केस1
सूदखोर से तंग आकर खाया जहर
थाना कमलानगर के बल्केश्वर लोहिया नगर निवासी अनु जाट 30 वर्ष ने कमलानगर के एक रेस्टोरेंट में खाना खाते समय जहर खा लिया। युवक की मौत के बाद परिजनों ने सूदखोरों द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाया है। परिजनों का कहना है की उधार लिए पैसे वापस करने के बाद भी सूदखोर और पैसे होने का दबाव बना रहे थे। पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर कार्रवाई में जुट गई है। साथ ही इस बात का भी पुलिस पता लगाने में जुटी है कि उसने सुसाइड क्यों किया, इस संबंध में परिजनों और नजदीकियों से बात की जा रही है।

केस2
जब बेटी रोई तो उसे भी खिला दिया जहर
बाह तहसील के दोदापुरा की मढैया गांव की रहने वाली उषा देवी पत्नी भूरी सिंह के परिवार ने काफी समय से घरेलू क्लेश हो रहा था। उषा देवी की दो बेटियों की शादी हो चुकी है और इकलौता बेटा देवेंद्र दिल्ली में काम करता है। घर पर पति-पत्नी, दो अनमैरिड बेटियां रीना और मिथलेश थीं। शनिवार को उषा बेटी मिथलेश के साथ बैंक से पैसे निकालने के नाम पर निकली थी और रास्ते में उसने कीटनाशक की शीशी खरीद ली और घर लौटते समय उसे पी लिया। मां की तबियत बिगडऩे पर जब बेटी मिथलेश रोते हुए मां के बिना न रह पाने की बात कहने लगी तो मां ने उसे भी जहर दे दिया। दोनों को गंभीर हालत में बाह सीएचसी ले जाया गया, जहां से उन्हें एसएन मेडिकल रेफर कर दिया गया है। दोनों की हालत अभी गंभीर बनी हुई है।

केस3
घर की चौखट पर लटका मिला युवक
आगरा की बाह तहसील के कस्बा पिनाहट के नयापुरा मोहल्ला निवासी नंद किशोर 32 वर्ष पुत्र विजय कुमार का शव घर के मुख्य द्वार की चौखट में तार से बनाए फंदे पर लटका मिला। पुलिस प्रारंभिक जांच में मामला आत्महत्या का बता रही है, वहीं परिजन हत्या का आरोप लगा रहे हैं। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज जांच शुरू कर दी है।


केस.4
पत्नी से विवाद के बाद फंदे पर झूला युवक
थाना ताजगंज के श्यामों गांव निवासी प्रमोद की शादी दो साल पहले हुई थी। पत्नी मायके में थी और झगड़े के कारण वापस नहीं आ रही थी। इस बात से अवसाद में आए प्रमोद कमरे में पंखे से फंदा बनाकर लटक गया। परिजनों ने फंदा काटकर उसे निकाला और इलाज के लिए ले गए, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले में थाना ताजगंज प्रभारी शेर सिंह ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है और परिजनों की तहरीर व पीएम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।


यह बोले मनोवैज्ञानिक
पारिवािरक विघटन में बच्चों से लेकर बड़ों को भी समय नहीं मिल पा रहा है। सभी अपनी-अपनी नौकरी या अन्य कामकाज में व्यस्त है। नौकरीपेशा माता-पिता होने के कारण वह बच्चे पर ध्यान नहीं दे पा रहे। इसके साथ-साथ बच्चों पर पढ़ाई का दबाव भी इसका बड़ा कारण हो सकता है। हर बच्चा डाक्टर या इंजीनियर नहीं बन सकता, लेकिन माता-पिता उस पर अपनी इच्छाएं लाद देते हैं। कोविड के बाद भी एक्टिविटी लेवल कम हो गया है। पहले बच्चों को मोबाइल और लैपटॉप आदि से दूर रखा जाता था, लेकिन अब माता-पिता ही उन्हें यह सब उपलब्ध करा रहे हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग तनाव में आ रहे हैं। परिवार को एक साथ बैठकर बातचीत करनी चाहिए, जिनसे उनके अंदर का तनाव बाहर आ सके।
रचना सिंह, मनोवैज्ञानिक विभाग, आगरा कॉलेज