आगरा। गोल्डमोहर, विमल सहित अन्य डिस्ट्रीब्यूटर्स पर कार्रवाई। वाणिज्य कर विभाग के एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन एके सिंह के निर्देशन में प्रमुख रूप से सरीन एंड सरीन, जीत इंडिया प्रा। लि., आरएन फ्र गरेंस, सरीन फ्र गरेंस फर्म के कई ठिकानों पर कार्रवाई हुई, इनके कारोबारी लिंक के आधार पर एक दर्जन अन्य छोटी-छोटी फर्मों पर भी यह कार्रवाई की गई। इसमें आगरा के साथ आसपास के जिलों के करीब 70 अधिकारी और कर्मचारियों के साथ पुलिसकर्मी भी साथ थे।
रिकॉर्ड और कंप्यूटर लिए कब्जे में
विभागीय टीमों की रडार पर प्रमुख रूप से बड़ी फर्में ही रहीं। सरीन एंड सरीन फर्म के ही करीब आधा दर्जन, जीत इंडिया प्रा। लि., आरएन फ्र गरेंस, सरीन फ्र गरेंस के भी कई ठिकानों पर पहुंचते ही विभागीय अधिकारियों ने उनका स्टॉक और खरीद-बिक्री आदि के रजिस्टर और कंप्यूटर आदि अपने कब्जे लेकर जांच शुरू कर दी। जहां-जहां कंपनी के मालिक मिले उनसे व संबंधित लोगों से पूछताछ भी की गई।
दर्जनभर फर्म मिली बंद
कार्रवाई के दौरान विभागीय टीमों को करीब 10 से 12 छोटी फर्म मौके पर बंद मिलीं, जिन्हें विभागीय टीमों ने कार्रवाई से पहले उक्त फर्मों से लेनदेन में ट्रेस किया था। वहीं चार से पांच फर्म ऐसी भी थी, जिनके रिकॉर्ड दुरुस्त थे, इसलिए टीमें वहां से पूछताछ के बाद लौट आईं। अन्य ठिकानों पर टीमें लगातार जांच होती रही।
बाजार हो गए बंद
सभी स्थानों पर टीमें दोपहर करीब 12 बजे पहुंची। एक साथ छापेमारी से हड़कंप मच गया। कार्रवाई के डर से फ्रीगंज स्थित बाजार बंद हो गए। कार्रवाई में विभागीय अधिकारियों को कुछ फर्में बंद मिली, इनको लेकर आशंका जताई जा रही है कि यह कार्रवाई पिछले साल के रिकार्ड के आधार पर अंजाम दी गई है। इसलिए संभव है कि या तो इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) क्लेम करके बंद कर दिया गया हो, या फिर उनकी उपयोगिता सिद्ध होते ही पकड़े जाने के डर से उन्हें बंद कर दिया।
अच्छे इनपुट मिलने की उम्मीद
विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि उक्त कार्रवाई में अच्छा इनपुट प्राप्त हुआ है, इसलिए इससे अच्छा राजस्व प्राप्त हो सकता है, इसलिए जहां-जहां भी फर्में खुली मिली या जहां कमियां मिली हैं, अधिकारी उसकी गहनता से छानबीन कर रहे हैं। इस कारण कार्रवाई गुरुवार तक चलने की संभावना जताई जा रही है। यह थी शिकायत विभाग को शिकायत मिली थी कि उक्त फर्मों ने अपंजीकृत फर्मों से सुपारी व अन्य कच्चा माल खरीदा, जिसका टैक्स टैक्स नहीं चुकाया गया है।
ऐसे होता है खेल
बड़ी फर्मों द्वारा कच्चे माल को छोटी फर्मों से खरीदा जाता है। जब माल तैयार हो जाता है तो इसे इन्हीं छोटी अपंजीकृत फर्मों को बेच दिया जाता है। इससे दोनों तरफ से टैक्स चोरी होती है। वाणिज्य कर विभाग द्वारा पिछले साल के लेनदेन और टैक्स अदायगी के रिकार्ड के आधार पर कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।