखना जरुरी है कि वे क्या देख रहे हैं।
गुंजन सिंह, टीचर

क्राइम पेट्रोल सत्य घटनाओं पर आधारित है, ये काल्पनिक नहीं रहती, इससे युवाओं में इसे देखने के लिए उत्सुकता बनी रहती है, जब लगातार ऐसे कंटेंट को देखा जाता है तो उन्हें ये घटनाएं आम लगने लगती हंै।
डॉ। पुनम तिवारी, मनौवैज्ञानिक आरबीएस कॉलेज