आगरा(ब्यूरो)। बाहुबली मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। अंसारी की मौत की सूचना बाहर आते ही आगरा में पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है।
आवास-विकास में था डॉन के गुर्गों का डेरा
बाहुबली मुख्तार अंसारी को सुरक्षा के लिहाज से वर्ष 2014 में आगरा की सेंटर जेल शिफ्ट किया गया था। तब लोकसभा का आगाज होने के बाद डॉन ने जेल से चुनाव लडऩे का ऐलान किया था। डॉन के आगरा सेंट्रल जेल में होने के साथ ही उसके गुर्गों ने आगरा में डेरा जमा लिया था, गुर्गों ने होटल में ठहरने के वजह आसपास ऐसे मकान को किराए पर लिया था, जिनके मालिक बाहर रहते हैं, एजेंट के जरिए कई मकानों की रेंट डील की गई थी।
जेल से भी चलता था डॉन का सिक्का
मुख्तार अंसारी पर 65 से अधिक संगीन मुकदमे दर्ज थे। इसके चलते वो लंबे समय तक जेल में रहा, लेकिन जेल की सलाखों के पीछे से अपना गैंग चलता रहा और लोगों को डराने, धमकाने और हत्या जैसे अपराध को अंजाम देता रहा। सेंट्रल जेल से चुनाव लडऩे के दौरान डॉन का दबदबा था, जेल से पर्ची जाने के बाद आसानी से उनके काम हो जाते थे। कंप्लेन के बाद सेंट्रल जेल में छापामार कार्रवाई की गई थी। गुर्गे जेल में मिलने के दौरान उनसे पर्ची ले जाते थे, जिस पर अंसारी का खास कोड होता था, गाजीपुर में पर्ची संबंधित व्यक्ति को देने के बाद स्कूल में एडमिशन, रुपए की डिमांड आदि पूरी हो जाती थी।
चार अप्रैल को थी आगरा में केस की तारीख
सेंट्रल जेल में मुख्तार अंसारी की बैरक नंबर पांच में पुलिस, प्रशासन ने छापामार कार्रवाई की थी, सूचना मिली थी कि अंसारी जेल से लोगों को फोन कर धमकाता है। इसकी पुष्टी प्रशासन और पुलिस की छापेमारी में हुई। मुख्तार अंसारी पर थाना जगदीशपुरा में केस दर्ज किया गया था। यह केस अभी तक चल रहा है। इस मामले में 17 गवाहों की गवाही अभी तक हो चुकी है। चार अप्रैल को मुकदमे की तारीख थी। मगर, मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गवाही अधूरी रह गई।
जेल प्रशासन को नहीं लगी छापे की भनक
वर्ष 1999 में मुख्तार अंसारी केंद्रीय कारागार आगरा आया था। उसे सेंट्रल जेल की बैरक संख्या पांच में रखा गया था। मुख्तार अंसारी के सेंट्रल जेल में आने से खूब चर्चा होने लगी। जेल में उसे हर सुविधा मिल रही थी। यह भी सामने आया था कि मुख्तार अंसारी जेल में मोबाइल पर बात करता था, जिस पर 18 मार्च 1999 को आगरा के तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह के साथ पुलिस-प्रशासन टीम के साथ सेंट्रल जेल में छापा मारा था। इसकी भनक जेल प्रशासन को नहीं लगने दी।
बैरक से बरामद की बुलेटप्रूफ जैकेट, सिम कार्ड
तत्कालीन डीएम और एसएसपी की टीम की छापेमारी में मुख्तार अंसारी की बैरक की तलाशी में कपड़ों में एक बुलेटप्रूफ जैकेट, मोबाइल और दो सिम समेत अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हुए थे। इस पर जगदीशपुरा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष शिवशंकर शुक्ला की तहरीर पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें 25 गवाह बनाए गए।
इन गवाहों की अब तक हुई गवाही
मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज कराए गए केस में तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह, एसपी सिटी डीसी मिश्रा, एडीएम सिटी एके सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट पीएन दुबे समेत अन्य भी गवाह बनाए गए।
केस में चार गवाहों की मौत
इस मामले के चार गवाहों की मौत हो चुकी है। इसमें विवेचक समेत 4 लोगों की गवाही बाकी थी। चार अप्रैल तारीख भी थी। मगर, इससे पहले ही मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात मौत होने से ये मुकदमा भी अब खत्म हो जाएगा।
जेल से पेरोल पर निकाला था
लोकसभा चुनाव में मऊ के घोसी संसदीय क्षेत्र से मुख्तार अंसारी ने राष्ट्रीय कौमी एकता दल से पर्चा भरा था। तब मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) और सीबीआई कोर्ट ने अंसारी को 10 दिन कस्टडी पैरोल के आदेश उसके प्रचार के लिए दिए थे। प्रचार के दौरान सुरक्षा कैसे दी जाएगी इस बात पर 9 दिन मंथन चला और फिर 10 मई 2014 की सुबह कड़ी सुरक्षा में मुख्तार को जेल से पेरोल पर निकाल दिया गया। यहां खास बात ये भी रही कि, प्रचार के लिए संसदीय क्षेत्र पहुंचने से पहले ही चुनाव प्रचार समाप्त हो गया था। मुख्तार इस चुनाव को भी हार गया था।