आगरा। जिला अस्पताल की डायटिशियन ललितेश शर्मा ने बताया कि जो बच्चे स्तनपान नहीं कर रहे हैं या करना छोड़ दिया है। उन्हें सप्लीमेंट्री सकलिंग टेक्निक(एसएसटी) से स्तनपान कराया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एसएसटी एक प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे को आर्टिफिशियल तरीके से स्तनपान कराया जाता है। इसमें एक पतली नली प्रयोग होती है, नली के दोनों सिरे खुले होते हैं। एक सिरे को मां के स्तन पर लगाया जाता है, दूसरे सिरे को दूध से भरी कटोरी में लगाया जाता है। कटोरी को मां के कंधे के पास रखते हैं। इसके बाद बच्चे को स्तनपान कराया जाता है। जब दूध नली से बच्चे के मुंह में जाता है तो बच्चे को लगता है कि दूध मां के स्तन से आ रहा है और बच्चा दूध पीना शुरू कर देता है। यह प्रक्रिया दो से तीन दिन लगातार कराने पर जो बच्चे स्तनपान छोड़ चुके हैं वह दोबारा स्तनपान करना शुरू कर देते हैं और मां को भी दूध आने लगता है।

स्वस्थ हो रहा है अभिराज
नाला काजीपाड़ा निवासी संध्या ने बताया कि उनका बेटा अभिराज पहले दूध पीता ही नहीं था.जैसे ही दूध पिलाने का प्रयास करती मुंह को दूर हटाता था। लेकिन अब वह दूध पीने लगा है और अब स्वस्थ हो रहा है।

स्तनपान को प्रभावित करने वाले कारण
- बोतल से दूध पिलाना
- डिब्बे का दूध पिलाना
- माताओं को स्तनपान से होने वाले लाभ की जानकारी न होना
- बच्चे का मां के संपर्क में अधिक समय तक न रहना
- मां का गुटखा, अधिक चाय, कॉफी लेना या संतुलित आहार न लेना

ऐसे बढ़ाएं मां के दूध की उपलब्धता
-शिशु व मां की त्वचा का संपर्क बढ़ाएं। इसे ऑक्सीटोसिन व प्रॉलेक्टिन हार्मोन रिलीज होता है, जो कि मां का दूध बढ़ाने में सहायक है।
- मां को जीरा, आजवायन, सौंठ, मैती व शतावरी, दूध, दालें आदि का अधिक सेवन कराएं। यह मां के दूध की उपलब्धता बढ़ाने में सहायक है।
-शिशु को बार-बार (हर दो घंटे बाद) स्तनपान करायें
-मां व शिशु एक-दूसरे के संपर्क में अधिक रहें।


मां का दूध कई बच्चे नहीं पीते हैैं। लेकिन हमें उन्हें दूध पिलाने का प्रयास करना चाहिए। एसएसटी उसमें कारगर है।
- ललितेश शर्मा, डायटिशियन, एनआरसी, जिला अस्पताल