अखिल कुमार
आगरा(ब्यूरो)। उन्होंने अपनी ट्वीट में कहा, भारत मानवीय सहायता और आपदा राहत में सक्षम है। एनडीआरएफ खोज और बचाव दल, भूकंप राहत सामग्री का पहला जत्था तुॢकए के लिए रवाना हुआ। इंटरनेशनल लेवल के रेस्क्यू में एनडीआरएफ की महिला जवान पहली बार भेजी गई हैं, जो इस बटालियन के लिए गौरव की बात है।
आगरा से 99 जवान पहुंचे तुॢकए
भारत की मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) कार्रवाई में सक्षम है। एनडीआरएफ खोज और बचाव दल, विशेष रूप से प्रशिक्षित डॉग स्क्वायड, चिकित्सा आपूॢत, ड्रिलिंग मशीन और अन्य आवश्यक उपकरणों के साथ भूकंप राहत सामग्री का पहला जत्था तुर्की के लिए रवाना हुआ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर तुॢकए में भूकंप राहत के लिए भारत से दी जाने वाली सहायता की जानकारी दी है। बता दें कि आगरा एयरबेस से तुॢकए के लिए दो विमान सी-17 पर सवार होकर मेडिकल रिलीफ के लिए दो टीमें रवाना हुई हैं। जो देर शाम तक तुॢकए के अदाना एयरबेस पहुंच गई है। विदेश मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक आगरा एयरबेस से दो विमान रवाना हुए, पहला विमान मॉॄनग में रवाना हुआ। जिसमें 45 इंडियल आर्मी के जवान एंबुलेंस समेत अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों के साथ पहुंचे हैं जबकि दूसरा विमान दोपहर में रवाना हुआ है जिसमें 54 जवान सवार थे। आगरा एयरबेस से इंडियल आर्मी की मेडिकल टीम के 99 जवान तुॢकए पहुंच गए हैं।
आगरा से पहुंचा चलता-फिरता हॉस्पिटल
आगरा स्थित आर्मी फील्ड हॉस्पिटल ने 99 सदस्यीय मेडिकल टीम भेजी गई है। मेडिकल टीम में आर्थोपेडिक सॢजकल टीम, जनरल सॢजकल स्पेशलिस्ट टीम, मेडिकल स्पेशलिस्ट टीमों के अलावा अन्य मेडिकल टीमों को शामिल करने के लिए क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट टीमें शामिल हैं। टीमें 30 बिस्तरों वाली चिकित्सा सुविधा स्थापित करने के लिए एक्स-रे मशीन, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र, काॢडएक मॉनिटर और संबंधित उपकरणों से लैस हैं। टीम अपने साथ दवाओं के अलावा चलता-फिरता अस्तपाल लेकर तुॢकए में लैंड कर चुकीं हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन स्टार्ट कर चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ एयरबेस से एक विमान को आगरा एयरबेस पर स्टैंडबाय रखा गया था। जिसे दोपहर बाद वापस चंडीगढ़ एयरबेस भेज दिया गया।
गाजियाबाद से पहुंचे 2 विमान
गाजियाबाद में एयरफोर्स के सी-17 ग्लोबमास्टर से नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) 8 वीं बटालियन का 51 सदस्यीय पहला दल मंगलवार सुबह 3 बजे तुॢकए के लिए रवाना हुआ। इसमें एनडीआरएफ की ड्रिल मशीनें, भूकंप में बचाव के लिए काम आने वाले उपकरण, दो डॉग स्क्वायड भेजे गए हैं। पहली बार इंटरनेशनल लेवल के रेस्क्यू ऑपरेशन में 5 महिला जवान हिस्सा ले रही हैं। दूसरा विमान गाजियाबाद हिंडन एयरबेस से दोपहर साढ़े 12 बजे रवाना हुआ। सी-17 ग्लोबमास्टर में कोलकाता एनडीआरएफ बटालियन के करीब 50 जवान रवाना हुए हैं। एनडीआरएफ के 101 जवानों ने देर शाम तुॢकए मिशन को आरंभ कर दिया। मिशन में एनडीआरएफ ने अपने दो स्पेशल डॉग स्क्वायड भी भेजे हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ की टीम ड्रिल मशीनें, रेस्क्यू उपकरण अपने साथ लेकर गई है। वहीं, एयरफोर्स ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि 'आईएएफ सी-17 का विमान एक बड़े राहत प्रयास का हिस्सा है, जो तुॢकये में आईएएफ द्वारा अन्य भारतीय संगठनों के साथ मिलकर किया जाएगा।
विपदा में संकटमोचक बना है ग्लोबमास्टर
- फरवरी और मार्च-2022 में इन विमानों से दो हजार से ज्यादा छात्र यूक्रेन समेत कई देशों से एयरलिफ्ट करके गाजियाबाद हिंडन एयरबेस पर लाए गए थे। तब वहां युद्ध जैसे हालात में छात्र फंसे हुए थे।
- अप्रैल-2021 में कोरोनाकाल में जब देश में ऑक्सीजन की भारी कमी हुई तो सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों से ऑक्सीजन के टैंकरों को देश में एक से दूसरी जगह पहुंचाया गया।
- अगस्त 2021 में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया। सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों से करीब 600 भारतीयों को काबुल से सुरक्षित एयरलिफ्ट किया गया।
- 8 साल पहले बिहार में जब बाढ़ आई, तो दिल्ली से डॉक्टरों की टीम लेकर यही विमान बिहार पहुंचा। इसी विमान को अस्पताल का रूप दे दिया गया था।
- अक्टूबर 2020 में जब भारत-चीन में तनातनी हुई, तो भारतीय वायुसेना ने अपने सैनिकों के लिए रसद सामग्री लेकर इसी विमान को चीन के बॉर्डर पर भेजा था।
- काठमांडू, उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार आदि जगह आपदा आने पर भारतीय वायुसेना के इस विमान को भेजकर मदद पहुंचाई गई।
- 2013 में फिलीपींस में आए तूफान से अमेरिका ने इसी विमान से 670 लोगों को एक बार में ही एयरलिफ्ट किया था।
खास है सी-17
बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर विश्व के बड़े मालवाहक जहाजों में से एक है। ग्लोबमास्टर कारगिल, लद्दाख और अन्य उत्तरी, पूर्वी सीमाओं जैसी कठिन जगहों पर आसानी से उतर सकता है। लैंडिंग में परेशानी होने की स्थिति में इसमें रिवर्स गियर भी दिया गया है। विमान चार इंजनों से लैस है। सी-17 विमान का बाहरी ढांचा इतना मजबूत है कि इस पर राइफल और छोटे हथियारों की फायरिंग का कोई असर नहीं होता है।
सी-17 ग्लोबमास्टर की खूबियां
-लंबाई- 174 फीट, चौड़ाई- 170 फीट, ऊंचाई- 55 फीट है।
-इंटरनेशनल फ्लाइट से ज्यादा लोगों को एक बार में ले जा सकता है।
-3 हेलिकॉप्टर या दो ट्रकों को एयरलिफ्ट करने की ताकत।
50वीं पैराशूट ब्रिगेड
50वीं पैराशूट ब्रिगेड (स्वतंत्र) ने इससे पूर्व कई आपरेशन में भी पैराशूट ब्रिगेड ने अहम भूमिका निभाई है। हर मोर्चे पर यह ब्रिगेड सफल रही है। यह जवान किसी भी माहौल में खुद को ढाल लेते हैं और मदद के लिए आगे बढ़ते जाते हैं। इस ब्रिगेड का मुख्यालय आगरा में है। ब्रिगेड भारतीय सेना का हिस्सा है। इसमें दो एयरबोर्न बटालियन शामिल हैं। इसी में एक इकाई पैरा फील्ड अस्पताल की भी है। वर्मा अभियान हो या फिर आपरेशन कैक्टस, आपरेशन विजय व भारतीय अनुबंध। इन सभी में इस ब्रिगेड की अहम रोल रहा है। अक्टूबर 1941 में द्वितीय विश्वयुद्व के दौरान एक स्वतंत्र पैराशूट के रूप में इस ब्रिगेड का गठन हुआ था।